Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

2 अक्टूबर का सच!

शंख बजाने वाली मीडियाई फौज ने तिल और ताड़ के बीच का अंतर खत्म करने के साथ साथ सच और झूठ दोनों को ही एक मंच पर ला खड़ा किया है

अंशु शरण। जरुरी नहीं कि जोर से बोली गई बात सच हो, लेकिन जोर से मचने वाला शोर जरुर सच को दबा रहा है। महाभारत काल में अश्वथामा हाथी का मारा जाना भले ही एक घटना हो लेकिन यही हमारी राजनीति और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की सांठगाठ की बुनियाद भी है । शंख बजाने वाली मीडियाई फौज ने तिल और ताड़ के बीच का अंतर खत्म करने के साथ साथ सच और झूठ दोनों को ही एक मंच पर ला खड़ा किया है। 2 अक्टूबर का सच गाँधी जयंती पर राष्ट्रीय स्वच्छता अभियान की शुरुवात के द्वारा महात्मा गाँधी को श्रद्धांजलि देने की अच्छी कोशिश की गयी है। जो बारम्बार बापू को मारने वाली सरकारी नीतियों और राजनैतिक संस्कारो पर पर्दा डाल रही है। कारपोरेट घरानों को लूट की छुट देने वाली, घोर केन्द्रीयकरण में काम करने वाली सरकार गाँधी जयंती को झाड़ू लगाकर धूल उड़ाकर लोगों के आँखों में धूल झोंकने का प्रयास किया है। जिसकी पुष्टि अगले ही दिन दशहरा पर आरएसएस के स्थापना समारोह को दूरदर्शन पर प्रसारित करके की गयी ।

गौरतलब है की गाँधी जी की हत्या के बाद संदिग्ध भूमिका वाली इस संगठन पर प्रतिबन्ध भी लग चूका है। कपूर कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार तो आरएसएस संगठन के कई महत्वपूर्ण सदस्य गाँधी जी के हत्या में शामिल थे। इसके अलावा भी 5.32 लाख करोड़ की कारपोरेट कर्ज माफ़ी, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का बढ़ता प्रतिशत ना ही हमें आर्थिक रूप से स्वालंबी बनाएगा और ना ही आर्थिक विकेंद्रीकरण को बढ़ने देगा। सत्ता के विकेंद्रीकरण में अटूट विश्वास रखने वाले गाँधी को आज उस सरकार द्वारा याद किया जा रहा है जहाँ गृह मंत्रालय की फाइलें भी पीएमओ होकर जाती हो। जहाँ संसद में बजट पेश होने से पहले ही रेल किराया बढ़ा दिया जाता हो। सरकार की कार्य प्रणाली से लेकर उसकी नीतियाँ तक कहीं भी गांधीवाद कोई कतरा नहीं दिखाई देता। राजनैतिक कल्चर के बारे में तो पूछिये मत देशभक्ति प्रमाण पत्र जारी करने वाले इस राजनैतिक दल ने अनेकों बार कई भारतीयों को पाकिस्तान जाने की सलाह दी है। मुज्जफरनगर दंगे के 63 आरोपियों को जेल यात्रा सम्मान देने जा रहे ये लोग आज गाँधी को नमन कर रहें है। ऐसे में गाँधी जयंती पर झाड़ू लगाया जाना धूल उड़ाने की कोशिश भर नहीं है तो और क्या है?

(ये लेखक के निजी विचार हैं)

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना