भोपाल/ हिन्दी पत्रकारिता के यशस्वी सम्पादक राजेन्द्र माथुर का स्मरण करते हुये शोध पत्रिका समागम का नया अंक जारी कर दिया गया है.
शोध पत्रिका समागम के इस नये अंक में राजेन्द्र माथुर के साथ लम्बे समय तक काम कर चुके वरिष्ठ पत्रकार राजेश बादल ने अपना अनुभव साझा किया है. श्री बादल ने विस्तार से राजेन्द्र माथुर की कार्यशैली एवं उनकी दूरदृष्टि पर चर्चा की है. एक अन्य आलेख में वरिष्ठ पत्रकार पुण्यप्रसून वाजपेयी ने वर्तमान हालात पर चिंता करते हुये लिखा है कि आज के समय में राजेन्द्र माथुर के लिये गुंजाईश ही कहां शेष है. कुछ अन्य आलेखों के साथ राजेन्द्र माथुर की राजनीतिक दृष्टि पर एक शोध पत्र भी है. एक अन्य आलेख में आधुनिक टेक्रॉलाजी का जिक्र करते हुये लिखा है कि राजेन्द्र माथुर सरीखे पत्रकार की मुश्किल से एक तस्वीर हाथ लगेगी लेकिन उनका लिखा पढऩे के लिये एक उम्र की जरूरत होगी. राजेन्द्र माथुर पर केन्द्रित यह अंक पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिये विशेष उपयोग का है.