पत्रकारिता के गिरते स्तर पर सवाल, वाईस आंफ मूवमेंट के वाराणसी ब्यूरो कार्यालय में माफिया डान का पैसा लगने का भी आरोप
विनीत राय/अतुल मोहन सिंह । पत्रकारिता का स्तर दिनों दिन गिरता जा रहा हैं। पत्रकारिता के इस गिरते स्तर पर जहां समाज के प्रबुद्घ वर्ग चिंतित हैं, वही उत्तर प्रदेश की धरती पर राजधानी लखनऊ से प्रकाशित अखबार वाईस आंफ मूवमेंन्ट दिनों दिन नया इतिहास रचता नजर आ रहा है। अभी कुछ दिन पूर्व इस अखबार ने जहां एक साथ 22 कर्मचारियों के पेट पर लात मारने का यूपी की पत्रकारिता में इतिहास रचा था, वही अब यूपी के वाराणसी शहर में धर्मसंग करपात्री, दुर्गाकुण्ड भेलूपुर स्थित अपने ब्यूरों कार्यालय के माध्यम से न केवल कर्मचारियों का 3 से 6 माह का वेतन बकाया करके इतिहास रचा है बल्कि पत्रकारिता की विधा को एक नया आयाम देने का भी इतिहास रचा हैं।
सर्वप्रथम मैं इस अखबार के कार्यालय से जुड़े उन कर्मचारियों की व्यथा को प्रकाश में लाना चाहूंगा जो कई माह से वेतन न मिलने की पीड़ा से व्ययथित हैं। इसके बाद इस अखबार में लग रहें उस काले धन को तश्दीक करना करूं गा जो यूपी के एक माफिया डॉन के सहयोग से लगाया जा रहा है। इसके बाद पत्रकारिता के पेशे को बदनाम करते हुए वाराणसी स्थित ब्यूरों कार्यालय के ब्यूरों प्रमुख द्वारा पत्रकारिता के नाम पर की जा रही माफियागिरी पर क्रमश: प्रकाश डाला जायेगा।
गौरतलब हो कि वाराणसी स्थित इस अखबार में ब्यूरों प्रमुख के रूप में श्रीकांत सिंह निवासी बड़ेवल जमालपुर मिर्जापुर कार्यरत हैं। श्रीकांत ने इस अखबार में करीब एक वर्ष पूर्व करीब आठ से दस कर्मचारी बतौर ४ हजार रूपये से लेकर ७ हजार रूपये तक रखा था। शुरूआती के एक-दो माह के दौरान उन्होंनेे कर्मचारियों को निर्धारित वेतन तो अदा किया लेकिन उसके बाद वह धीरे-धीरे कर्मचारियों को वेतन देने में आनाकानी करने लगे। कुछ कर्मचारियों ने वेतन न मिलने के कारण वाईस ऑफ मूवमेंट को छोड़ दिया। जबकि कुछ कर्मचारी करीब तीन रोज पूर्व वेतन न मिलने से नौकरी छोडक़र चले गये। इनमें से कु छ कर्मचारियों का वेतन बकाया होने को लेकर श्रीकांत से विवाद हो गया था। श्रीकांत अपने और अपने अखबार का संबंध माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी और लखनऊ स्थित विजिलेंस डिपार्टमेंट में डिप्टी एसपी का जो वास्तव में एक निरीक्षक के पद कार्यरत है का अखबार होने क ी धमकी देकर उनको जान से मरवाने की और थाने में बंद करवाने की धमकी देता है। उसकी धमकी से कु छ कर्मचारी तो सहम गये। मगर वही उनमें से एक कर्मचारी अपने ६ माह के बकाये वेतन को लेकर अड़ गया हैं। इस कर्मचारी ने अपना नाम अभी न बताने की शर्त पर बताया कि उसने करीब एक वर्ष पूर्व इस अखबार में बतौर संवाददाता के रूप में ज्वाईन किया था। उस वक्त श्रीकांत ने उसे ७ हजार रूपये पारिश्रमिकी देने का वादा किया था। श्रीकांत ने शुरूआत दौर में एक-दो माह का वेतन भी दिये