मुस्लिम महिलाओं को पर्सनल लॉ में बदलाव स्वीकार नहीं: एआईएमपीएलबी
साकिब ज़िया/ पटना। अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने तीन बार तलाक के मुद्दे को बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत करने का मीडिया पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुस्लिम महिलाएं मुस्लिम पर्सनल लॉ में किए जाने वाले किसी भी बदलाव को स्वीकार नहीं करेंगी।
एआईएमपीएलबी ने कहा है कि , “इस्लाम में तलाक को गलत और नापसंद किया गया है।
यदि पति-पत्नी साथ में रहने के लिये आपसी सहमति बनाने में विफल होते हैं तब इस रिश्ते से अलग होने का तलाक एक सुरक्षित तरीका है।
” बोर्ड ने कहा कि कुरान और हदीस में तलाक का स्पष्ट उल्लेख है।
तीन बार ‘तलाक’ कहना इस्लाम में तलाक का ‘बिदत’ तरीका है।
बोर्ड ने मीडिया पर इस मामले को बढ़ा चढ़ा कर प्रस्तुत करने का भी आरोप लगाया।
बोर्ड ने उस रिपोर्ट का भी विरोध किया जिसमें 92 प्रतिशत मुस्लिम महिलाएं तीन बार तलाक के कानून में बदलाव के पक्ष में हैं और इस विषय को लेकर मुस्लिम पर्सनल लॉ में बदलाव चाहती हैं।
बोर्ड ने राष्ट्रीय महिला आयोग की उस याचिका का भी खंडन किया जिसमें तलाक के लिए मुस्लिम पर्सनल लॉ को खत्म करने की मांग की गई है ।
बोर्ड ने कहा कि लोग इस नियम का पालन न करने के लिए स्वतंत्र हैं और वे विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी कर सकते हैं।
बोर्ड ने लैंगिक असमानता के बारे में कहा कि यह सब इस्लाम और मुस्लिमों को बदनाम करने की साजिश है।