नई दिल्ली/ कृषि मंत्रालय द्वारा हर वर्ष दिया जाने वाला कृषि पत्रकारिता का सर्वोच्च चौधरी चरण सिंह पुरस्कार वरिष्ठ पत्रकार उमाशंकर मिश्र को प्रदान किया गया है। उन्हें यह पुरस्कार इलेक्ट्रॉनिक मीडिया (डिजिटल) वर्ग में मिला है। विज्ञान समाचार सेवा ‘इंडिया साइंस वायर’ से जुड़े पत्रकार उमाशंकर मिश्र को यह पुरस्कार कृषि पत्रकारिता में लंबे समय तक उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए दिया गया है। 16 जुलाई को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 92वें स्थापना दिवस पर आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की मौजूदगी में इस पुरस्कार के लिए उनके नाम की घोषणा की गई है।
उमाशंकर मिश्र को कृषि व ग्रामीण विकास के अलावा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, सड़क सुरक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, शिक्षा, मीडिया एवं भाषा और जल, जंगल तथा जमीन जैसे विषयों को मुख्य रूप से कवर करने के लिए जाना जाता है। इंडिया साइंस वायर में वह भारतीय वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं में हो रहे शोध एवं विकास संबंधी विषयों पर प्रमुखता से लिखते रहे हैं। उनके आलेख हिंदी, अंग्रेजी और मराठी की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।
वर्ष 2007 का चौधरी चरण सिंह कृषि पत्रकारिता पुरस्कार प्राप्त मिशन फार्मर साइंटिस्ट परिवार के जनक और शरद कृषि पत्रिका का संपादन करने वाले डॉ महेंद्र मधुप ने बताया कि “उमाशंकर मिश्र करीब डेढ़ दशक से कृषि एवं ग्रामीण पत्रकारिता से जुड़े हैं। वह मेरे द्वारा 12 वर्षों तक संपादित कृषि आधारित पत्रिका ‘शरद कृषि’ के हिंदी संस्करण के लिए नियमित लेखन करते रहे हैं।” उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की इस पुरस्कार से संबंधित बैठक में निर्णायक के रूप में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं क्षेत्रीय मीडिया को यह पुरस्कार दिए जाने की सिफारिश करने वालों में डॉ महेंद्र मधुप शामिल थे।
कुछ समय पूर्व उमाशंकर मिश्र को वर्ष 2019 की विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सड़क सुरक्षा फेलोशिप भी मिली थी। उन्हें यह फेलोशिप भारत में सड़क सुरक्षा से जुड़े विभिन्न आयामों को उजागर करने के लिए दी गई थी। इंडिया साइंस वायर में कार्य करते हुए कृषि पर केंद्रित शोध कार्यों पर उनकी कई रिपोर्टें प्रकाशित हुई हैं, जिन्हें काफी सराहा गया है। इस तरह के विज्ञान आधारित लेखन में आगे बढ़ने के लिए वह इंडिया साइंस वायर के पूर्व प्रबंध संपादक दिनेश सी. शर्मा को श्रेय देते हैं।
उमाशंकर मिश्र उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले की पट्टी तहसील के मूल निवासी हैं। उनका गाँव सरायनानकार; पट्टी में रखहा बाजार के पास है। पर, उनकी शिक्षा-दीक्षा राजधानी दिल्ली में हुई है। हिंदी वेब पत्रकारिता में पीएचडी थिसिस पूरी कर चुके उमाशंकर को हिंदी मीडिया में काम करने के लगभग 14 वर्षों से अधिक समय का अनुभव है। पिछले तीन वर्षों से अधिक समय से वह विज्ञान समाचार एवं फीचर सेवा ‘इंडिया साइंस वायर’ से जुड़े हैं। इससे पहले वह करीब सात वर्षों तक अमर उजाला और करीब पांच साल तक इंडिया फाउंडेशन फॉर रूरल डेवेलपमेंट की ग्रामीण विकास पर केंद्रित पत्रिका ‘सोपानStep’ से जुड़े रहे हैं।
