दस साल बाद खुला था ताला, हो रही राजनीति
बैतूल। एक ओर मध्यप्रदेश की सरकार पत्रकारों के संग मधुर सबंधो की दुहाई देकर उनके कल्याण कई योजनाओं का ढिंढोरा पीट कर पत्रकारों की हमदर्द बने रहने का नाटक कर रही है वही दुसरी ओर उस मीडिया सेंटर में ताला पड़ गया जहां पर कुछ माह पूर्व प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह आकर रूके थे। ऐसे समय में जब प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह बैतूल जिले में अपनी जनआर्शिवाद यात्रा के अंतिम चरण में बैतूल पहुंच रहे है उस कार्यक्रम से ठीक दस पहले मीडिया सेंटर में ताला लगा देना कहीं न कहीं जिला प्रशासन की उस सोची - समझी साजिश का नतीजा है जो प्रदेश की मुख्यमंत्री और मीडिया के बीच टकराव का कारण और कारक बनने जा रही है।
बैतूल जिलें के विकास पुरूष कहे जाने वाले जिले के चार बार सासंद रहे प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष स्व. बाबूजी विजय कुमार खण्डेलवाल (मुन्नी भैया) का सपना था कि बैतूल की प्रिंट मीडिया को एक ऐसी छत मुनासिब हो जो भोपाल के काफी हाऊस की कमी को पूरा कर सके लेकिन उनका सपना चकनाचूर होकर रह गया। उनके निधन के बाद से दो बार मीडिया सेंटर में प्रशासन ने ताले जड़ दिए। बाबूजी स्वर्गीय विजय कुमार खण्डेलवाल द्वारा शुरू किये गए मीडिया सेंटर लगे ताले को जिले के पूर्व कलैक्टर बी. चन्द्रशेखर ने सार्थक पहल करते हुए उसे प्रतिदिन खुले रखने के लिए प्रयास किया जिसके तहत मीडिया सेंटर प्रतिदिन खुलने लगा। इस मीडिया सेंटर में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर जिला का हर प्रशासनिक अधिकारी व राजनीतिक पार्टी का व्यक्ति आया और उसने मीडिया सेंटर में कुछ पत्रकारों द्वारा की गई सार्थक पहल का तहे दिल से स्वागत किया।
अचानक तेजी से बदले घटनाक्रम के बाद दिनॉंक 11 सितम्बर को शाम 5 बजे एसडीएम आदित्य रिछारिया स्वयं ताला लेकर आये और प्रतिदिन खुलने वाले मीडिया सेंटर में ताला लगाकर चले गये। एसडीएम की हठधर्मिता कई सवालो के घेरे में है इसके बावजूद भी उन पर इस प्रकार के आरोप लग रहे है कि वे जिले के कुछ कांग्रेसियों की कठपुतली के रूप में काम कर रहे है क्योकि उनके द्वारा किए गए कृत्य की जानकारी कांग्रेसियों की थी जिनके द्वारा यह घोषित किया गया था कि मीडिया सेंटर पर एसडीएम बैतूल से हरहाल में ताला लगवा रहे हैं जिसमें दम हो वह रूकवा ले। जानकार सूत्रो का यह आरोप है कि बैतूल जिला मुख्यालय के कांग्रेसियों में इस घटना को लेकर विशेष रोष है कि बैतूल मीडिया सेंटर के लिए प्रथम बार पूर्व केन्द्रीय मंत्री सांसद असलम शेरखान के द्वारा जो राशी स्वीकृत की गई थी। सासंद निधि से बने भवन का उद्याटन पूर्व भाजपा सांसद बाबूजी स्व. विजय कुमार खण्डेलवाल से जानबुझ कर करवाया गया।
आज जिला प्रशासन यह भी बात दोहरा रहा है कि कांग्रेसी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह द्वारा बैतूल पत्रकार परिवार के द्वारा दिए गए ज्ञापन में स्वीकृत की गई एक लाख रूपए की राशि मीडिया सेंटर हेतू सामग्री के लिए थी जो खरीदी जाने के बाद से आज दिनांक तक मीडिया सेंटर नहीं पहुंची। मामले की कई बार शिकवा - शिकायतें हुई लेकिन जाँच की आड़ में उक्त मामले को हर बार दबाने का प्रयास किया गया। इस बार तो हद ही हो गई जब एसडीएम बैतूल ने बैतूल के कुछ कांग्रेसियों के कहने पर उक्त राशि को स्वेच्छानुदान बताकर उक्त राशि से खरीदी गई सामग्री के मीडिया सेंटर न पहॅुचने एवं लोगों द्वारा उक्त सामग्री के कतिपय उपयोग का मामला दबाने का प्रयास किया गया। कुछ पत्रकारो का आरोप है कि चूंकि एक लाख रूपए से खरीदी गई सामग्री का सही स्थान पर न पहुंचने का मामला अमानत मे खयानत का होने के बावजूद भी जिला प्रशासन एवं एसडीएम द्वारा कांग्रेसियों का पक्षधारी लेते हुए गोलमाल करने वालों को बचाने का प्रयास भी किया गया जो इस बात को प्रमाणित करता है कि जिलें के अधिकारी आज भी कांग्रेस नमो: की माला जप रहे, यही नही खुले रूप में कांग्रेसियों द्वारा जानबूझकर मीडिया सेंटर में ताला लगवाने के पीछे यह मंशा रही है कि पत्रकार भाजपा के खिलाफ हो जाए ताकि विधानसभा चुनाव मे भाजपा चारों खाने चित हो जाए।