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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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“भूचाल तो सिर्फ मीडिया में है

खबर से ज्‍यादा बिकता है ‘खबरों का लालू ब्रांड’ 

वीरेंद्र यादव / ‘बिहार का मीडिया बेचैन है। चिंता सरकार गिरने,‍ गिराने और बचाने की है। पत्रकार कुछ नया देने को हलकान हैं। इस पार्टी से उस पार्टी, इस नेता से उस नेता। कहीं कुछ टेप से आगे मिल जाए। लेकिन राजनीतिक माहौल एकदम शांत है। वरिष्‍ठ नेताओं के दरबार में कहीं हड़बड़ी नहीं।

शनिवार को ‘टेप बम’ फटने के बाद पूरा मीडिया फॉलोआप के पीछे दौड़ता रहा। कुछ लोग इस इंतजार में थे कि सरकार अब गयी कि तब गयी। लेकिन मीडिया के सामने तो बयान के लाले पड़ गये। कोई बयान देने को तैयार नहीं, जो बयान दिया वह भी ‘बे-बयान’। आज सुबह हमने कई दरबारों का चक्‍कर लगाया। लेकिन हर जगह निश्चिंतता। कोई अफरातफरी नहीं। राजद प्रमुख लालू यादव के आवास के बाहर मीडियाकर्मियों का मजमा लगा था। कई लोग दरवाजे के बाहर से लाइव करने कोशिश कर रहे थे और माहौल की चर्चा कर रहे थे। लेकिन खबर के नाम पर ‘माहौल मर्म’ के अलावा कुछ नहीं। इस बीच पूर्व सांसद शिवानंद तिवारी लालू दरबार में पहुंचते हैं। खबर के नाम पर बस इतना ही था कि पूर्व सांसद शिवांनद तिवारी लालू यादव से मिलने पहुंचे। जबकि वास्‍तविकता यह है कि शिवानंद तिवारी लगभग हर दिन चिड़याघर में मार्निंगवाक के बाद चाय पीने दस नंबर ही जाते हैं। बाद में शिवानंद तिवारी ने दस नंबर के बाहर निकलने पर मीडियावालों से कहा कि जेल में बंद कैदियों से सभी नेता बात करते हैं। उधर एक अण्‍णेमार्ग यानी मुख्‍यमंत्री आवास के मुख्‍यगेट के बाहर एक चैनल के पत्रकार खबर का इंतजार कर रहे थे।

 

सत्‍ता का गलियारा शांत है

उसके बाद हम वित्‍त मंत्री अब्‍दुलबारी सिद्दीकी, ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव और भाजपा के वरिष्‍ठ नेता नंद किशोर यादव के दरबार में पहुंचे। माहौल में कोई तपिश नहीं। सब कुछ सामान्‍य। तीनों ही आवास पर मिली चाय में ‘नीबू’ ही था, लेकिन इससे ‘सत्‍ता का दूध’ फटने की कहीं कोई गुंजाईश नजर नहीं आ रही थी। लेकिन मीडिया की अपनी बेचैनी है। बाजार की अपनी मजबूरी है। मीडिया के बाजार में ‘लालू ब्रांड’ ही चलता है। बाजार में उतरा नया चैनल यदि ‘लालू ब्रांड’ को अपने ‘सेल काउंटर’ पर रखकर अपनी विश्‍सनीयता की ब्रांडिंग करता है, तो इससे टीआरपी बढ़ने की उम्‍मीद की जा सकती है, सरकार के अस्थिर होने की नहीं।

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पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना