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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना!

जस्टिस काटजू पहले भी मीडिया की सुर्खियां बटोर चुके हैं

लिमटी खरे / संजय दत्त को माफी मिलनी चाहिए या नहीं इस बारे में बहस तेज हो गई है। संजय दत्त को अगर माननीय न्यायालय ने दोषी करार दिया है तो वे निश्चित तौर पर भारतीय कानून के अनुसार दोषी हैं। पूर्व न्यायाधिपति जस्टिस मार्कडेय काटजू ने उनकी माफी के लिए अपनी धार तेज कर दी है। उधर, संजय दत्त खुद माफी मांगने के बजाए सरेंडर करने की बात कह रहे हैं। रिटायर्ड जस्टिस काटजू भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष हैं। उन्होने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर संजय दत्त के साथ ही साथ जैबुन्नसा की माफी चाही है। रिटायर्ड जस्टिस काटजू को प्रेस परिषद के राष्ट्रपति को पत्र लिखने या संजय दत्त की माफी की बात कहने के पहले परिषद अध्यक्ष के अध्यक्ष की गरिमा और मर्यादाओं का अवश्य ही ख्याल रखा होगा, पर संजय दत्त जब खुद ही माफी नहीं मांगने की बात कह रहे हैं तो रिटायर्ड जस्टिस को उनकी माफी के प्रति इतना संजीदा होना आश्चर्यजनक ही माना जाएगा। संजय दत्त को अगर माफी मिल गई तो कल अन्य अभिनेता भी माफी की कतार में खड़े मिलेंगे।

भारतीय प्रेस परिषद का गठन मीडिया की शिकायतों के निराकरण के लिए किया गया है। इसका अपना एक अलग महत्व है। मीडिया अगर किसी के साथ ज्यादती करे या पत्रकारों अथवा मीडिया के अधिकारों का हनन हो तो प्रेस परिषद के दरवाजे खटखटाए जा सकते हैं। मीडिया बिरादरी में भारतीय प्रेस परिषद को बहुत ही सम्मान की नजरों से देखा जाता है। भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष के लिए भी मीडिया में कमोबेश यही सोच और अवधारणा है।

संजय दत्त को माननीय न्यायालय ने दोषी करार दिया। देश का इलेक्ट्रनिक मीडिया अपनी आदत के अनुसार चौबीसों घंटे संजय दत्त के पीछे पिल गया। प्रेस परिषद के अध्यक्ष सेवानिवृत जस्टिस मार्कडेय काटजू ने जब संजय दत्त की माफी की बात फिजां में उछाली तो लोगों को विशेषकर मीडिया बिरादरी को बेहद आश्चर्य हुआ। एक सेवानिवृत जस्टिस जो मीडिया की अदालत का प्रमुख हो वह अगर ऐसी बात कहे तो उसमें वजनदारी अवश्य ही होगी।

रिटायर्ड जस्टिस काटजू पहले भी मीडिया की सुर्खियां बटोर चुके हैं। इस बार वे लंबे समय से संजय दत्त के मामले के चलते मीडिया में सुर्खियों में बने हुए हैं। हाल ही में उन्होंने मुंबई ब्लास्ट केस में आर्म्स ऐक्ट में दोषी करार दिए गए बॉलिवुड ऐक्टर संजय दत्त को माफी के लिए देश के प्रथम नागरिक और भारत गणराज्य के राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को पत्र लिख दिया है।

इसमें आश्चर्य इसलिए हो रहा है क्योंकि संजय दत्त खुद माफी की अपील ना करने की बात कह रहे हैं पर जस्टिस काटजू हैं कि उन्हें माफी दिलवाने पर आमदा हैं। काटजू ने इसके साथ ही जैबुन्निसा की सजा माफी के लिए भी चिट्ठी लिखी है। काटजू ने राष्ट्रपति को जो पत्र लिखा है उसकी इबारत में इस बात का उल्लेख किया गया है कि ऐसा कहा जा रहा है कि संजय दत्त सिलेब्रिटी हैं और उनकी माफी से गलत संदेश जाएगा। मेरा मानना है कि संजय दत्त को सिर्फ इसलिए माफी नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि वह सिलेब्रिटी हैं। इसी तरह उन्हें सिलेब्रिटी होने के नाते इसका नुकसान भी नहीं होना चाहिए। अगर वह माफी के हकदार हैं तो उन्हें इससे इसलिए वंचित नहीं रखा जाना चाहिए क्योंकि वह सिलेब्रिटी हैं।

