आज समाचार पत्रों में भी इस मीडिया को जगह मिल रही है। कम-से-कम एक पृष्ठ तो इस मीडिया की खबरों को समर्पित नजर आता है। प्रिंट मीडिया ने भी सोशल मीडिया की शक्ति को भांप लिया है।
बी. एस. मिरगे/ अब जमाना आ गया है भविष्य के प्रोडक्ट का। इस दुनिया में युवा भारतीय वर्चुअल दुनिया में अपने आइडिया को एक दूसरे में साझा कर रहे हैं और संपर्क स्थापित कर रहे हैं। इसमें सोशल मीडिया का हस्तक्षेप अधिक है। इंटरएक्टिव वेब प्लेटफॉर्म ने तो सूचना के सभी तंत्र को पूरी तरह से बदल दिया है। अब व्यक्तिगत तौर पर ही नहीं सामूहिक स्तर पर ही वेब दुनिया के अलग-अलग प्लेटफार्म तैयार हुए हैं। हम सब इसकी तरफ बढ़ चुके हैं। सोशल मीडिया में अपनी उपस्थिति बढ़ाने में आज हम एक प्रतिस्पर्धा के रूप में आगे बढ़ रहे हैं।
ऑनलाइन संवाद ने तो संवाद की पूरी प्रविधि को बदल दिया है। एक तरफ सभी अपनी पहुंच बनाने के लिए मीडिया का उपयोग कर रहे हैं तो दूसरी और नए-नए उपक्रमों के जरिए सामाजिक उद्यम के लोग या संगठन ऑनलाइन दुनिया का सहारा ले रहे हैं। जिन-जिन मुद्दों या विषयों से समाज या समुदाय प्रभावित हो रहा है। उन सभी मुद्दों पर हम ऑनलाईन संवाद के जरिए अपनी राय प्रकट कर रहे हैं। स्वतंत्रता की एक नई व्याख्या इस मीडिया ने हमें दी है।
दुनिया में सोशल मीडिया को तेजी से आने पर एक अलग ओर नया तरह का विकास हुआ है, मोबाइल तकनीक ने इसे और विकसित किया है और स्मार्टफोन जैसी तकनीक आने से बात करने की, लिखने की और अपने को व्यक्त करने की शैली ही बदल चुकी है। सोशल मीडिया की दिलचस्प बात का इसी से पता चलता है कि आज हम फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया पर प्राप्त संदेश से अपनी राय तय कर ले रहे हैं। इसकी पुष्टी 2012 मे हुए एक सर्वे से भी हुई है। जनरेशन अपार्च्यूनिटी रिपोर्ट के हवाले से कहा जाए तो, युवा मानते है कि सोशल मीडिया द्वारा प्राप्त संदेश से हम अपना निर्णय लेते है।
सोशल मीडिया की नई तकनीक से हमारे परिदृश्य बदल रहे हैं। आज की स्पर्धा भी ऑनलाईन हो रही है। इस मीडिया पर जिसका अधिकार ज्यादा है वह विजेता होने का अधिक दावेदार हो सकता है। हवा को पलटने और उलटफेर करने का माद्दा यह मीडिया रख सकता है। आज हमने अपने परंपरागत पते से छूटकारा पाते जा रहे हैं। आज हम घर के पते पर नहीं, जी-मेल, याहूमेल और रेडिफ मेल जैसे पते पर आसानी से मिल सकते हैं। हमारा समय इस आभासी दुनिया का प्रत्यक्ष साक्षी बन रहा है। आज से कुछ साल पीछे मुडकर देखे तो वह समय कुछ और जो आज काफी बदल बदल सा दिखाई दे रहा है। एक क्लिक पर हम अपने काम और पहुंच को आसान बना पा रहे हैं।
सूचना को प्रसारित और प्रकाशित करने का फास्ट तरीका इस मीडिया के माध्यम से इजाद हुआ है। मीडिया में स्पर्धा नहीं सहयोग होना चाहिए। आज हम देखते हैं कि समाचार पत्रों में इस मीडिया के पास जगह मिल रही है। कम-से-कम एक पृष्ठ तो इस मीडिया की खबरों को समर्पित नजर आता है। कहने का अर्थ है कि प्रिंट मीडिया ने भी सोशल मीडिया की शक्ति को भांप लिया है। वह अपने को इस मीडिया से लिंक कर रहा है। अब संदर्भ ढूंढने के लिए हम किताब कम पढ़ रहे हैं। क्लिक अधिक कर रहे हैं। लाइब्ररी न जाकर वेबसाइट पर जाते है और वहां पर रेफरेंस खोजते है। स्पेलिंग चेक करना हो या शब्दों का अर्थ खोजना हो तो हम शब्दकोश से ज्यादा वेबसाइट देखना सहज समझते हैं।
टार्गेट आडिएंस को देखते हुए और उन्हें लक्ष्य करते हुए सेवा प्रदाता सोशल मीडिया, मोबाइल या वेबसाइट जैसी तकनीक का उपयोग करता है। उन्हें ऑनलाइन तरीका अधिक आसान और लक्ष्य तक पहुंचने का सस्ता साधन नजर आता है। ‘माइक्रो-टार्गेटिंग’ की इस संकल्पना से तलाश सही और आसान हो रही है। सोशल मीडिया के इस नए औजारों से दुनिया नहीं बदलती बल्कि लोग ही दुनिया को बदल रहे है। संवाद और संचार की इस दुनिया में रोजगार की संभावनाएं बढ़ी है। इस तकनीक में माहिर या प्रशिक्षित युवाओं के लिए रोजगार के नए दरवाजे खुले हैं। प्रोग्रामरों और एप्लीकेशन तैयार करनेवाले लोगों की जरूरत दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
हम हर पल किसी-न-किसी खबर से हम घिरे होते हैं, ऑनलाइन, टी-वी, रेडियो या समाचार पत्रों के माध्यम से खबरें हमारे पास आती रहती हैं। इसे मीडिया का एक नया अवतार कहा जा सकता है। हम कहीं भी रहे दुनिया के किसी स्थान पर क्या हो रहा है हम इसका पता कर पाते हैं। इस तरह की अवधारणा को मीडिया का लोकतंत्रीकरण भी कहा जा सकता है। यही वजह है कि अमेरिका में डिजिटल ग्लोबल न्यूज प्लेटफॉर्म यानी ग्राउंड रिपोर्ट डॉट कॉम की स्थापना की गई। रेचल स्टर्न का इसकी स्थापना मे अहम योगदान है। इस वेबसाइट का उद्देश्य मीडिया का लोकतंत्रीकरण करना है। इस पर राजनीतिक सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियों की ऐसी रिपोर्ट को प्रकाशित किया जाता है, जिन्हें सिटीजन जर्नलिस्ट लिखते हैं। ‘वास्तविक’ समाचार का यह एक ऐसा जरिया है जिसे लोग पढ़ना और एक दूसरे से शेयर करना चाहते हैं। दर्शक और पाठकों को समाचारों मे शामिल करना इस प्रकार के मीडिया का एक ट्रेंड बन गया है। प्रकार के प्रयोगों से पाठक और दर्शकों के साथ मीडिया का संबंध मजबूत होगा।
वैश्विकरण के इस दौर में मीडिया भी संक्रमण की अवस्था में है, ऐसी स्थिति में भविष्य के प्रोडक्ट के तौर पर सोशल मीडिया के जरिए पत्रकारिता में बदलाव और विविधता लायी जा सकती है।
बी. एस. मिरगे
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