'शुक्रवार संवाद' में बोले भारत सरकार के सूचना आयुक्त
नई दिल्ली। ''सूचना का अधिकार और पत्रकारिता ने एक दूसरे को पूरक के रूप में अंगीकार कर लिया है। इस तरह यह अधिकार और इसके लिए बना कानून पत्रकारिता के कार्य में महत्वपूर्ण सहयोग दे रहा है, वहीं पत्रकारिता ने इस कानून के बनने, स्थापित होने और इसे बचाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।'' यह विचार भारत सरकार के सूचना आयुक्त श्री उदय माहुरकर ने शुक्रवार को भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम 'शुक्रवार संवाद' में व्यक्त किए। इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी एवं अपर महानिदेशक (प्रशिक्षण) श्रीमती ममता वर्मा भी मौजूद थीं। आईआईएमसी ने देश के प्रख्यात विद्वानों से विद्यार्थियों का संवाद कराने के लिए 'शुक्रवार संवाद' नामक कार्यक्रम की शुरुआत की है।
'मीडिया एवं सूचना का अधिकार' विषय पर बोलते हुए श्री माहुरकर ने कहा कि सरकार की प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना सूचना का अधिकार का प्रमुख उद्देश्य है और इस दिशा में काफी सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि अगर पत्रकार इसका सही प्रयोग करें, तो कई महत्वपूर्ण जानकारियां इसके माध्यम से जनता तक पहुंच सकती हैं। गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश में कई पत्रकारों ने सूचना के अधिकार के तहत सूचनाएं निकालकर प्रमुखता से प्रकाशित की हैं।
श्री माहुरकर ने कहा कि सूचना तक पहुंच का अधिकार समाज के गरीब और कमज़ोर वर्गों को सार्वजनिक नीतियों और कार्यों के बारे में जानकारी मांगने और प्राप्त करने हेतु सशक्त बनाता है, जिससे उनका कल्याण संभव हो सके। उन्होंने कहा कि सरकार तथा नागरिक संस्थानों को मिलकर आरटीआई अधिनियम को और अधिक मज़बूत करने का प्रयास करना चाहिये, जिससे प्रशासन में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण के साथ साथ लोगों की भागीदारी भी बढ़ेगी।
इस अवसर पर आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि पत्रकारों एवं आम नागरिकों को आरटीआई का प्रयोग लोकहित में करना चाहिए, तभी सूचना का अधिकार, आमजन के अधिकार के तौर पर सार्थक होगा।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. शाश्वती गोस्वामी ने तथा स्वागत भाषण प्रो. प्रमोद कुमार ने किया।