रवीश कुमार। पिताजी के पूछने पर कि शाम को देर से क्यों लौटे ,कहां थे तो बेटों के पास जवाब तैयार रहता है। पिताजी, ट्यूशन के बाद हम लोग अमित के घर पर ग्रुप स्टडी करने लगे थे। वही हाल भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का है। दुनिया खोज रही है कि भारत के प्रधानमंत्री अफगानिस्तान संकट …
Blog posts : "फेसबुक से "
अपने कार्यक्रम का वीडियो भी प्रधानमंत्री ही बना कर देंगे तो गोदी मीडिया क्या करेगा
एंकर को अहसास नहीं, उनका संवाददाता जान पर खेलकर लाइव कर रहा है
विनीत कुमार। अंजना ओम कश्यप को एहसास ही नहीं कि उनका संवाददाता जान पर खेलकर लाइव कर रहा है..
कंधार से आजतक के संवाददाता सिद्दिकी खां लाइव हैं. उनके चारों…
एक और मीडिया संस्थान पर छापेमारी!
सिलसिला सा बनता दिख रहा
उर्मिलेश / ये लो जी, एक और मीडिया संस्थान पर छापेमारी! यह लखनऊ(यूपी) स्थित एक चर्चित चैनल है: भारत समाचार चैनल. इसके संपादक के घर और दफ़्तर पर छापेमारी की खबर आ रही है! यह क्षेत्रीय चैनल कोरोना की तबाही और सरकारी लापरवा…
क्या न्यूज चैनल और सोशल मीडिया, मीडिया छात्रों को निठल्ला बना रहे हैं ?
विनीत कुमार। पेशे की बुनियादी बातें एकदम ठिकाने लगाकर इसकी या उसकी पक्ष लेने का सबसे ज़्यादा नुक़सान उन छात्रों और नए मीडियाकर्मियों को हुआ है जिनका सीखने-समझने और मेहनत करके इस पेशे में मक़ाम हासिल पर से तेजी से भरोसा उठने लगा है. उन्हें लगता है कि बिना विषय को समझे, ख़ूब मेहन…
क्या अखबार भी एक 'लक्जरी' है?
सीटू तिवारी। सुबह वरिष्ठ पत्रकार कन्हैया भेलारीजी को देखा कि वो अपने ही भोजपुरिया ठसक अंदाज़ में अपने पोर्टल 'न्यूज़ हाट' पर अखबारों में छपी खबरों की समीक्षा कर रहे थे। …
सहज संप्रेषण पत्रकारिता की पहली शर्त
ओम थानवी। पिछले साल मैंने एक टिप्पणी लिखी थी कि जब टीका शब्द हिंदी में है, हिंदी मीडिया ने वैक्सीन प्रयोग क्यों ओढ़ लिया है? बहरहाल, अच्छा लगा कि कुछ अख़बार-टीवी टीका-टीकाकरण भी लिखने लगे। …
आजीवकों में कोई ईश्वर का दूत नहीं होता
कैलाश दहिया/ महान आजीवक कबीर साहेब के नाम से लोग अभी भी गफलत में हैं। पिछले दिनों सोशल मीडिया पर भी गलत कयास लगाए गए हैं। वैसे तो कबीर साहेब को ले कर सारी बहसें खत्म की जा चुकी हैं। जिस में अच्छे-अच्छे खेत रहे। बावजूद इस के, निहित स्वार्थवश अभी भी कबीर पर लोग मुंह उठाकर बोलने लगत…
दोनों खबरें साथ होती तो पता चलता
अभी भी लेक्चर देने का काम चल रहा है और काम नहीं हो रहा है
रवीश कुमार/ प्रधानमंत्री धीरे धीरे पहले पन्ने की पहली हेडलाइन बनने लगे हैं। धीरे धीरे इसी तरह फिर से सब सामान्य होगा। इस खबर में जो उन्…
चौथा खम्भा आजकल इसी तरह से झूल रहा
रामजी तिवारी । अखबार का पहला पन्ना बता रहा है कि कोरोना-समय में सरकार चुस्त दुरुस्त है. अस्पताल की व्यवस्था चाक-चौबंद है. आक्सीजन की कोई कमी नहीं. टेस्ट और वैक्सिनेशन जोर-शोर से चल रहा है. दवाएं और परीक्षण सब जनता के लिए सुलभ है. …
मीडिया शर्म की बातों पर गर्व करना सीखा रहा
गिरीश मालवीय / यह खेल फिर से शुरू हो गया.... 38 साल के स्कूल टीचर देवेंद्र, अपने दोस्त रंजन अग्रवाल के लिए एक ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर झारखंड के बोकारो से लगभग 24 घंटों तक 1400 किलोमीटर गाड़ी चलाकर नोएडा दोस्त की मदद को पहुंचे। ...…
कोरोना का भय बेच रहा है मीडिया
मरने वालों की दर सिर्फ 0.53 प्रतिशत
वीरेंद्र यादव/ पटना/ कोरोना बीमारी से ज्यादा बाजार बन गया है। अखबार में कोरोना, टीवी में कोरोना, मोबाइल में कोरोना। ऑफिस में कोरोना, चाय दुकान पर कोरोना, गाड़ी में कोरोना। जिदंगी…
साहब ने वरिष्ठ पत्रकार की चिंता कम कर दी!
