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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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पत्रकारिता के विद्यार्थियों ने जारी किया मांगपत्र

पूरे बिहार के छात्र-छात्राओं की आवाज, इस स्मारपत्र को लेकर अब मिलेंगे मुख्यमंत्री से 

सादिक हुसैन/ पटना/ पत्रकारिता एवं जनसंचार के साठ से अधिक विद्यार्थियों द्वारा उच्च शिक्षा संस्थानों में केरियर की बेहतर संभावनाएं और छात्र-छात्राओं को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए पैंतालीस से अधिक मांगों पर आधारित तैयार स्मारपत्र का विमोचन बुधवार को गांधी संग्रहालय में किया गया। विमोचन समारोह में नालंदा खुला विश्वविद्यालय, पटना के पूर्व कुलपति प्रो. (डॉ.) कौशलेन्द्र कुमार सिंह, दूरदर्शन केन्द्र, पटना के समाचार संपादक, संजय कुमार और कंसल्टेंसी एजेंसी रोज माइन के संचालक मुख्य रूप से मौजूद थे। स्मारपत्र की परिकल्पना जनसंचार एवं पत्रकारिता शिक्षक सैयद जावेद हसन की थी, जबकि सहयोग साकिब जिया और इमरान रही.

तैयार मांगपत्र लेकर अब वे राज्यपाल, मुख्य मंत्री, उप मुख्य मंत्री, शिक्षा मंत्री और संबंधित कुलपति एवं प्राचार्य से मिलेंगे।  विमोचन समारोह के अवसर पर जावेद हसन ने कहा कि उच्च शिक्षा संस्थानों में विद्यार्थियों को मूलभूत सुविधाओं से लेकर केरियर निर्माण तक के लिए जूझना पड़ता है। उन्होंने कहा कि व्यावसायिक पाठ्य के विद्यार्थियों को कुछ ज्यादा ही कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है जबकि वे अन्य पाठ्यक्रमों की तुलना अधिक फीस देते हैं। जावेद हसन ने कहा कि इन्ही पृष्ठभूमि में पत्रकारिता एवं जनसंचार के विद्यार्थियों ने सरकार और विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय प्रशासन को अपनी समस्याओं से अवगत कराने के लिए मांगपत्र तैयार किया है। उन्होंने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि पटना विश्वविद्यालय, पटना कॉलेज, कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस और मौलाना मजहरुल हक अरबी एवं फारसी विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार के विद्यार्थियों ने इस दिशा में पहल की और मांगपत्र तैयार किया। उन्होंने बताया कि इस मांगपत्र की विशेषता यह है कि इसमें पूरे बिहार के छात्र-छात्राओं की आवाज है। 

जावेद हसन ने विश्वास व्यक्त किया कि सरकार उनकी मांगों पर न केवल गंभीरता से विचार करेगी, बल्कि उन्हें स्वीकार करते हुए अपनी नीतियों में भी शामिल करेगी।

मांगपत्र में स्मार्ट क्लासरूम, लैब, प्रैक्टिकल क्लास, शांतिपूर्ण माहौल, में पठन-पाठन, व्यावसायिक कोर्स की फीस में कमी, आर्थिक आधार पर आरक्षण, ज्वलंत विषयों पर संगोष्ठी, सेमिनार का आयोजन, कैम्पस सेलेक्शन, रोजगार मेला का आयोजन, शिक्षकों की नियुक्ति, कैंटीन, बिजली-पानी, शौचालय जैसी मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता, आदि शामिल हैं।     

अपनी मांगों के प्रति अपनी एकता एवं प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने के लिए विद्यार्थियों ने संग्रहालय परिसर में मानव जंजीर का निर्माण भी किया।

इससे पूर्व अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो. (डॉ.) कौशलेन्द्र कुमार सिंह ने विद्यार्थियों के प्रयास की सराहना करते हुए उन्हें बधाई और कहा कि उनमें इतनी क्षमता है कि वे समाज को नई दिशा दे सकते हैं, सरकार को हिला सकते हैं। उन्होंने पत्रकारिता के छात्र-छात्राओं को अच्छा और सच्चा पत्रकार बनने की सलाह दी।