भारत में कृषि पत्रकारिता के इस सर्वोच्च पुरस्कार के लिए चुने जाने पर उमाशंकर मिश्र ने कहा कि “मैं उन लोगों का आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिनकी वजह से मैं यहां तक पहुंचा हूं।” उमाशंकर मिश्र कृषि एवं ग्रामीण पत्रकारिता के क्षेत्र में इस सफलता का श्रेय मुख्य रूप से अमर उजाला के समूह सलाहकार संपादक यशवंत व्यास और जाने-माने आर्थिक पत्रकार के.ए. बदरीनाथ को देते हैं। सोपानStep में ही उन्हें जाने-माने कृषि पत्रकार हरवीर सिंह और आर्थिक पत्रकार अंशुमान तिवारी जैसे अनुभवी लोगों का सान्निध्य मिला। उमाशंकर कहते हैं कि ऐसे अनुभवी लोगों के साथ करियर की शुरुआत होने से इस दिशा में निरंतर बढ़ते रहने की प्रेरणा मिलती रही, जिसने आज मुझे राष्ट्रीय पुरस्कार के मुकाम तक पहुँचाया है। मैं अपने मित्रों, सहकर्मियों और शुभचिंतकों का आभारी हूँ, जो अपने मशविरे और आलोचनाओं से मुझे हर पल तराशते रहते हैं।”
उमाशंकर मिश्र ने के.ए. बदरीनाथ के संपादन में ही सोपानStep पत्रिका में वर्ष 2005 में ग्रामीण पत्रकारिता की शुरुआत की थी। इसके बाद वर्ष 2010 में वह अमर उजाला से जुड़ गए और वहाँ पर कृषि आधारित साप्ताहिक परिशिष्ट ‘चौपाल’ का लंबे समय तक संपादन किया। अमर उजाला में उन्होंने संपादकीय विभाग में भी कार्य किया। सम-सामयिक विषयों पर उनके द्वारा संपादित साप्ताहिक परिशिष्ट ‘फोकस’ काफी लोकप्रिय रहा। वह अमर उजाला में तकनीक, स्वास्थ्य, मनोरंजन, लाइफस्टाइल और करियर जैसे विषयों पर आधारित परिशिष्टों के संपादन से जुड़े रहे हैं। कुछ समय बाद ‘चौपाल’ को मासिक पत्रिका के रूप में निकाला गया तो उमाशंकर उसके संपादन से भी लगातार जुड़े रहे।
उमाशंकर मिश्र कहते हैं कि करियर के शुरुआती दौर में वह पी. साईनाथ जैसे पत्रकारों को पढ़ते थे। सोपानStep में कार्य करते हुए वह किसानों की आत्महत्या के मुद्दे को कवर करने के लिए विदर्भ गए और किसानों की पीड़ा को करीब से देखा व कलमबद्ध किया। ऐसी कई रिपोर्टें सोपानStep, अमर उजाला, चौथी दुनिया और भारतीय पक्ष में प्रकाशित होती रहीं, जिनमें कृषि, पर्यावरण, ग्रामीण विकास और जल, जंगल, जमीन के सरोकार जुड़े थे। उन्होंने इन मुद्दों से जुड़े जनांदोलनों को भी कवर किया।
इस यात्रा में उमाशंकर मिश्र के आलेख जिन पत्र-पत्रिकाओं एवं डिजिटल माध्यमों में प्रकाशित हुए उनमें, अमर उजाला, दैनिक जागरण, पंजाब केसरी, हिंदुस्तान, आउटलुक, जनसत्ता, योजना, कुरुक्षेत्र, सकाल एग्रोवन (मराठी), प्रभात खबर, राष्ट्रीय सहारा, चौथी दुनिया, शरद कृषि, विज्ञान प्रगति, साइंस रिपोर्टर, आविष्कार, इन्वेंशन इंटेलिजेंस, हिंदू बिजनेसलाइन, कैच न्यूज, फर्स्ट पोस्ट, द वायर, डाउन टू अर्थ, प्रभासाक्षी, स्पंदन, पर्यावरण संदेश और भारतीय पक्ष मुख्य रूप से शामिल हैं। इसके अलावा उमाशंकर मिश्र लिगेसी इंडिया नामक पत्रिका के संस्थापक सदस्य और एसोसिएट एडिटर के रूप में भी कार्य कर चुके हैं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के निर्णायकों का आभार व्यक्त करते हुए उमाशंकर मिश्र ने कहा कि “मैंने यह कल्पना तक नहीं की थी कि यह पुरस्कार मुझे मिलेगा। प्रबुद्ध निर्णायक मंडल ने उस भरोसे को कायम रखा है, जो यह मांग करता है कि पुरस्कार सही हाथों में पहुँचें। इससे नई पीढ़ी के पत्रकारों को कृषि एवं किसानों के सरोकारों से जुड़ने के लिए प्रेरणा मिलेगी।”