पटना। सड़क से संसद तक भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की लड़ाई लड़ने वाला संगठन भोजपुरी जनजागरण अभियान के राष्ट्रीय प्रवक्ता संतोष के यादव ने अपने बिहार प्रवास के दौरान बातचीत में कहा कि वर्तमान सरकार की उदासीनता के कारण भोजपुरी आकादमी, बिहार अपनी बदहाली के दौड़ से गुजर रही है। भोजपुरी अकादमी के द्वारा किसी प्रकाशन का कार्य नहीं हो रहा है। यह दुःखद है। जब कि भोजपुरी अकादमी की स्थापना बाबू कर्पूरी ठाकुर ने 16.06.1978 को ही भाषायी समाजवाद की स्थापना के उद्देश्य से किया था तथा इसे सरकार के एक विभाग के रूप में मान्यता दिया था। वहीं सरकार द्वारा बाबू कर्पूरी ठाकुर के सपनों की हत्या कर रही है। उनके कथित चेले नीतीश जी के ही सरकार में भोजपुरी और भोजपुरी अकादमी का गला घोंटा जा रहा है। कर्पूरी ठाकुर मानते थे कि मातृभाषा और राष्ट्र भाषा के बिना बहुसंख्यक जनता के साथ न्याय नहीं हो सकता है। परंतु वर्तमान सरकार भाषाई समाजवाद को भूल गई है।
आगे कहा कि अगर भोजपुरी के प्रति अगर सरकार की नीयत साफ है और बाबू कर्पूरी ठाकुर के सपनों को साकार करते हुए भाषाई समाजवाद स्थापित करना चाहती है तो हम बिहार सरकार से माँग करते है बिहार सरकार भोजपुरी को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दे। भोजपुरी अकादमी के अध्यक्ष के बहाली करे, भोजपुरी अकादमी के सक्रियता और रचनात्मकता को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा विभाग फण्ड जारी करे, भोजपुरी शिक्षक और प्राध्यापक के बहाली करे, बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में भोजपुरी की पढ़ाई सुनिश्चित हो।
हम वर्तमान सरकार को बताना चाहते हैं कि माँ और मातृभाषा के मुद्दे पर किसी भी कीमत पर कोई समझौता नहीं होगा। दुनिया में हर चीज का विकल्प हो सकता है पर माँ और मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं हो सकता। इसलिए माँ और मातृभषा के मुद्दे पर किसी कीमत पर कोई समझौता नहीं होगा। यह हमारा अधिकार है। हम इसे लेकर ही रहेंगे। भाषा के महत्व को बताते हुए आगे कहा है जिस देश और समाज की अपनी भाषा और अपना साहित्य नहीं होता है वह अपना अस्तित्व खो देता है। वहीं उस देश और समाज के लोगों की सबसे ज्यादा शक्ति की बर्बादी दूसरी भाषा सीखने में लग जाती है। फिर भी उनकी अभिव्यक्तियों में वो भावनाएँ और पूर्णता नहीं आ पाती जो अपनी मातृभाषा की अभिव्यक्ति में निहित होती है।
भोजपुरी एक सम्पूर्ण अभिव्यक्ति वाली भाषा है जिसमें किसी अन्य भाषा की तुलना में अभिव्यक्ति को पूर्णता प्रदान करने की क्षमता किसी अन्य भाषा की तुलना कहीं ज्यादा है। आगे कहा कि उजर धप-घप, पियर टूह-टूह, हरियर कचनार जैसे विशेषण दुनिया के किसी भाषा में नहीं हैं। ऐसे विशेषण आप को सिर्फ भोजपुरी में ही मिलेंगे।
भोजपुरी एक क्षेत्रीय ही नहीं, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय भाषा है। आज भोजपुरी भाषी देश विभिन्न राज्यों में वासी है जिसे देखते हुए अन्य राज्यों में भोजपुरी अकादमी की स्थापना हुई है। भोजपुरी अकादमी, बिहार पहला राज्य है जिसे अन्य राज्यों के लिए रोल मॉडल बनाना चाहिए। परंतु वर्तमान सरकार अपनी मातृभाषा को भूल गई है।