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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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हे अमृत ...! हमें माफ़ करना....!!

युवा पत्रकार नीलेश शुक्ला के बाद आज सुबह अमृत मोहन की कोरोनो ने ले ली जान, राज्य के स्वास्थ्य तंत्र पर उठी उंगली

दया शंकर राय/ ये हैं अमृत मोहन (अब थे )..! लखनऊ में पीटीआई के वरिष्ठ संवाददाता । अभी दो दिन पहले ही इंडिया टुडे चैनल के एक होनहार और संवेदनशील युवा पत्रकार नीलेश शुक्ला की कोरोनो ने जान ले ली थी कि आज सुबह अमृत मोहन की मनहूस ख़बर आई..! 

पर क्या आपको लगता है कि अमृत की जान कोरोना ने ली है..! नहीं , अमृतमोहन की जान दरअसल कोरोना ने नहीं  निज़ाम के उस सड़े हुए भ्रष्ट स्वास्थ्य तंत्र के निकम्मेपन ने ली है जिसके मुस्तैद होने के बारे में इश्तहारी प्रलापी दावे किए जा रहे हैं..! खबर मिली है कि अमृत के परिजन और दोस्त उनकी बिगड़ती दशा को देख एम्बुलेंस के लिए बार-बार फोन कर रहे थे पर कहीं से रिस्पांस नहीं मिला और सुबह उन्होंने इस बदहाल और निकम्मे तंत्र से विदा ले ली..!

कोरोना पर नियंत्रण के बड़े-बड़े दावे करने वाली योगी सरकार रोजाना बैठकें करती है लेकिन लखनऊ में पिछले तीन हफ्ते से कोरोना मरीजों की संख्या रोज़ाना पांच सौ से हजार के बीच रह रही है. ! हैरत है कि इन दो पत्रकारों की मौत के बाद भी मीडिया में इस स्वास्थ्य तंत्र की संड़ाध को लेकर  कोई हलचल नहीं..!

और इस रामराज्य वाले निजाम से उम्मीद भी क्या करें..?  जो सरकार और उसका तंत्र कफील खान जैसे एक सम्वेदनशील डॉक्टर को आपराधिक षड्यंत्र के तहत फंसाने में ही अपनी सारी ऊर्जा और प्रतिभा के इस्तेमाल में लिप्त हो उससे हम मानवीय स्वास्थ्य व्यवस्था की उम्मीद कर भी कैसे सकते हैं..??

तो हे मीडिया मित्रो , आपको नहीं लगता कि हमारे प्यारे अमृत को कोरोना ने नहीं निज़ाम और उसके तंत्र की आपराधिक लापरवाही ने मारा है..! और अमृतमोहन ही क्यों इस आपराधिक लापरवाही के शिकार तो अनेक हुए हैं..!  फिर भी ये आपराधिक खामोशी...??  हे अमृत..! हमें माफ़ करना..!

दया शंकर राय के फेसबुकवाल से

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सम्पादक

डॉ. लीना