थे। मगर धीरे-धीरे वह वेतन देने में आनाकानी करने लगे। उसने बताया कि अगले माह उसकी बिटिया की शादी है, उसने अपनी बिटिया की शादी के लिए अपने बकाये वेतन की मांग की तो श्रीकांत ने तीन दिन पूर्व इनके साथ ४ अन्य कर्मचारियों को जिन्होंने ने अपने बकाये वेतन की मांग की थी, को नौकरी से निकला दिया। कर्मचारियों ने गत दिनों राजधानी लखनऊ में वाईस ऑॅफ मूवमेंट से निकाले गये कर्मचारियों की दांस्ता भड़ास फार मीडिया पर पढ़ी तो उनका भी जमीर अपने हक की लड़ाई लडने के लिए जाग उठे। मगर मुन्ना बजरंगी और विजिलेंस के डिप्टी एसपी का नाम सुनकर वह थोड़ा विचलित हो गये। मगर उन्होंने अपना नाम सार्वजनिक न किये जाने की शर्त पर अपने अधिकारों की लड़ाई जारी रखने का संकल्प लिया और संबंधित सूचना राजधानी के युवा पत्रकार विनीत राय से उनके मित्र के मोबाईल नम्बर ९४५१९०७३१५ के माध्यम से मंगलवार को करीब १२ से एक बजे के बीच संपर्क कर अपनी व्यथा को बताया।
सूत्र ने बताया कि वाराणसी में इस अखबार से जुड़ा ऐसा कोई कर्मचारी नहीं हैं, जिसका दो से तीन माह का वेतन न बकाया हो। यहां तक सबसे कम पारिश्रमिकी पर कार्य करने वाले हाकर का भी तीन माह का वेतन बकाया हैं। इस कार्यालय के बगल में जो चाय पिलाने वाला दुकानदार है उसका भी हजारों रूपये चाय का बकाया हैं। जब भी वह अपने द्वारा पिलाये गये चाय के पैसे की मांग करता है। उसे भी डिप्टी एसपी और माफिया डॉन की धौस दिखा कर उसका मुंह बंद कर दिया जाता हैं। सूत्र ने बताया कि पूर्व में मार्केटिंग के लिए अखबार में कुछ कर्मचारी कार्य कर रहे थे। उनका भी कई माह का वेतन और कमीशन बकाया था। सूत्र का कहना है कि श्रीकांत का एक मित्र हैं। उपाध्याय जी जिनका मुन्ना बजरंगी से सीधा संबंध है। वाराणसी का जो ब्यूरों कार्यालय है उसका पूरा खर्च श्रीकांत के माध्यम से माफिया डान मुन्ना बजरंगी का यह खास आदमी उपाध्यय ही वहन करता है। सूत्र का कहना है कि सत्ताधारी दल के एक मंत्री का रिश्तेदार अखबार के स्वामी का रिश्तेदार भी है। श्रीकांत इन्हीं के दम पर लोगों का नौकरी में तबादला करवाने और नौकरी दिलाने के नाम पर भी वैसा वसूलता है। सूत्र का कहना कि वाराणसी के जिला सूचना कार्यालय में बाबू के पद पर कार्यरत अनिल श्रीवास्तव को श्रीकांत ने पास और विज्ञापन के रूप में रंगदारी मांगते हुए जान से मरवाने की धमकी दी थी। सूत्र ने बताया कि श्रीकांत मुंबई में भी मुन्ना बजरंगी के गिरोह में काम करता था और उसके लिए रंगदारी मांगने का भी काम करता था। इसी रंगदारी की वजह से श्रीकांत पर कुछ वर्ष मुंबई के भाई खल्ला थाने में अपराधिक मुकदमा दर्ज है।
अफसोस इस बात कि वाईस आफ मूवमेंट अपने वास्तविक उदïदेश्य को भूलकर यूपी में पत्रकारिता की एक नई विधा को बढ़ा दिया हैं। इस विधा को क्या नाम दिया जाये, पाठक स्वयं निर्धारित करें ।( ये लेखकगण के अपने विचार है )
(लेखकगण: राजधानी लखनऊ के स्वतंत्र युवा पत्रकार है।)