वहीं विशिष्ट अतिथि के रूप में संजय कुमार ने कहा कि अपनी समस्याओं पर आधारित मांगपत्र तैयार करके विद्यार्थियों ने बताया है कि वे कितने गंभीर हैं। उन्होंने विद्यार्थियों को सुझाव दिया कि अब उन्हें अपना अगला कदम तय करना चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को अब अपना मांगपत्र सांसद से लेकर वार्ड पार्षद समेत समस्त जनप्रतिनिधियों को देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई उनकी बात एक बार में नहीं सुनता है तो बार-बार देना चाहिए ताकि उनपर छात्रों का दबाव बना रहे। उन्होंने कहा कि देश में डिजिटलाइजेशन की बात चल रही है लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और है। ऐसे में पत्रकारिता के विद्यार्थियों द्वारा डिजिटल क्लासरूम की मांग किया जाना सराहनीय है। उन्होंने कहा कि यह मांगपत्र भविष्य में होने वाले बदलाव की बुनियाद साबित होगा।   

कार्यक्रम से पत्रकार तथा पत्रकारिता एवं जनसंचार के शिक्षक, इमरान सगीर, साकिब जिया और नवाज शरीफ ने भी संबोधित किया।  

विमोचन समारोह में रोज माइन के केरियर काउंसेलर ओवैस अंबर ने पत्रकारिता के विद्यार्थियों को केरियर संबंधी सुझाव और सफलता के टिप्स दिए।

कार्यक्रम के आरंभ में पटना विश्वविद्यालय के पत्रकारिता के छात्र सुधांशु आनंद और सलीम ने सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत सोलो नाल की प्रस्तुति दी। 

मांगपत्र में शामिल पत्रकारिता के विद्यार्थियों की मांगें

-पत्रकारिता एवं जनसंचार के विद्यार्थियों को प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और वेब मीडिया के उपकरण पर आधारित लैब एवं स्टुडियो की सुविधा सुनिश्चित कराई जाए.

-समस्त व्यवसायिक एवं तकनीकी पाठ्यक्रमों में भी प्रैक्टिकल क्लास पर विशेष ध्यान दिया जाए.

-लंबित पाठ्यक्रमों की स्वीकृति राजभवन/शिक्षा विभाग/विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की जाए.

-स्मार्ट एवं डिजिटल क्लास की व्यवस्था की जाए.                                  

-शिक्षण में सैद्धांतिक पक्ष के अलावा व्यवहारिक एवं सामयिक पक्षों पर भी विशेष बल दिया जाए. 

-बाज़ार/रोज़गार एवं आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सामान्य/व्यवसायिक पाठ्यक्रमों के सिलेबस को समय-समय पर मोडिफाई करके उसे अपडेट किया जाए और समय के अनुकूल बनाया जाए.

-पेपरवाइज़ क्लास की संख्या पूर्व ही निर्धारित कर दी जाए तथा आवश्यकतानुसार क्लास की संख्या में वृद्धि की जाए.

-सेन्ट्रल लाइब्रेरी की तर्ज़ पर आधुनिक सुविधाओं के साथ राज्य स्तरीय पुस्तकालय की स्थापना की जाए, जहां विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में पढ़ाए जा रहे तमाम विषयों की विभिन्न भाषाओं में अधिक से अधिक पुस्तकें मौजूद और विद्यार्थियों को आसानी से उपलब्ध हों.

-प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के लिए रिसर्च फ़ंड क़ायम किया जाए ताकि वे अपने आइडिया पर शोध करें, ताकि तत्पश्चात उस आइडिया को व्यापक राष्ट्र/समाज हित में लागू किया जा सके. 

-कारगर एवं प्लेसमेंट सेल का गठन सुनिश्चित की जाए.

-नियमित रूप से, विशेषकर पत्रकारिता एवं जनसंचार के विद्यार्थियों के लिए, कैम्पस सेलेकशन और रोज़गार मेला का आयोजन किया जाना चाहिए.

-विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास के लिए समय-समय पर तरह-तरह के कार्यक्रम आयोजित कराए जाएं.

-विद्यार्थियों में छिपी हुई सृजनात्मक/रचनात्मक प्रतिभा को बढ़ावा देने के लिए आवश्यकतानुसार गतिविधियां कराई जानी चाहिए.

-गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए विद्यार्थियों का निरंतर मूल्यांकन होते रहना चाहिए.

-ज्वलंत विषयों पर संगोष्ठी, सेमिनार, सम्मेलन, प्रतियोगिता, आदि का समय-समय पर आयोजन कराया जाए.

