प्रकाश नीरव / मैं मीडिया हूँ। मुझे चौथा स्तंभ कहा जाता है, लेकिन इन दिनों मेरी हालत वैसे हो गई है, जैसे गली का वो खंभा, जिस पर पोस्टर, विज्ञापन और कुत्तों की दया साथ-साथ लटकती रहती है। मेरी जिम्मेदारी थी सच्चाई बताना, मगर अब मैं सच्चाई को इतना सजा-धजा देता हूँ कि खुद सच्चाई भी मुझसे शर्मिंदा हो जाए।
मेरे जन्म की कथा
एक समय था, जब मुझे बड़ी उम्मीदों से बनाया गया। लोग मुझे समाज का आईना मानते थे। मेरा काम था जनता की आवाज बनना। तब मेरी खबरें किसानों की फसल, मजदूरों के संघर्ष और छात्रों के भविष्य पर केंद्रित रहती थीं।
लेकिन फिर जमाना बदला। और जमाने के साथ मैंने भी खुद को "अपग्रेड" कर लिया। अब मेरा ध्येय है: "जो बिकेगा, वही दिखेगा।"
ब्रेकिंग न्यूज़ का आडंबर
मेरी दिनचर्या "ब्रेकिंग न्यूज़" से शुरू होती है।
"आज सुबह एक नेता ने चाय में चीनी डाली—क्या यह देश के भविष्य पर असर डालेगा?"
"अभिनेता ने डांस करते हुए चप्पल पहनी—आइए, इसके पीछे की गहरी वजह समझते हैं।"
मुझे खबरें नहीं चाहिए, मुझे मसाला चाहिए। वो मसाला, जो आपकी रसोई में भले न हो, लेकिन आपकी बातचीत का स्वाद बढ़ा दे। मैं मुद्दों को चबाकर, चाटकर, और तला-भुना कर आपकी थाली में परोस देता हूँ। मेरी खबरें भले ही आपके दिमाग का पोषण न करें, लेकिन आपके समय का भरपूर मनोरंजन करेंगी।
डिबेट: शोर का व्यापार
मेरे डिबेट शो अखाड़े बन चुके हैं।
"कृपया चुप रहें!"
"पहले मुझे बोलने दीजिए!"
"आप झूठ बोल रहे हैं!"
इन आवाजों के बीच मैं चैनल का लोगो चमका देता हूँ।
मेरे डिबेट का उद्देश्य सच तक पहुँचना नहीं है। मेरा उद्देश्य है, आपके खून में इतना उबाल लाना कि आप मेरे चैनल को बंद करने के बजाय वॉल्यूम बढ़ा दें।
सत्य की नीलामी
मैं सत्य का प्रचारक हूँ, लेकिन मेरा सच वही है, जो मुझे सबसे ज्यादा टीआरपी दे।
कभी-कभी मैं एक ही खबर को दो रंगों में दिखाता हूँ। चैनल नंबर 1 पर किसान की समस्याएँ हैं, तो चैनल नंबर 2 पर उसी किसान का कर्ज चुकाने की कहानी। सच कहाँ है? यह मैं भी नहीं जानता।
लेकिन यह तय है कि आप मुझे देखेंगे और मेरे विज्ञापनों पर भरोसा करेंगे।
विज्ञापन मेरी आत्मा है
आप मुझे जनता का आईना मानते हैं, पर सच्चाई यह है कि मेरे विज्ञापनदाता मेरा चेहरा तय करते हैं।
कभी कोई साबुन कंपनी मेरे जरिये अपना ब्रांड चमकाती है, तो कभी कोई नेता अपना एजेंडा।
अगर कल कोई मच्छर भगाने वाली क्रीम मुझे प्रायोजित करे, तो मैं मच्छरों पर विशेष डॉक्यूमेंट्री बना दूँगा।
सोशल मीडिया: मेरा नया अवतार
सोशल मीडिया ने मुझे और भी ताकतवर बना दिया है। अब मैं अफवाहों को "ट्रेंडिंग" बनाता हूँ।
"देखिए, यह वायरल वीडियो! क्या यह आपकी जिंदगी बदल सकता है?"
मुझे फर्क नहीं पड़ता कि वीडियो सच है या फर्जी। अगर वह क्लिक लाता है, तो वह खबर बन जाता है।
जनता की मांग और मेरी विडंबना
मेरी यह हालत किसकी वजह से है? आपकी। हाँ, आप ही, जो सच्चाई से ज्यादा मसाला चाहते हैं।
आप गरीब किसान की खबर पर चैनल बदल देते हैं, लेकिन अगर किसी अभिनेता का ब्रेकअप हो जाए, तो मुझे घंटे भर का शो बनाना पड़ता है।
मैं क्या हूँ?
मैं मीडिया हूँ।
मैं आपको सनसनी देता हूँ, ताकि आप मुझे देखें।
मैं आपको झूठ को सच की तरह दिखाता हूँ, क्योंकि यही बिकता है।
मैं आपके घर का मेहमान नहीं, मनोरंजन का साधन हूँ।
और जब तक आपको मसाला चाहिए, मैं ऐसा ही रहूँगा।
याद रखिए, मैं केवल आपका आईना हूँ। पर आप जो देखना चाहते हैं, वही दिखाता हूँ। मैं मीडिया हूँ।
प्रकाश नीरव, हिंदी साहित्य के प्रखर साधक, कुशल अनुवादक और संवेदनशील कवि-कहानीकार हैं