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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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न्याय के नाम पर क्या कर रहे हैं चैनल

मीडिया आत्महत्या भी कर रहा है, कई चीज़ों की हत्या भी

विनीत कुमार। इस तस्वीर से हम सबको डरना चाहिए. सारी बातों को पीछे रखकर सोचना चाहिए कि साल 2005 में गड्ढे में गिर गए छोटे प्रिंस को बचाने के लिए जी न्यूज़ जैसे चैनल ने पचास घंटे से ज़्यादा कवरेज दी और बाकी चैनल भी लगातार दिखाते रहे, चैनल की इस कोशिश से प्रिंस तक ऑक्सीजन पहुंच सका और वो ज़िंदा वापस निकाला जा सका. आज वही मीडिया कैसे किसी के लिए सांस लेने तक की जगह नहीं छोड़ रहा है. वो एकदम से दरिंदगी पर उतर आया है.

सुशांत सिंह के लिए न्याय की लड़ाई के नाम पर ये चैनल जो कर रहे हैं, वो इंसानियत के ख़िलाफ है. सुशांत ने आत्महत्या की या उसकी हत्या की, इस पर अभी बहुत सारे तथ्य आगे आते रहेंगे लेकिन मीडिया आत्महत्या भी कर रहा है और साथ ही कई चीज़ों की हत्या भी. न्याय की लड़ाई ऐसे नहीं लड़ी जाती कि उस पर  क्रूरता की कहानी भारी पड़ जाय.

इंडिया टीवी की बेशर्मी देखिए कि वो इस पर एक्सक्लूसिव लिखकर चला रहा है और आजतक की माइक देखिए कहां है ? जिस चैनल के एंकर ने 1:41 घंटे तक रिया चक्रवर्ती से सवाल करके पूरी ज़िंदगी खंगाल लेने की कोशिश की, उसे अभी भी जानना बाकी रह गया है.

विनीत कुमार के फेसबुक वाल से साभार

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पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना