उर्दू पाठक ही नहीं होंगे तो उर्दू अखबार, पत्रिकाएं और किताबें कौन खरीदेगा?
आफताब आलम / मुंबई। उर्दू साहित्य में उल्लेखनीय योगदान देने के लिए अंजुमन-ए-इस्लाम, पंचगनी पब्लिक स्कूल के कार्यकारी अध्यक्ष तथा क्वालिटी कन्फेक्शनर्स प्रा.लि. के निदेशक डॉ. शेख अब्दुल्ला को उर्दू साहित्य अवार्ड से सम्मानित किया गया है। पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के गोमती नगर में उ.प्र. संगीत नाटक अकादमी में हिंदी-उर्दू साहित्य अवार्ड कमेटी के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक सम्मेलन में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बी.एल.जोशी की उपस्थिति में डॉ. शेख अब्दुल्ला को सम्मानित किया गया। उर्दू साहित्य अवार्ड मिलने पर डॉ. शेख अब्दुल्ला को उर्दू व हिंदी साहित्य के अनेक लोगों ने बधाइयां दी हैं।
डॉ. शेख अब्दुल्ला को उर्दू शिक्षा का अलम बरदार माना जाता है। वे पिछले 27 वर्षों से अंजुमन-ए-इस्लाम में सक्रिय रूप से जुड़े हैं। वे महाराष्ट्र उर्दू हाईस्कूल कुर्ला व मजरूह एकेडॅमी के अध्यक्ष के साथ-साथ तंजीम-ए-वालदैन तथा आयडियल एजुकेशन से भी संलग्न हैं। तरक्की उर्दू बोर्ड नई दिल्ली द्वारा एक हजार पृष्ठों पर आधारित प्रकाशित शब्दकोश "मुख्तसर उर्दू लुगत" में डॉ. शेख अब्दुल्ला का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
उर्दू साहित्य अवार्ड प्राप्त होने के संबंध में बातचीत करने पर उन्होंने कहा कि इस अवार्ड से हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ गई है और हम उर्दू शिक्षा व साहित्य के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। उनका मानना है कि उर्दू हमारी जुबान ही नहीं बल्कि तहजीब भी है और उसकी रक्षा करना हम सब की जिम्मेदारी है। वे कहते हैं कि आजकल अधिकांश लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से पढ़ा रहे हैं। ऐसे में आने वाली पीढ़ी उर्दू भाषा से दूर होती जा रही है। इसलिए इसे बचाना समय की मांग है क्योंकि उर्दू पाठक ही नहीं होंगे तो उर्दू अखबार, पत्रिकाएं और किताबें कौन खरीदेगा? डॉ. अब्दुल्ला अंग्रेजी शिक्षा के खिलाफ नहीं हैं बल्कि वे तो अनेक भाषाओं को सीखने-सिखाने के हिमायती हैं। वे उर्दू शिक्षा पर जोर दे रहे हैं और वे चाहते हैं कि हर मुसलमान उर्दू बोलना, लिखना और पढ़ना अवश्य सीखें।