रितिक चौधरी/ कुछ वरिष्ठ पत्रकारों ने कहा, 'साहब माहौल खराब हो गया है। चारों तरफ कोरोना ही कोरोना है, ऐसे में आपको डिफेंड करना मुश्किल हो गया है। समझ नहीं आ रहा कि इस कोरोना को पॉजिटिव कैसे दिखाएं। चीन भी शांत पड़ा है। पाकिस्तान की तरफ से भी कोई बड़ी घटनाएं नहीं हो रही हैं और बंगाल …
पत्रकारिता पहले एक पेशा थी,अब व्यापार बन गई है
बाबासाहेब डॉ भीमराव आम्बेडकर को जयंती पर नमन
“भारत में पत्रकारिता पहले एक पेशा (प्रफ़ेशन) थी। अब वह एक व्यापार बन गई है। अख़बार चलाने वालों को नैतिकता से उतना ही मतलब रहता है, जितना कि किसी साबुन बनाने वाले को। पत्रकारिता स…
पत्रकारिता के इस संक्रमण काल में गणेश शंकर विद्यार्थी को याद करने की जरूरत
शहादत दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि
प्रवीण बागी/ हिंदी पत्रकारिता के पितामह गणेश शंकर विद्यार्थी ने अपने अखबार प्रताप के पहले अंक में पत्रकारिता की अवधारणा प्रस्तुत की थी, जो आज भी मौंजू है। इसे पत्रकारिता का घोषणा पत्र कहा …
खबर को गोबर क्यों बना रहे हो भाई?
उर्मिलेश। बीती रात भोजन के बाद कोई गंभीर पठन-पाठन का मन नहीं था. बाहर निकलने की भी इच्छा नही हुई तो टीवी खोल लिया. एक बड़े चैनल पर गया. बहुत तेज और चमकीला चैनल है. 'अच्छी पत्रकारिता' के लिए हमेशा पुरस्कार पाता रहता है. इस पर एक खबर पेश की जा रही थी: देश के कई इलाकों में पेट्रोल के…
क्यों सनक को ही पत्रकारिता का पर्याय बना दिया?
एंकर विकास शर्मा की मौत, एंकर और मीडियाकर्मियों को एक सबक!
विनीत कुमार। रिपब्लिक भारत के स्टार एंकर विकास शर्मा की मौत उन सभी एंकर और मीडियाकर्मियों को एक बार फिर से सोचने की सलाह देत…
सेलिब्रिटी पत्रकारों के स्वार्थ ने पत्रकारिता को कहां खड़ा कर दिया
क्या गलती उस पत्रकार की जो बहुत ईमानदारी से रिपोर्ट दिखाता है?