काटजू ने चिट्ठी में आगे लिखा है कि संजय दत्त पहले ही 18 महीने की सजा जेल में काट चुके हैं। पिछले 20 साल उनके लिए मानसिक तनाव से भरे रहे हैं। यही नहीं उनके दो छोटे-छोटे बच्चे भी हैं। काटजू ने इसी तरह जैबुन्निसा की 70 साल की लंबी उम्र और उनकी बीमारी को देखते हुए सजा माफी की अपील की है। काटजू ने लिखा है कि जैबुन्निसा की किडनी में ट्यूमर है और उन्हें रेग्युलर चेकअप के लिए जाना पड़ता है। इसलिए वह माफी की हकदार हैं। गौरतलब है कि संजय दत्त की तरह ही जैबुन्निसा अनवर काजी को भी अवैध हथियार रखने के मामले में दोषी करार दिया गया था। उन्हें भी 5 साल की सजा सुनाई गई है। काजी 8 महीने जेल में गुजार चुकी हैं।

वहीं दूसरी ओर जिस शख्स को सजा मिली है वह खुद अपनी माफी के लिए फिकरमंद नहीं है। मीडिया से मुखातिब संजय दत्त ने कहा कि वे अपनी सजा माफ करवाने के लिए कोई अपील नहीं करेंगे। 18 महीने की सजा काट चुके संजय को साढ़े तीन साल और जेल में रहना पड़ेगा।

संजय दत्त के मामले में तो सभी को पता है कि उन्होंने क्या किया था किन्तु जस्टिस काटजू ने जिस जैबुननिसा के लिए माफी की अपील की है उसके बारे में जान लीजिए। सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई बम धमाके में 70 साल की जैबुननिसा अनवर काजी को भी पांच साल की सजा सुनाई है। अवैध हथियार रखने के मामले में जैबुनिसा आठ महीने जेल की सजा काट चुकी है। जैबुनिसा की बेटी शगुफ्ता ने काटजू साहब को मेल करके अपनी मां को माफी दिलाने में मदद मांगी थी।

देश के लाखों पत्रकार जस्टिस काटजू की बात पर आंख बंद करके इसलिए समर्थन कर सकते हैं क्योंकि वे भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष हैं, पर यक्ष प्रश्न तो यह है कि संजय दत्त और जैबुननिसा को माफी मिलना चाहिए या नहीं और जस्टिस काटजू को इस तरह का पत्र लिखना चाहिए या नहीं!

जस्टिस काटजू भारत गणराज्य के नागरिक हैं उन्हें अपनी बात कहने का पूरा पूरा हक भारत के संविधान ने दिया हुआ है। अघोषित तौर पर अनेक पदों के साथ उसकी गरिमा और सीमाएं बंधी होती हैं। भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष रहते हुए जस्टिस काटजू अगर एसा कर रहे हैं तो यह निश्चित तौर पर पद की गरिमा के अनुकूल नहीं माना जा सकता है। देश में ना जाने कितने लोगों को न्यायालयों ने सजा दी है।

वैसे, हर मामले में जस्टिस काटजू का दिल नहीं पसीजा, चूंकि संजय दत्त सेलीब्रिटी हैं, अतः उनके साथ लोगों का लगाव हो सकता है। संजय दत्त को अगर माफी मिल गई तो कल अन्य अभिनेता भी माफी की कतार में खड़े मिलेंगे। अभी सलमान खान के खिलाफ चिंकारा के शिकार का मामला लंबित ही है। फिर इसी को आधार बनाकर हमारे देश के नीति निर्धारक जनसेवक भी अपने लिए माफी की दरकार करते नजर आएं तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

