पाक में खूब पसंद किए जाते हैं भारतीय सीरियल और सिनेमा
साकिब ज़िया/ भारत और पाकिस्तान एक दूसरे के टीवी चैनलों और कलाकारों को बैन कर रहे हैं। इस बात से लोग न सिर्फ दोनों मुल्कों के चैनलों पर प्रसारित कार्यक्रमों को देखने से महरूम है बल्कि चैनलों के विज्ञापनों पर भी खासा असर पड़ा है। पाकिस्तान से आ रही ख़बरों के अनुसार, वहां के आम शहरी का मानना है कि भारतीय चैनलों पर देश में बैन लगने के फैसले से वह लोग निराश हैं क्योंकि अब वे अपने पसंदीदा टीवी शो और फिल्में नहीं देख पा रहे हैं। उनका कहना है कि , 'ऐसा लगता है कि उनकी जिंदगी से कुछ घट गया है।' हालांकि पाकिस्तान के ज्यादातर शहरों में भारतीय फिल्मों की पाइरेटेड डीवीडी मिलती हैं और ऑनलाइन वेबसाइटों पर भी कार्यक्रम देखे जा सकते हैं। लिहाजा लोग यह समझ नहीं पा रहे हैं कि प्रतिबंध लगाने से हासिल क्या होगा।
खासकर छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में यह बैन ज्यादा तकलीफदेह है क्योंकि महिलाओं के पास मनोरंजन के विकल्प बहुत कम हैं। एक ऐसे समाज में जहां महिलाओं को घर से बाहर निकलने या अपनी मर्जी से कुछ करने की आजादी बहुत कम है, वहां टीवी चैनल अहम भूमिका अदा करते हैं। भारतीय चैनलों ने उस मांग को पूरा किया था जो पाकिस्तानी टीवी उद्योग पूरी नहीं कर पा रहा था। इसलिए इन टीवी चैनलों का बंद हो जाना लोगों, खासकर महिलाओं को खासा अखर रहा है। घर के कामकाज निपटाने के बाद महिलाओं को मनोरंजन प्रदान करने वाले चैनलों के प्रतिबंध से महिलाएं उदास है। वे कहती हैं कि 'इंडियन ड्रामे देखने के अलावा हमारे पास मन बहलाने का और क्या तरीका है, बताइए? हम अपने घरों से बाहर नहीं जा सकते। हमारे परिवारों के मर्दों को काम के अलावा किसी और वजह से हमारा बाहर जाना भी पसंद नहीं है।'
हाल के दिनों में दोनों देशों के राजनीतिक संबंध खराब होने का सबसे बड़ा असर मनोरंजन उद्योग पर पड़ा है। दोनों देशों में एक दूसरे के टीवी शो काफी पसंद किए जाते हैं। भारत में जी टीवी के चैनल जिंदगी पर पाकिस्तानी ड्रामे दिखाए जाते थे। भारतीय महिला दर्शकों में ये सीरियल काफी पसंद किए जा रहे थे। लेकिन संबंध खराब होने के बाद इस चैनल पर पाकिस्तानी सीरियलों का प्रसारण बंद कर दिया गया। 2006 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के आदेश के बाद देश में भारतीय चैनलों का प्रसारण शुरू हुआ था।
पाकिस्तान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया रेग्युलेटरी अथॉरिटी का मानना है कि नया आदेश आने से वर्ष 2006 के आदेश को तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक निरस्त कर दिया गया है।
इन प्रतिबंधों का असर व्यापारियों पर भी पड़ा है। पाकिस्तानी केबल ऑपरेटर्स इस बात को लेकर खासे परेशान हैं कि लोग सब्सक्रिप्शन छोड़ रहे हैं। बैन लगने के बाद उनके ग्राहकों की तादाद घट रही है। केबल ऑपरेटर्स असोसिएशन ऑफ पाकिस्तान का साफ कहना है कि , 'लोग तो हमारे ऊपर चिल्ला रहे हैं। लोगों को इस बात की परवाह नहीं है कि कंटेंट कहां से आ रहा है।'
वहीं एक बात यह भी सच है कि यह प्रतिबंध प्रभावी भी नहीं हो पा रहा है। समस्या यह भी है कि 'देश में 40 लाख डायरेक्ट टू होम कनेक्शन हैं जहां सैटलाइट से चैनल सीधे भारत से लोगों के घरों में आ रहे हैं। उन्हें आप कैसे हटाएंगे?'