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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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पटना में पुस्तकों का महाकुंभ दो दिसंबर से

संजय कुमार/ साकिब जिया/ पटना। इस बार पटना पुस्तक मेला में सरकारी भागीदारी रहेगी। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार एवं सेंटर फार रीडरशिप डेवलप मेंट (सीआरडी) द्वारा आयोजित ज्ञान एवं संस्कृति का महाकुंभ 24वाँ पटना पुस्तक मेला आगामी 02 से 11 दिसम्बर 2017 की अवधि में होने जा रहा है। पुस्तक मेला गांधी मैदान मे न होकर नवनिर्मित अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर के ज्ञानभवन में आयोजित है। 

पुस्तक मेला को लड़कियों और महिलाओं को समर्पित किया गया है।  इस बार पटना पुस्तक मेला का थीम है- ‘‘लड़की को सामर्थ्य, दुनिया बदलेगी’’। पटना पुस्तक मेला के इतिहास में पहली बार कलर थीम रखा गया और यह रंग होगा ‘पिंक’,गुलाबी।

पटना पुस्तक मेला का विधिवत उद्घाटन 02 दिसम्बर को होगा। उपरोक्त जानकारी सीआरडी के अध्यक्ष लेखक रत्नेश्वर ने दी। पटना पुस्तक मेला के संयोजक अमित झा ने बताया कि लड़कियों और महिलाओं पर केंद्रित इस पुस्तक मेला का उद्देश्य आधी आबादी में आत्मविश्वास सामर्थ्य और शक्ति के रंग भरने का है। अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए पटना पुस्तक मेला में अधिकतम भागीदारी सुनिश्चित की गयी है। इस के अंतर्गत लड़कियों और महिलाओं की रचनात्मकता, सृजन, समस्या और समाधन पर आधारित कार्यक्रमों को विशेष महत्व दिया जाएगा। इस बार कार्यक्रमों की शुरूआत और अंत में संगीत भी अपनी अहम भूमिका अदा करेगा। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग भी अपना कार्यक्रम पेश करेगा। ‘जनसंवाद’ में महिलाओं पर आधरित कार्यक्रमों में ‘राजनीतिक डगर पर महिलाएँ’ विषय पर वार्ता के लिए अमृता भूषण राठौर, सुहेली मेहता, एजया यादव और निवेदिता झा भाग लेंगी। इस बार कई महिला लेखिकाओं की पुस्तक पर बातचीत होगी। इस के तहत चुनिंदा प्रतिभाशाली युवा कवयित्रियाँ भाग लेंगी, जिन्हें पटना पहली बार सुनेगा। लेखिकाओं और साहित्यकारों के अलावा अन्य कार्यव्रफमों के तहत उपन्यासकार अनुसिंह चौधरी, मनीषा कुलश्रेष्ठ, सहित मधुबाला, मोनी त्रिपाठी आदि भी भाग लेंगी।

इस बार परिचर्चा के लिए कुछ नये विषयों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। यथा ‘लंदन में हिंदी विषय पर लंदन से आ रही पत्राकार-लेखक शिखा वार्ष्णेय से बातचीत होगी मनीषा प्रकाश की। इसी प्रकार ‘भाषायी नस्लवाद’ पर अनुसिंह चौधरी और अल्पना मिश्र बातचीत करेंगी। ‘पाखी परिचर्चा’ के ही अंतर्गत अन्य विषयों यथा ‘राह भटकती कविता’, ‘राष्ट्रावाद’, ‘कथा साहित्य का सामाजिक सरोकार’, ‘विमर्श गाथा का साहित्य ’ और ‘हिम्मत का रंगपिंक’ पर पत्रकार उर्मिलेश, कृष्णकांत ओझा, विनय कुमार, शिवमूर्ति, कथाकार संतोष दीक्षित, अनंत विजय और लीलार मंडलोई प्रमुख होंगे।

पुस्तक मेला में स्कूल के बच्चों के लिए कहानी पाठ, जो यूनिसेफ के अमिताभ पांडेय करेंगे, कवर डिजाइन प्रतियोगिता और कविता की कार्यशाला आयोजित की जाएगी। इस के साथ ही ‘आयाम’ द्वारा कविता पाठ भी होगा। पटना पुस्तक मेला के अन्य आकर्षण में साहित्यिक पत्रिका ‘पाखी’ के सौजन्य से ‘पाखी परिचर्चा’ का कार्यव्रफम होगा जिस में पाखी के संपादक प्रेम भारद्वाज के साथ राज्य के कई लेखक, कवि और पत्राकार शिरकत करेंगे।

इस बार पटना पुस्तक मेला में माई पुस्तक डाट काम की भागीदारी भी आकर्षण का केन्द्र होगा। इस के तहत वैसे लेखक-विद्वान अपनी किताब दान भी कर सकेंगे और मुफ्रत में पा भी सकेंगे। किताब देने और प्राप्त करने करने वाले के बीच यह संस्था ब्रिज का काम करती है। इसे समस्तीपुर, बिहार के चार युवा दिल्ली में रहकर सेवार्थ चलाते हैं। इनमें तीन इंजीनियर हैं और एक सी.ए.।

इस बार मंच का नाम कस्तूरबा मंच और रशीदन बीबी मंच रखा गया है। पुस्तक मेला में इस बार लगभग 200 प्रकाशकों के भाग लेने की संभावना है। देश से प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थानों ने अपनी शिरकत सुनिश्चित की है। इस में प्रभात प्रकाशन, राज कमलप्रकाशन, वाणी प्रकाशन, राज पाल एंड संस , उपकार प्रकाशन, पुस्तक महल, अरिहंत प्रकाशन, प्रकाशन संस्थान शामिल होंगे। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकारी सहभागीता से आयोजित इस बार का पुस्तक मेला कितना प्रभाव छोड़ पता है।

* तस्वीर - साकिब जिया 

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सम्पादक

डॉ. लीना