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एनडीटीवी इंडिया को दंडित करने के फैसले की चहुँओर आलोचना

एडिटर्स गिल्ड, ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया, की बैन वापस लेने की मांग 

नौ नवंबर को रात 12.01 बजे से 10 नवंबर रात 12.01 बजे तक चैनल बंद करने का दिया गया है आदेश

नई दिल्ली/ पठानकोट आतंकी हमले की रिपोर्टिग को आपत्तिजनक मानते हुए सरकार ने प्रमुख हिंदी न्यूज चैनल एनडीटीवी इंडिया को दंडित करने का फैसला किया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने 'एनडीटीवी इंडिया' पर कार्रवाई करते हुए प्रसारण 9 नवंबर को रात 12.01 बजे से 10 नवंबर रात 12.01 बजे तक इस चैनल को बंद करने का आदेश दिया है। इस दौरान पूरे देश में वह ऑफ एयर होगा।

इस आदेश के बाद मोदी सरकार की आलोचना चारो ओर हो रही है। एडिटर्स गिल्ड ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के इस फैसले की आलोचना की है .एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष राज चेंगप्पा, महासचिव प्रकाश दुबे व कोषाध्यक्ष सीमा मुस्तफा के नाम से जारी एक साझा बयान में कहा गया है कि यह मीडिया की स्वतंत्रता का अतिक्रमण है. एडिटर्स गिल्ड ने बैन वापस लेने की मांग की है. ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन ने भी बैन पर चिंता जताते हुए इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन बताया है।  ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोसिएशन का बयान इस प्रकार है-

Broadcast Editors' Association expresses deep concern at the govt's decision to ban NDTV India for a day. Imposing a ban is a violation of freedom of expression and the decision should be withdrawn immediately . BEA would go into the issue in detail and come out with a comprehensive report on it. 
Shazi Zaman , President , BEA. NK Singh , General Secretary , BEA.

मुंबई प्रेस क्लब सहित देश भर के कई प्रेस क्लबों ने बयान जारी कर इस बैन की निंदा की है.

सरकार के इस फैसले की पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने आलोचना की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का ये फैसला आपातकाल की याद दिला रहा है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि न्यूज चैनल पर बैन लगाकर केंद्र तानाशाही कर रही है। 

सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रिया हो रही है. कुछ लोगों ने इसे अघोषित आपातकाल तक कहा है.

आदेश पर एनडीटीवी का भी बयान आया है. उसने कहा है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का आदेश प्राप्‍त हुआ है. बेहद आश्चर्य की बात है कि NDTV को इस तरीके से चुना गया. सभी समाचार चैनलों और अखबारों की कवरेज एक जैसी ही थी. वास्‍तविकता में NDTV की कवरेज विशेष रूप से संतुलित थी. आपातकाल के काले दिनों के बाद जब प्रेस को बेड़ियों से जकड़ दिया गया था, उसके बाद से NDTV पर इस तरह की कार्रवाई अपने आप में असाधारण घटना है. इसके मद्देनजर NDTV इस मामले में सभी विकल्‍पों पर विचार कर रहा है.

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सम्पादक

डॉ. लीना