The Indian Journalists Union (आईजेयू) ने आज प्रेस वक्तव्य जारी कर इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया
नई दिल्ली/इंफाल/ भारतीय पत्रकार संघ (आईजेयू) ने मणिपुर में सुरक्षा बलों द्वारा पत्रकारों के उत्पीड़न की कड़ी निंदा की, आज प्रेस वक्तव्य जारी कर इसे प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला बताया। आईजेयू ने सुरक्षाकर्मियों की अस्वीकार्य कार्रवाइयों की कड़ी निंदा की, जो कथित तौर पर 4 महा रेजिमेंट से हैं, जिन्होंने 20 मई, 2025 को मणिपुर के उखरुल में शिरुई लिली फेस्टिवल को कवर करने के लिए यात्रा कर रहे पत्रकारों की एक टीम को रोका।
पत्रकार, मणिपुर राज्य परिवहन (एमएसटी) बस में यात्रा कर रहे थे, जिसकी व्यवस्था राज्य सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा की गई थी। सूचना एवं जनसंपर्क (डीआईपीआर) के एक प्रवक्ता ने बताया कि पत्रकारों को इम्फाल पूर्वी जिले के ग्वालताबी चेकपॉइंट पर रोका गया और वाहन पर प्रदर्शित “मणिपुर राज्य परिवहन” शब्दों को छिपाने का निर्देश दिया गया। यह अभूतपूर्व निर्देश, जो राज्य की पहचान को कमजोर करता है और प्रेस की स्वतंत्रता में बाधा डालता है, ने पत्रकारों को अपना काम छोड़कर विरोध में इम्फाल लौटने के लिए प्रेरित किया।
भारतीय पत्रकार संघ (आईजेयू) पूरे भारत में पत्रकारों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक प्रमुख निकाय है। आईजेयू ने इस घटना को प्रेस की स्वतंत्रता पर सीधा हमला और जनता को सूचित करने में मीडिया की भूमिका को दबाने का प्रयास बताया। उसने कहा कि यह कार्रवाई न केवल एक स्वतंत्र और निडर चौथे स्तंभ के लोकतांत्रिक सिद्धांतों का उल्लंघन करती है, बल्कि पत्रकारों की बिना किसी हस्तक्षेप के अपने पेशेवर कर्तव्यों को पूरा करने की क्षमता के बारे में गंभीर चिंताएं भी पैदा करती है।
आईजेयू ने ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन (एएमडब्ल्यूजेयू), एडिटर्स गिल्ड ऑफ मणिपुर (ईजीएम), उखरुल डिस्ट्रिक्ट वर्किंग जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन (यूडीडब्ल्यूजेए) और अन्य संगठनों व सांसद अंगोमचा बिमोल अकोईजाम, जिन्होंने सुरक्षा बलों द्वारा किए गए इस कृत्य की निंदा की है, के साथ एकजुटता दिखाई है।
आईजेयू के अध्यक्ष और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व सदस्य गीतार्थ पाठक ने कहा, "यह घटना प्रेस को दबाने और हमारे देश के लोकतांत्रिक ताने-बाने को कमजोर करने का एक ज़बरदस्त प्रयास है। पत्रकारों को अपने कर्तव्यों का पालन करते समय अपने राज्य का नाम छिपाने के लिए मजबूर करना न केवल प्रेस की स्वतंत्रता का अपमान है, बल्कि एक खतरनाक मिसाल भी है जो भारत के भीतर मणिपुर की संप्रभुता पर सवाल उठाती है। हम इस मामले की तत्काल जांच और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं।"
आईजेयू महासचिव और इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स (आईएफजे) की उपाध्यक्ष सबीना इंद्रजीत ने कहा, “मणिपुर में पत्रकारों का उत्पीड़न डराने-धमकाने के एक परेशान करने वाले पैटर्न का हिस्सा है जो मीडिया पेशेवरों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को खतरे में डालता है। सुरक्षा बलों को लोकतंत्र में पत्रकारों की भूमिका का सम्मान करना चाहिए और सार्वजनिक हित की घटनाओं पर रिपोर्ट करने के लिए उनकी निर्बाध पहुँच सुनिश्चित करनी चाहिए। हम मणिपुर सरकार और केंद्रीय अधिकारियों से प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं कि ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों।”
आईजेयू ने मणिपुर सरकार के इस घटना की जाँच के लिए जाँच समिति गठित करने के निर्णय का स्वागत किया है, जैसा कि 21 मई, 2025 को घोषित किया गया था। हम जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने और भविष्य में इस तरह के उल्लंघन को रोकने के उपायों की सिफारिश करने के लिए पारदर्शी और समयबद्ध जाँच की माँग करते हैं। आईजेयू यह भी माँग करता है कि अधिकारी मणिपुर और देश भर में, विशेष रूप से संघर्ष-संवेदनशील क्षेत्रों में काम करने वाले पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करें। भारतीय पत्रकार संघ स्वतंत्र, स्पष्ट और निडर प्रेस को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है और पत्रकारों के अधिकारों और नागरिकों के सूचना के अधिकार की वकालत करना जारी रखेगा। हम राज्य और केंद्र सरकारों सहित सभी हितधारकों से प्रेस की स्वतंत्रता के सिद्धांतों को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने का आह्वान करते हैं कि पत्रकार बिना किसी डर या बाधा के अपने कर्तव्यों का पालन कर सकें।
(अंग्रेजी में जारी प्रेस वक्तव्य का हिंदी सार )