सोशल मीडिया के लिए नियम और प्रतिबंध बेहद जरूरी है। एनडीटीवी की एसोसिएट प्रोड्यूसर और वरिष्ठ पत्रकार एंकर नग़मा सहर से मीडियामोरचा के ब्यूरो प्रमुख साकिब ज़िया की खास बातचीत
पटना। देश की मौजूदा मीडिया, उसकी जिम्मेदारियां और पत्रकारों का दायित्व एवं उनके आजकल की स्थिति पर बेबाकी से चर्चा करते हुए वरिष्ठ पत्रकार नग़मा ने कहा कि यह हकीकत है कि आज सोशल मीडिया पारंपरिक मीडिया के मुकाबले ज्यादा ताकतवर है। नई पीढ़ी आजकल अखबार और टीवी चैनलों के समाचारों का इंतजार नहीं करती है, वह व्हाटसअप,ट्विटर और फेसबुक के माध्यम से मिलने वाली सूचनाओं को ही हमेशा सच मान लेती है और उसे खबर समझ लेती है। नग़मा कहती हैं कि मौजूदा इन माध्यमों में गति तो है लेकिन कभी कभी सत्यता की कमी के कारण यह एक खतरनाक अफवाह बन जाती है। इन माध्यमों से जानकारी मिलने के बाद लोग उसकी पुष्टि करना जरूरी नहीं समझते जो समाज और देश के लिए घातक सिद्ध हो सकती है।
नग़मा, पत्रकारों को डराने की बात से पूरी तरह इत्तेफाक नहीं रखती हैं। वह कहती हैं कि ऐसा नहीं है कि हिन्दुस्तान में पत्रकारों को एक खास तबका डराने की जुगत में लगा रहता है हालांकि कुछ पत्रकार हो सकते है डर जाते हों, लेकिन फिर भी अपनी बातों को लोगों तक पहुंचाने की काफी आज़ादी है। मामला सत्तारूढ़ दल से जुड़ा हो या प्रधानमंत्री से या फिर किसी और से भी तो, भरपूर आलोचना भी होती है। आप सोशल मीडिया को ही देख लीजिए तो हर जगह एक सकारात्मक प्रतिक्रिया आती ही रहती है।
देश के विभिन्न इलाकों में पिछले कुछ समय से पत्रकारों पर हो रहे हमलों पर नग़मा ने कहा कि अगर आज के पत्रकार कुछ लिख रहे हैं, कुछ कह रहे हैं और उनकी यह कोशिश बहुत सारे अलग विचारधारा के लोगों को नापसंद भी हो सकता है। वह कहती हैं कि भले ही ऐसे लोग किसी भी दल के समर्थक हों लेकिन यह सरकार में बैठे लोगों की जिम्मेवारी बनती है कि माहौल को स्वस्थ और सुरक्षित रखा जाए। ऐसा इसलिए भी जरूरी है ताकि एक हद से ज्यादा हो जाने के बाद एक कड़ा मैसेज लोगों तक पहुंचाया जा सके। पिछले दिनों एनडीटीवी जैसे संस्थानों पर सरकार की ओर से की गई सख्ती पर वह कहती हैं कि जिन्हें बोलना है वह पाबंदी और दबाव के बावजूद भी सोशल मीडिया के प्लेटफार्म के माध्यम से अपनी बातों को सामने ला रहे हैं।
युवा पत्रकारों को शुभकामनाएं देते हुए नग़मा सहर साफ संदेश देती हैं कि आप रिपोर्टर बने, रिपोर्ट करें और उसमें अपने पूर्वाग्रहों को ज्यादा न जोड़े। वह कहती हैं कि फील्ड में जरूर जाएं दोनों पक्षों की बातों को सुने, सही गलत को समझें ताकि एक निष्पक्ष और बेहतरीन रिपोर्ट जनता तक पहुंच सके जो कि एक पत्रकार की पहली जिम्मेदारी होती है।