-विद्यार्थियों की भाषा एवं लेखन कला में सुधार के लिए अलग से प्रैक्टिकल क्लास का आयोजन किया जाए.  

-व्यवसायिक पाठ्यक्रमों के लिए भी शिक्षकों/गेस्ट फ़ैकल्टी की स्थायी रूप से नियुक्ति की जाए.

-रिक्त पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति करके उनकी संख्या बढ़ाई जाए.

-योग शिक्षक नियुक्त किए जाएं.

-बीएड/एमएड पाठ्यक्रमों में नामांकन के लिए सीट की संख्या बढ़ाई जाए.

-स्कूल की तर्ज़ पर विष्वविद्यालय/महाविद्यालय में भी षिक्षक-छात्र अनुपात निर्धारित होना चाहिए.

-स्थायी शिक्षकों/गेस्ट फ़ैकल्टी की आवंटित क्लास के अनुसार उपस्थिति सुनिश्चित की जाए.

-शिक्षक आत्मनिरीक्षण करें और अपनी शिक्षण-विधि में सुधार लाएं.

-खेल-कूद विभाग और जिमनैजियम हॉल सुचारु रूप से चलने चाहिए.

-अनुशासन के लिए बने नियमों के कठोरता से पालन की हर स्तर पर व्यवस्था की जाए.

-इंटर्नशिप और असाइनमेंट के नियम सख़्ती से लागू किए जाएं.  

-नामांकन में विद्यार्थियों को आर्थिक आधार पर भी आरक्षण दिया जाए.

-सवर्ण जाति के आर्थिक रूप से पिछड़े विद्यार्थियों को भी नामांकन में आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए.

-व्यवसायिक पाठयक्रमों की फ़ीस कम होनी चाहिए, ताकि ग़रीब विद्यार्थियों को भी उसका लाभ मिल सके.

-वोकेशनल और जेनरल कोर्स की फ़ीस एक समान होनी चाहिए.

-उच्च शिक्षा को तकनीकी शिक्षा के समान महत्व दिया जाए.

-छात्राओं के साथ दुर्व्यवहार पर नियंत्रण के लिए जेंडर सेल का गठन किया जाए.

-छात्राओं के लिए अलग से वाशरूम की व्यवस्था होनी चाहिए.

-विद्यार्थियों को होने वाली कठिनाइयों पर नज़र रखने और उन्हें दूर करने के लिए विद्यार्थियों एवं शिक्षकों की रेडरेसल कमिटी का गठन किया जाए.

-शिक्षा संस्थान परिसर में सुरक्षा व्यवस्था सख़्त की जाए.

-शांतिपूर्ण माहौल में पठन-पाठन सुनिश्चित किया जाए.

-परीक्षा संचालन एवं परीक्षाफल प्रकाशन को पारदर्शी, दोषमुक्त और भ्रष्टाचारमुक्त बनाया जाए.

-मार-पीट और रैगिंग जैसी घटनाओं पर कठोरता से अंकुश लगाया जाए. 

-कैंटीन खोलकर अनुदानित दर पर विद्यार्थियों को खाने-पीने की चीज़ें उपलब्ध कराई जाएं. 

-डीडी बनवाने/फ़ार्म आदि भरने में विद्यार्थियों की सुविधा के लिए प्रत्येक शैक्षिक संस्थान में बैंक/पोस्ट ऑफिस की शाखा खोली जाए.

-उपस्थिति संबंधी गड़बड़ी पर रोक लगाने के लिए उपस्थिति बायोमेट्रिक तरीक़े से बननी चाहिए.

-छात्र यूनियन को बढ़ावा जबकि छात्र राजनीति पर अंकुश लगाने के लिए स्पष्ट नीति अपनाई जाए.

-छात्र संगठनों को कॉलेज की गवर्निंग बॉडी में प्रमुख स्थान मिलना चाहिए ताकि विद्यार्थियों की समस्याएं हल होने में सुविधा हो.

-शिक्षा संस्थानों में अलग से एक ऐसा सेल भी गठित हो, जो साफ़-सफ़ाई, बिजली-पानी, आदि की नियमित उपलब्धता सुनिष्चित की जाए.

-निर्माण के साथ-साथ रख-रखाव पर भी विशेष ध्यान दिया जाए.

-शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए केन्द्र एवं राज्य के शिक्षा मंत्रियों के बीच समन्वय होना चाहिए.

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सम्पादक

डॉ. लीना