नीति तैयार करने के लिए मंत्रालयों के समूह का
नेतृत्व करेगा गृह मंत्रालय
नई दिल्ली / सरकार ने गृह मंत्रालय से इंटरनेट और सोशल मीडिया का दुरूपयोग रोकने की नीति तैयार करने के लिए मंत्रालयों के समूह का नेतृत्व करने को कहा है। सरकार ने गृह मंत्रालय को निर्देश दिये है कि वो इंटेलीजेंस ब्यूरो, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के अलावे तीन और सरकारी संगठनों को ये जिम्मेवारी सौंपे कि इंटरनेट पर सोशल मीडिया में आई हुई ऐसी भ्रामक खबरों से वो सरकार को अवगत करवाए, जिनके कारण कानून और व्यवस्था की दिक्कतें आ सकती है।
शरारतपूर्ण सामग्री के बारे में सरकार को पहले से सावधान करने के लिए साइबर सतर्कता एजेंसी गठित की जाएगी। यह फैसला जुलाई के बाद से हेराफेरी से तैयार की गई आपत्तिजनक सामग्री इंटरनेट पर आने से स्थिति तनावपूर्ण होने के बाद तैयार की गई तीन सूत्री नीति का ही हिस्सा है। हाल में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की अध्यक्षता में हुई बैठक में गृह मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय और गुप्तचर एजेंसियों तथा राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के अधिकारियों ने इंटरनेट और सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक सामग्री रोकने के सरकार के फैसले की वैधता और प्रभाव का जायजा लिया था। हमारे संवाददाता ने बताया है कि गृह मंत्रालय से ऐसी दुर्भावनापूर्ण सामग्री रोकने के लिए गुप्तचर ब्यूरो, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन तथा तीन अन्य एजेंसियों को वेब और सोशल मीडिया सेवाओं पर नजर रखने के लिए अधिकृत करने को कहा गया है जिनसे कानून और व्यवस्था को खतरा हो।
गृह मंत्रालय अन्य कई विभागों के साथ मिलकर इस तरह के दुष्प्रचार वाली खबरों से निबटने के लिए एक दिशा निर्देश भी तैयार करेंगी। इसमें लोगों को सही वस्तु स्थिति की जानकारी देने के साथ ही अराजक तत्वों को कानून के अंदर घेरने की भी व्यवस्था होगी। इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी की सहायता भी ली जाएगी। चुकि बहुत सारे इंटरनेट सर्वर अमरीका में स्थित है, इसलिए भारत ने अमरीका को पहले से ही बता दिया है कि भारत इन वेबसाइटों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153 के ताहत कानूनी कार्रवाई से परहेज नहीं करेंगी।
हाल
के दिनों में इंटरनेट और सोशल मीडिया के दुरुपयोग को देखते हुए सरकार ने त्रिआयामी रणनीति तैयार
की है, जिसमें एक साइबर सर्विलांस एजेंसी की
स्थापना भी की जानी है। यह इस तरह की किसी ऐसी स्थिति के बारे में पहले ही आगाह करेगी। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन की अध्यक्षता में एक
हालिया बैठक में ऐसी स्थिति में अफवाहों को रोकने के लिए टेलीकॉम ऑपरेटर के लिए भी दिशा-निर्देश तैयार करने
का फैसला किया गया। जैसा कि पिछले कुछ
सप्ताह में इंटरनेट और सोशल मीडिया का इस्तेमाल अफवाह फैलाने के लिए किया गया, खास कर असम में झड़पों के मामले में।
बैठक के ब्यौरे
के मुताबिक, इसमें गृह मंत्रालय, पीएमओ, खुफिया एजेंसियों और नेशनल सिक्यूरिटी कौंसिल सेक्रेटरियट (एनएससीएस)
के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया और
इंटरनेट, सोशल मीडिया पर कुछ सामग्रियों को ब्लॉक करने को लेकर
सरकार की कार्रवाई की वैधता, असर
पर भी विमर्श किया। बताया गया है कि इस तरह की
स्थिति से निपटने के लिए भविष्य में समय रहते मुस्तैदी और सुसंगत तरीके से कदम उठाया जाना चाहिए।
बैठक में
प्रभावी निगरानी तंत्र के साथ ही तकनीकी रूप से सक्षम साइबर मॉनिटनिंग और सर्विलांस एजेंसी
की बात कही गई जो इंटरनेट और सोशल मीडिया के किसी भी गलत रूप से इस्तेमाल के लिए समय रहते सरकार को
आगाह करेगी। सरकार द्वारा मंजूर एक कानूनी
व्यवस्था तैयार करने का भी फैसला किया गया जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में मौजूदा
खामियों को भी पाटने का काम करेगी।