गुलाम कुन्दनम//
मुज्जफरनगर फिर धधक उठा,
काशगंज मुज्जफरनगर बन रहा,
जो बीज सत्ता के खातिर बोए गये थे
आज वही रक्तबीज बन रहा।
दंगों में किसी को शिकार
तो किसी को शहीदी माला,
गुरूग्राम हिंसा में नाम आपने,
सद्दाम, आमिर, नदीम, फ़िरोज
और अशरफ बता डाला,
कुछ ही घंटों में आपने इसे
पूरे देश में फैला डाला,
पर अफसोस है जाने - अंजाने में ही
सत्ता के दलालों ने
आपको अपना मोहरा बना डाला।
अपनी पोस्ट डालने से पहले
यह तो देख लें,
इससे समाज को क्या मिलेगा?
प्रेम - भाईचारा,
सत्य - अहिंसा बढ़ेगा?
देश और समाज बढ़ेगा? जुड़ेगा?
या देश और समाज बिखरेगा, टूटेगा।
आपके पोस्ट की भाषा,
तोड़ रही है शहीदों की अभिलाषा,
सोशल मिडिया वाले
देश को बचा लें,
ध्यान रखेंगे इन बातों का
आप सब से यही है आशा।