Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

भारत में वेब पत्रकारिता और डब्ल्यूजेएआई

वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूजेएआई) के राष्ट्रीय महासचिव अमित रंजन, एसोसिएशन के फेसबुक पेज पर लाईव के दौरान

सूचना क्रांति के इस दौर में पिछले छः- सात सालों में भारत समेत पूरे विश्व को जिस चीज़ ने अपनी अपरिमित पहुँच जन्य विशाल शक्ति से अचंभित किया है वो है वेब पोर्टलों के माध्यम से की जा रही वेब पत्रकारिता, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की देश और राज्य को डिजिटल बनाने की मुहीम ने ज्यादा सशक्त बनाया है। यही वजह है आज  कि न केवल बड़े- बड़े मीडिया घरानों के बड़े- बड़े बैनरों को खुद का वेब फार्मेट भी लाना पड़ा है बल्कि देश भर में विशुद्ध वेब पत्रकारिता भी अपने पूरे शबाब पर है।

एक दुखद पहलू है कि सुप्रीम कोर्ट के टाईम बांड निर्देश के बावजूद अभी तक भारत सरकार द्वारा वेब पत्रकारिता के लिए न तो कोई मानक बनाया जा सका है  न अभी तक कोई नियामक संस्था ही स्थापित की जा सकी है। फलतः बार- बार साजिशी तौर पर फर्जी रिपोर्टों के जरिये वेब पत्रकारिता को कटघरे में ला कर सोशल साईटों पर प्रतिष्ठा धूमिल कर वेब पत्रकारों का मनोबल तोड़ने की लगातार असफल- कुत्सित कोशिशें की जाती रही हैं।

ऐसी परिस्थितियों में लंबे विमर्श के बाद राष्ट्रीय स्तर पर वेब पत्रकारों के मान- सम्मान, स्वनियमन, हक़ और अधिकारों के लिए संघर्ष के उद्देश्य से 22 फरवरी 2019 को बिहार के छपरा में वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन की बुनियाद राष्ट्रीय कार्यकारिणी के गठन के साथ पड़ी। संगठन ने वेब पत्रकारों के लिए खुद का स्वनियमन तैयार किया जो इसके संविधान का हिस्सा है जिसे संगठन की आधिकारिक वेबसाईट- wjai.in पर देखा जा सकता है। वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया विशुद्ध रुप से देश भर के वेब पत्रकारों का एकमात्र निबंधित संगठन है-   S000108/ 2019- 20, दिनांक  28/ 08/ 2019, सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट 21, 1860। संगठन के साथ न  सिर्फ देश भर से वेब पत्रकारों और वेब पोर्टलों का बड़ा समुदाय जुड़ा है बल्कि  देश के कोने- कोने से वेब पत्रकारों और वेब पोर्टल्स  के जुड़ने का सिलसिला लगातार जारी है। बिहार के पटना में  डाकबंगला चौराह में निबंधित कार्यालय के साथ ही संगठन के प्रादेशिक/ क्षेत्रीय कार्यालय नई दिल्ली और एनसीआर, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, झारखंड और दक्षिण भारत प्रक्षेत्र (तमिलनाडु) में कार्यरत हैं, अभी हाल फिल्हाल में पूर्वी भारत के उड़ीसा को भी जोड़ा गया और दूसरे प्रदेशों को भी जोड़ने की दिशा में काम किया जा रहा है।

डब्ल्यूजेएआई वेब पत्रकारों और वेब पोर्टलों की अधिमान्यता की दिशा में लगातार कार्य कर रही है। इस दिशा में संगठन ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा आमंत्रित  प्रस्तावित आरपीपी बिल 2019 के लिए विस्तृत सुझाव/ प्रस्ताव दिसम्बर 2019 में दिया।  दिसम्बर 2019 में ही डब्ल्यूजेएआई के प्रतिनिधि मंडल ने बिहार सरकार के सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री नीरज कुमार से मुलाकात कर अधिमान्यता और अनुमान्य सुविधाओं की माँगों का एक माँगपत्र सौंपा जिस पर त्वरित कार्रवाई करते हुए मंत्री महोदय द्वारा विभाग को इस संबंध में कार्रवाई का निर्देश दिया गया।

डब्ल्यूजेएआई के लगातार संघर्षों के सकारात्मक परिणाम के फलस्वरूप राज्य में  'बिहार वेब मीडिया नीति 2020' की तैयारी की जा रही है। इस नीति के लिए भी डब्ल्यूजेएआई ने विस्तृत सुझाव/ प्रस्ताव काफी पहले समर्पित कर दिया है।

आज भले ही लिखित आदेश के स्वरुप में कोई नियम, अधिनियम, परिपत्र अभी तक जारी नहीं किया गया हो पर बिहार में सरकार द्वारा मानसिक तौर पर ही सही वेब पत्रकारों और वेब पोर्टलों को मौन स्वीकृति, सम्मान और महत्व दिया जा रहा है।

अगर देश महामारी से न जूझ रहा होता तो इस वक्त तक वेब पत्रकारिता और वेब पोर्टल संबंधी नियमन/ नियामक संगठन आ चुका होता। ख़ैर 'मैन प्रपोज्ड गॉड डिस्पोज्ड' प्रकृति का शाश्वत नियम है।

डब्ल्यूजेएआई अपने उद्देश्यों की पूर्ति की दिशा में देश की राजधानी दिल्ली, आर्थिक राजधानी मुंबई, उत्तर दक्षिण पूरब क्षेत्रों सहित बिहार में संघर्षरत है, वेब पत्रकार धैर्य और शांति धारण कर उच्चादर्शों के साथ जनसरोकारी पत्रकारिता करते रहें और संगठन से जुड़ कर अपने हक़ हकूक की लड़ाई को सबल बनाएँ। गर्व से कहें हम वेब पत्रकार हैं।

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना