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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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व्यंग्य संग्रह "शिकारी का अधिकार " का विमोचन

युवा व्यंग्यकार, आलोचक और समीक्षक आरिफा एविस की है पुस्तक

लखनऊ । यहाँ देश की सबसे बड़ी व्यंग्य  पंचायत "अट्ठहास" और "माधयम साहित्यिक संस्थान " के तीन दिवसीय कार्यक्रम में देश के जाने माने व्यंग्यकार ज्ञान चतुर्वेदी ,गोपाल जी, अनूप श्रीवास्तव, सुभाष चन्दर, सुरेश कांत, अनूप  शुक्ल, हरि जोशी, राम किशोर आदि ने देश की सबसे युवा व्यंग्यकार, आलोचक एवं समीक्षक आरिफा एविस के व्यंग्य संग्रह  "शिकारी का अधिकार " का विमोचन किया।

आरिफा एविस  की इस पुस्तक के आने से पहले ही उनकी व्यंग्य रचनाएं  पहले ही काफी प्रसिद्धि पा चुकी है. उनकी अधिकतर रचनाएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में निरन्तर प्रकाशित  हुई है। आरिफा एविस ने अपनी पुस्तक  को  जाने  माने व्यंग्यकार अनूप श्री वास्तव  जी को समर्पित किया है। भूमिका अनूप शुक्ल जबलपुर ने लिखी है. इस पुस्तक की सबसे  बड़ी बात इसकी कीमत है जिसे मात्र 30 रूपये में प्राप्त किया जा सकता है ,इस पुस्तक का प्रकाशन लोकमित्र प्रकाशन दिल्ली से हुआ है.

प्रकाशक  ने बताया है कि पुस्तक की कीमत, व्यंग्य रचनाएं और आरिफा एविस की लोकप्रियता के कारण  यह पुस्तक पाठकों को प्रभावित करने में सफल रही है। पुस्तक की लोकप्रियता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देश ही नहीं विदेश से भी पुस्तक को खरीदने वाले पाठक बढ़ते ही जा रहे है .इस पुस्तक में  छोटे -छोटे  कुल 17 व्यंग्य है जिसमे  व्यवस्था  को  सीधे  चुनौती दी गयी है.  लेखिका  ने  शिकारी का अधिकार , पुरस्कार का मापदंड,पानी  नहीं कोको कोला पियो , पल गिर है पहाड़ नहीं , तोड़ने ही होंगे मठ सभी एक नया मठ बनाकर इत्यादि लेख तो  लाभ आधारित  व्यवस्था  को  कड़ी चुनौती  देते हुए  नए समाज की   कल्पना   ने एक नए तरह के व्यंग्य शिल्प को उकेरने  और हरिशंकर परसाई  की विरासत को आगे बढ़ाने  वाली  लेखिका के रूप में अपनी पहचान  बनाई है. 

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सम्पादक

डॉ. लीना