(मैं, राजदेव रंजन)
ग़ुलाम कुन्दनम//
उपरवाले के घर से मैं,
राजदेव रंजन बोल रहा हूँ।
मेरे साथ चतरा के इंद्रदेव,
चंदौली के हेमंत,
शाहजहांपुर के जगेंद्र,
बरेली के संजय ही नहीं,
देश के कई अन्य
पत्रकार भी हैं।
नेता-माफिया-अपराधी गठजोड़
हमें ही ढूँढना होगा तोड़,
हमारे हत्यारे
अक्सर बच जाते हैं,
मुख्य न्यायधीश सिर्फ
आँसू बहाते हैं।
जबतक हम एकजुट हो
आंदोलन नहीं चलाएँगे,
नेता हमें न्याय दिलाने को
समुचित कानून
नहीं बनाएँगे ।
सफेदपोशों के पार्टी फंड में,
कालाधन ही आता है,
भले ही कालाधन मिटाने का,
जनता से उनका वादा है,
जनता और भारत माँ का
खून चूसने वाले ही
पार्टियाँ चलाते हैं,
तभी तो चुनाव में
एक दिन में कई जगह
जहाज से जाते हैं।
पैसा पानी की तरह बहाते है।
बिहारशरीफ के
राजेश से है कहना,
एमएलसी से संभल कर रहना,
सभी पाक- पवित्र पार्टियों के पार्षद,
कालाधनी और बाहुबली
दोनों होते हैं,
चुनाव में सबके घर पैसे पहुँचाते,
पत्रकारों के लिए भी उपहार लाते ।
इसकी खबर प्रधानमंत्री को भी है,
मुख्य चुनाव आयुक्त से लेकर,
मुख्य न्यायधीश ही नहीं,
महामहिम को भी है,
जब सारे के सारे मौन हैं
तो तुम्हारे पीछे कौन है?
अररिया के हीरा को
हाथ- पैर बांधकर
बंधक बनाया गया,
जान से मारने की बात कर
धमकाया गया,
आज सैकड़ों में हम यहाँ
असमय आ गए,
कल कोई और आएगा
अगर इसी तरह मौन रहे
तो आपका भी नंबर आएगा।