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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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वो चुपचाप चले गये….

प्रफुल्ल बिदवई जी को जन आन्दोलनों का जिंदाबाद!

नई दिल्ली/ अपने निर्भीक पत्रकारिता व जीवन की बेबाक शुचिता को साथ लेकर प्रफुल्ल बिदवई हमारे बीच से चले गये। जबकि देश को आज उनके जैसे स्वतंत्र पत्रकार की बहुत ही जरुरत थी। एक बहुत बड़े आकार में से जो खालीपन प्रफुल्ल भाई छोड़ गये है, वो भरना संभव नही है।

देशभर के आंदोलनों की एक जरुरत की तरह थे प्रफुल्ल भाई। विभिन्न जन सवालों पर वे हमेशा साथ रहते थे। वे बड़े बाधों जैसे नर्मदा पर बन रहे सरदार सरोवर व अन्य बड़े बांधो की विभिषिका को समझते थे। इन सब समस्याओं को उन्होने बखूबी देश के सामने उजागर किया था।

विकास की अवधारणा जन विरोधी नही होनी चाहिये इस बात को उन्होने अपनी पत्रकारिता में हर तरह से उठाया था। मुखरता से वे अंग्रेजी जगत को तथाकथित विकास के दुष्प्रभावों से अवगत कराते रहे। उनका लेखन गहन, गम्भीर और स्थितिपरक होता रहा है। चाहे वे टाईम्स ऑफ इंडिया में रहे हो या फ्रंटलाईन के स्तंभकार पर जन सवालों पर उनकी सहज ही उपलब्धता होती थी। पत्रकारिता में बड़े स्तर पर होने के बावजूद अपने सौम्य व्यतित्व के कारण हम सबके चहेते भी थे। ना केवल उनका लेखन वरन् स्वंय उनकी उपस्थिति भी धरनों प्रदर्शनों में मजबूत तरह से रहती थी। उन्होने परमाणु बम विरोधी आंदोलन को भी बहुत ताकत दी। ज्ञात हो कि 1998 में वे जन आन्दोलनों के साथ परमाणु बम विस्फोट के खिलाफ लगातार संघर्षरत थे। इस संघर्ष को मजबूती देने के लिए बनाये गए “कोइलिशन फॉर न्यूक्लियर डिसअर्मामेंट एंड पीस” (CNDP) में उनकी प्रमुख भूमिका थी। कुडानकुलम के परमाणु संयंत्र के खिलाफ भी उन्होनें आवाज़ उठाई और वहां के आंदोलन को सक्रिय साथ दिया।

उनके काम का मूल्यांकन जनवादी इतिहास जरुर करेगा। दिल्ली ही नही देश व विदेश का विद्वान जगत भी उनका सम्मान करता था और करता रहेगा। उनका कोई व्यक्तिगत परिवार नही था। किन्तु समाज का परिवार बहुत विशाल है जो आज उनका जाना आसानी से नही सह पा रहा है।

प्रफुल्लभाई, हम सब आंदोलन के साथी आपके जाने को अपनी व्यक्तिगत हानि मानते है। आपके द्वारा किया गया कार्य कभी नही भुलाया जा सकता है। हम नम आंखों से आपको सलाम् कहते है। आपका स्थान हमेशा हमारे दिल में रहेगा।

हमारे साथी आपको हमारा जिंदाबाद!  जिंदाबाद!!  जिंदाबाद!!!

मेधा पाटकर- नर्मदा बचाओ आन्दोलन एवं जन आन्दोलनों का राष्ट्रीय समन्वय;  प्रफुल्ल सामंतरा- लोक शक्ति अभियान एवं लिंगराज आज़ाद- समाजवादी जन परिषद्, एनएपीएम, ओडिशा; डॉ. सुनीलम, आराधना भार्गव- किसान संघर्ष समिति एवं मीरा- नर्मदा बचाओ आन्दोलन, एनएपीएम, म. प्र.; सुनीति सु.र., सुहास कोल्हेकर, प्रसाद बगवे- एनएपीएम, महाराष्ट्र; गेब्रिएल डी., गीता रामकृष्णन- असंगठित क्षेत्र मजदूर संगठन, एनएपीएम, तमिलनाडु; सी. आर. नीलकंदन- एनएपीएम केरला; पी. चेन्नईया एवं रामकृष्णन राजू- एनएपीएम आंध्र प्रदेश;अरुंधती धुरु, ऋचा सिंह- संगतिन किसान मजदूर संगठन, एनएपीएम उ. प्र. ;सुधीर वोम्बटकरे, सिस्टर सीलिया-डोमेस्टिक वर्कर्स यूनियन एवं रुकमनी वी. पी., गारमेंट लेबर यूनियन, एनएपीएम कर्नाटक; विमल भाई- माटू जन संगठन & जबर सिंह, एनएपीएम, उत्तराखंड; आनंद मज़गाँवकर, कृष्णकांत- पर्यावरण सुरक्षा समिति, एनएपीएम गुजरात; कामायनी स्वामी, आशीष रंजन- जन जागरण शक्ति संगठन एवं महेंद्र यादव- कोसी नवनिर्माण मंच, एनएपीएम बिहार; फैसल खान-खुदाई खिदमतगार, एनएपीएम हरयाणा; कैलाश मीना, एनएपीएम राजस्थान; अमितव मित्रा एवं सुजातो भद्र, एनएपीएम प. बंगाल; भूपेंद्र सिंह रावत-जन संघर्ष वाहिनी, राजेंद्र रवि, मधुरेश कुमार, शबनम शेख, एनएपीएम दिल्ली

(एनएपीएम, National Alliance of People’s Movements द्वारा जारी )

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सम्पादक

डॉ. लीना