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पीसीआई साहित्य महोत्सव से पत्रकारिता-साहित्य के बीच रिश्ते मजबूत

नयी दिल्ली/ प्रेस क्लब ऑफ इंडिया (पीसीआई) की ओर से आयोजित तीन दिवसीय साहित्य महोत्सव और पुस्तक मेला ने 18 से अधिक प्रकाशकों, साहित्य प्रेमियों और पुस्तक विक्रेताओं को एक मंच पर लाकर पत्रकारिता और साहित्य के गहरे संबंधों को उजागर किया।

पीसीआई के अध्यक्ष गौतम लाहिड़ी ने 28 फरवरी से दो मार्च तक चले साहित्य महोत्सव और पुस्तक मेला की सफलता पर खुशी जाहिर करते आज कहा कि यह पहला आयोजन हमारी उम्मीदों से कहीं बढ़कर रहा, इस मंच पर हुई चर्चाओं ने पत्रकारिता और साहित्य के बीच रिश्ते को और मजबूत किया है। अगले साल इसे हम और बड़े स्तर पर लाने के लिए तैयार हैं।"

उन्होंने कहा कि इस महोत्सव की सबसे खास उपलब्धि 10 लाख रुपये की किताबों की बिक्री हुई और इसमें 18 प्रमुख प्रकाशकों की भागीदारी देखने को मिली। इसके साथ ही, जय सिंह, रोहिणी सिंह और मासूम मुरादाबादी सहित कई चर्चित लेखकों की 12 नई किताबों का विमोचन हुआ।

पीसीआई के महासचिव नीरज ठाकुर ने कहा, "हम लोगों की जबरदस्त भागीदारी से बेहद उत्साहित हैं। जो शुरुआत पत्रकारिता और साहित्य के उत्सव के रूप में हुई थी, वह अब एक बड़ा सांस्कृतिक आयोजन बन चुका है। हम इसे और समावेशी और भव्य बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं।"

प्रेस क्लब के सचिव जितेंद्र सिंह ने कहा है, यह सिर्फ एक पुस्तक मेला नहीं था, बल्कि विचारों और बहस का एक महत्वपूर्ण मंच भी था। पत्रकारिता और साहित्य की भूमिका पर हुई चर्चाएं बेहद सार्थक रही हैं। अब इसे हर साल आयोजित करने का हमारा संकल्प और भी मजबूत हो गया है।

पीसीआई की उपाध्यक्ष संगीता बरुआ पिशारोती ने धन्यवाद ज्ञापन में सभी प्रकाशकों, पुस्तक विक्रेताओं और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया और आश्वासन दिया कि आने वाले वर्षों में यह महोत्सव और व्यापक तथा समृद्ध रूप में आयोजित किया जाएगा।

इस महोत्सव में प्रेस की स्वतंत्रता, खोजी पत्रकारिता और साहित्य के समाज पर प्रभाव जैसे अहम विषयों पर गहन चर्चा हुई। विभिन्न सत्रों, पुस्तक विमोचनों और इंटरैक्टिव वर्कशॉप के माध्यम से मीडिया और साहित्य से जुड़े मुद्दों को विस्तार से समझने और समझाने का मौका मिला।

तस्वीर में - जय सिंह की पुस्तक "सजनवा बैरी हो गए हमार" का लोकार्पण करते- शैलेंद्र के काम को आगे बढ़ा रहे यादवेंद्र जी, मशहूर नाटककार राजेश कुमार जी, उपन्यासकार हरियश राय जी और कहानीकार गजेंद्र रावत

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सम्पादक

डॉ. लीना