शायर-ए-आजम मिर्जा गालिब की 217वीं जयन्ती मनी
चन्दौली। अदनान वेलफेयर सोसाइटी के तत्वाधान में धानापुर स्थित शहीद पार्क में शुक्रवार को शायर-ए-आजम मिर्जा गालिब की 217वीं जयन्ती समारोह पूर्वक मनायी गयी। जिसमें गालिब साहब के शायरी पर चर्चा की गयी। इस दौरान पत्रकार एम. अफसर खां सागर ने कहा कि मिर्जा गालिब के शायरी की पूरी दुनिया कायल है। आम लोगों के तल्ख जिन्दगी की हकीकतों को जुबां देना उनका मकसद था। उर्दू शायरी को उन्होने ऐसी क्लासिकी मुकाम दिया कि उर्दू अदब को उन पर नाज है। उनका अंदाज-ए-बयां आम व खास सबको पसन्द है।
श्री सागर ने कहा कि गालिब साहब ने अपने शेरों के माध्यम से समाज में व्याप्त कुरितीयों तथा सामाजिक असमानता को आईना दिखाने का काम किया है। 200 साल से ज्यादा का अरसा गुजरने के बाद भी गालिब साहब के शेर हर जुबां पर बरबस आ जाते हैं, इससे बड़ी श्रद्धांजलि और क्या हो सकती है। शेरो-शायरी की हर महफिल गालिब के शायरी के बिना अधूरी है। गालिब की ‘हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम, वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती’ तथा ‘रगों में दौड़ने फिरने के हम नहीं कायल, जब आंख ही से न टपका तो लहू क्या है’ आदि दर्जनों शेर लोगों की जुबां से गीत बन निकलते हैं तो श्रोताओं की तालियां बज उठती हैं। वर्तमान परिवेश में गालिब न सही उनकी शायरी ही जमाने की शान व पहचान है।
इससे पहले लोगों ने गालिब साहब के तैलचित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित किया। कार्यक्रम में तबरेज, सैफ, प्रभाकर सिंह, इम्तियाज अहमद, बेचन सिंह, राजा तनवीर, इरफान, शहजाद अली, सद्दाम खां, शमशाद खां, मनोज, आमिर खां, दीपक, मु0 आरिफ खां, शादाब, शहंशाह, बैजनाथ, राजन, सादाब खां सहित अन्य लोग मौजूद रहे। अध्यक्षता सुहैल खां व संचान सर्फुद्दीन ने किया।