जस्टिस काटजू ने प्रणव मुखर्जी के साथ ही साथ वजीरे आजम डॉ.मनमोहन सिंह और होम मिनिस्टर सुशील कुमार शिंदे को भी इस आशय का पत्र लिखा है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे को लिखे पत्र में न्यायमूर्ति काटजू ने कहा है कि संजय दत्त ने माफी की अपील भले न की हो, लेकिन वे इसके हकदार हैं।

श्री काटजू ने कहा कि संजय दत्त 18 महीने की सजा काट चुके हैं और जेल से रिहा होने के बाद उन्हें अपने करियर को पटरी पर लाने में 5-6 वर्ष का समय लगा था। श्री काटजू ने जेबुन्निसा काजी के बारे में अपने पत्र में कहा है कि उनकी उम्र 70 वर्ष है और वे जेल में 5 वर्ष तक जीवित नहीं रह पाएंगी।

कितने आश्चर्य की बात है कि चिकित्सक भी किसी की मौत का निश्चित समय निर्धारित नहीं करते हैं पर जस्टिस काटजू ने जैबुननिसा की मौत का समय पांच साल से कम समय निर्धारित कर दिया। यह उन्होंने किस आधार पर किया है यह तो वे ही जानें पर लोग इसके बाद उन्हें जस्टिस के साथ ही साथ चिकित्सक या भविष्यवक्ता अवश्य कहने लगेंगे।

वहीं दूसरी ओर संजय दत्त ने अपराध किया उनकी सजा पाई। 18 माह वे जेल में रहे और फिर जमानत पर छूटने के बाद उन्हें अपना कैरियर पटरी पर लाने में पांच से छः साल लग गए। लगता है मानो जस्टिस काटजू एक अभिनेता की नहीं अपने किसी सगे संबंधी की हिमायत में वकालत कर रहे हों।

अगर संजय दत्त ने अपराध या गुनाह किया है तो उसकी सजा के वे हकदार हैं। हम यह कहने के कतई अधिकारी नहीं हैं कि उन्हें अपना कैरियर पटरी पर लाने में पांच छः साल लग गए थे। यह उनकी नादानी ही थी उन्होंने अपराध किया है तो वे सजा के हकदार हैं। जेल से छूटने के बाद भी वे अंडरवर्ल्ड के सतत संपर्क में थे। अगर संजय दत्त पहले ही पुलिस को बता देते तो ना जाने कितनी जानें बच जातीं।

वैस देखा जाए तो जेल की जिंदगी किसी को पसंद नहीं होती है। संजय दत्त भी नहीं चाहेंगे कि उन्हें जेल की जिंदगी नसीब हो। संजय दत्त द्वारा माफी की अपील ना किए जाने से एक अच्छा संदेश सामने आ रहा है। आम जनता उनकी इस हरकत को इस नजरिए से भी लेगी कि वे अपनी गल्ती का पश्चाताप जेल में समय बिताकर करना चाहते हैं। हर व्यक्ति को सुधरने का पूरा पूरा मौका मिलना चाहिए।

संजय दत्त ने कुछ साल पहले समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया था। नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव का रूपहले पर्दे के अदाकारों के साथ लगाव किसी से छिपा नहीं है। संजय दत्त की लोकप्रियता को भी उन्होंने भुनाने का प्रयास किया। इस मामले में नेताजी खामोश हैं। नेताजी ने कांग्रेस का साथ छोड़ने की जो बात कही है उससे लग रहा है कि वे संजय दत्त के मामले में भी कांग्रेस से खफा हैं।

इस मामले का सबसे दुखद पहलू यह हो सकता है कि अगर संजय दत्त को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी या सूबे के लाट साहब यानी राज्यपाल द्वारा माफी दे दी जाती है और वे उस माफी को स्वीकार नहीं करते हुए माननीय न्यायालय द्वारा दी गई सजा को काटने की इच्छा जताएं। हलांकि इसकी उम्मीद ना के बराबर ही है, मगर अगर संजय दत्त ने ऐसा कर दिया तो लोग कह ही उठेंगे कि बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना। (साई फीचर्स)

 

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सम्पादक

डॉ. लीना