रितिक चौधरी। इस वक़्त हमारी पत्रकारिता बहुत अच्छे दौर में नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में इसने बहुत कुछ खो दिया है।…
किसान आंदोलन कवर कर रहे दो पत्रकार पुलिस-हिरासत में
मंदीप पुनिया और धर्मेन्द्र सिंह दोनों स्वतंत्र पत्रकार हैं
उर्मिलेश/ सिंघू बार्डर पर किसान आंदोलन से जुड़ी गतिविधियों को कवर कर रहे दो युवा पत्रकारों मंदीप पुनिया और धर्मेन्द्र स…
मीडिया राज्य सत्ता का टूल बना हुआ है
लोगो के दिमाग को नियंत्रित कर रहा है
गिरीश मालवीय/ पिछले दो दिनों से किसान आंदोलन के प्रति आम जनता का नजरिया बदलता हुआ देख कर अमरीकी नागरिक अधिकार कार्यकर्ता मैल्कम एक्स की इस उक्ति पर विश्वास और दृढ़ हो गया है जो उन्ह…
देश का मीडिया
राजकुमार सोनी/ देश के चंद मीडिया संस्थानों को छोड़कर अधिकांश की स्थिति सूअरों के जीवन से भी ज्यादा खराब हो गई हैं. कल दिल्ली में किसान आंदोलन के दौरान मीडिया का जो कव्हरेज सामने आया वह यह बताने के लिए काफी हैं कि मीडिया किस बुरी तरह से अंधभक्ति में लीन होकर आवाम के साथ गद्दारी…
नवीनतम ---
- तथ्यपरक रिपोर्टिंग का रिवाज ही खत्म
- कैमरा जीवन की सूक्ष्म गतिविधियों को बारीकी से देखने का औज़ार: संजय कुमार
- सोशल मीडिया लोकप्रिय पर भरोसेमंद हैं अखबार : प्रो. संजय द्विवेदी
- कुछ खबरें हमारे मेन मीडिया से बिल्कुल गायब हैं
- आई टी एक्ट से नियमित-नियंत्रित होती है वेब पत्रकारिता
- डिजिटल और वेब मीडिया ट्रेनिंग प्रोग्राम की शुरुआत
- डॉ अंजनी की रिसर्च परियोजना को आईसीएसएसआर की स्वीकृति
- डॉ.अम्बेडकर की पत्रकारिता आज भी प्रासंगिक
- पत्रकारिता के माध्यम से बाबा साहेब ने की वैचारिक क्रांति: प्रो.संजय द्विवेदी
- बेस्ट ऑफ बस्ती अवार्ड्स से सम्मानित हुए प्रो.संजय द्विवेदी
- एमसीयू में व्याख्यान एवं प्रतिभा 2025 का आरंभ
- पत्रकारिता ने चलाया गो-संरक्षण का आंदोलन
- एआई से आएगी मीडिया उद्योग में क्रांति: प्रो.संजय द्विवेदी
- घिबली व एनीमे: जापानी 'कल्चरल सुपरपावर’ से भारत को सीख
- वेव्स 2025 के लिए मीडिया प्रतिनिधियों का पंजीकरण आरंभ
- मीडिया साक्षरता से ही संचार क्षमता विकसित होगी
- पत्रकारों की अभिव्यक्ति के अधिकार निर्बाध नहीं
- भाषा और भारतीयता की चिंता आवश्यक: प्रो. द्विवेदी
वर्गवार--
- feature (40)
- General (179)
- twitter (1)
- whatsapp (3)
- अपील (8)
- अभियान (9)
- अख़बारों से (5)
- आयोजन (102)
- इंडिया टुडे (3)
- खबर (1696)
- जानकारी (5)
- टिप्पणी (1)
- टीवी (3)
- नई कलम (1)
- निंदा (4)
- पत्रकारिता : एक नज़र में (2)
- पत्रकारों की हो निम्नतम योग्यता ? (6)
- पत्रिका (45)
- पुस्तक समीक्षा (47)
- पुस्तिका (1)
- फेसबुक से (221)
- बहस (15)
- मई दिवस (2)
- मीडिया पुस्तक समीक्षा (21)
- मुद्दा (502)
- लोग (8)
- विरोधस्वरूप पुरस्कार वापसी (6)
- विविध खबरें (597)
- वेकेंसी (14)
- व्यंग्य (31)
- शिकायत (14)
- शिक्षा (11)
- श्रद्धांजलि (118)
- संगीत (1)
- संस्कृति (1)
- संस्मरण (31)
- सम्मान (17)
- साहित्य (101)
- सिनेमा (16)
- हिन्दी (5)
पुरालेख--
- April 2025 (13)
- March 2025 (20)
- February 2025 (29)
- January 2025 (14)
- December 2024 (10)
- November 2024 (5)
- October 2024 (7)
- September 2024 (16)
- August 2024 (8)
- July 2024 (9)
- June 2024 (9)
- May 2024 (13)
- April 2024 (11)
- March 2024 (12)
- February 2024 (11)
टिप्पणी--
-
foo barMarch 2, 2025
-
रवि अहिरवारJanuary 6, 2025
-
पंकज चौधरीDecember 17, 2024
-
Anurag yadavJanuary 11, 2024
-
सुरेश जगन्नाथ पाटीलSeptember 16, 2023
-
Dr kishre kumar singhAugust 20, 2023
-
Manjeet SinghJune 23, 2023
सम्पादक
डॉ. लीना