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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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ऑनलाइन उत्‍तर की ‘मार’ झेल रहे हैं पत्रकार

विधान सभा में ऑनलाइन उत्‍तर का व्‍यावहारिक पक्ष

बीरेन्द्र यादव/ पटना/ गुरुवार को विधानमंडल के बजट सत्र का चौथा दिन था। हम सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद परिसर में पहुंचे। सत्‍ता और विपक्ष की लॉबी में चक्‍कर काटते हुए नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव के चैंबर में पहुंचे। विधायक भीम सिंह, मुकेश रौशन, विजय सम्राट, रामानुज प्रसाद, मो. कामरान, प्रेमशंकर यादव आदि मौजूद थे। इस दौरान हमने विधायकों से यह जानने की कोशिश की कि ऑनलाइन उत्‍तर मिलने की सुविधा का कितना इस्‍तेमाल करते हैं। कई विधायकों ने कहा कि ऑनलाइन उत्‍तर देखते हैं। कई लोगों ने ऑनलाइन प्रक्रिया को लेकर अरुचि भी दिखायी।

लेकिन ऑनलाइन उत्‍तर के व्‍यावहारिक पक्ष को लेकर हमने पत्रकारों से चर्चा की तो कई तकनीकी समस्‍याएं सामने आयीं। इससे खबर बनाने में परेशानी होती है। इस संबंध में जब विधानसभा के तकनीकी जानकारों से बातचीत की तो पता चला कि बैठक शुरू होने से पहले विधायकों को उस दिन के प्रश्‍नों का उत्‍तर उपलब्‍ध दिया जाता है। यह उत्‍तर विधायकों के निजी इमेल पर नहीं आता है, बल्कि इसके लिए अलग से ईमेल बनाया गया है, जिसका लॉगिन और पासवर्ड विधायकों को उपलब्‍ध करा दिया गया है। उसी मेल पर विधायक उत्‍तर खोल कर पढ़ सकते हैं। यही कारण है कि विधायकों से पूरक प्रश्‍न पूछने को कहा जाता है, क्‍योंकि उत्‍तर उनको पहले ही उपलब्‍ध करा दिया जाता है।

लेकिन पत्रकारों की अलग समस्‍या होती है। उन्‍हें कार्यवाही से पहले सवाल उपलब्‍ध करा दिये जाते हैं। कार्यवाही के दौरान सरकार द्वारा सदन में उत्‍तर नहीं दिया जाता है। इस कारण किसी सवाल के मौलिक उत्‍तर से पत्रकार वंचित हो जाते हैं। उन्‍हें पूरक सवालों के उत्‍तर से ही काम चलाना पड़ता है। इस संबंध में प्राप्‍त जानकारी के अनुसार, सदन की बैठक स्‍थगित होने के बाद सभी सवालों का उत्‍तर ऑनलाइन कर दिया जाता है। लेकिन सदन की कार्यवाही के दौरान उत्तर न पटल पर रखा जाता है और न ऑनलाइन होता है। यह तकनीकी दिक्‍कत है। विधान सभा सचिवालय को समाचार संकलन के लिए प्रेस दीर्घा में बैठे पत्रकारों को तत्‍काल उत्तर उपलब्‍ध कराने का इंतजाम किया जाना चाहिए, ताकि वे समय पर संपूर्ण खबर को लिख सकें।

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सम्पादक

डॉ. लीना