रामजी तिवारी। मीडिया की स्वतंत्रता और निष्पक्षता सिर्फ इस बात से नहीं आंकी जा सकती है कि वह सरकारी नियंत्रण के अधीन है या कि उससे बाहर | बेशक ये एक पैमाना हो सकता है, लेकिन दुनिया का अनुभव हमें यह बताता है कि उसके सरकारी नियंत्रण से मुक्त होने के बाद भी इस बात की गारंटी नहीं दी जा सकती है कि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष भी हो जाएगा |
दूर क्यों जाएँ, अपने देश को ही लें ....|लगभग एक-डेढ़ दशक के अनुभव हमें ये बता रहे हैं कि सरकारी नियंत्रण से मुक्त होने के बावजूद मीडिया कितना परतंत्र और एक-पक्षीय होता जा रहा है | हालाकि ये बात उन लोगों को समझ में नहीं आयेंगी, जिनकी सोच मीडिया की इस दिशा से मेल खा रही है | लेकिन थोड़ी तटस्थता से सोचने पर कोई भी यह समझ सकता है कि यह किस खतरनाक दिशा की ओर बढ़ रहा है | आप जरा उस स्थिति की कल्पना कीजिये, जब अमेरिका की तरह हमारा मीडिया भी हथियार निर्माता कंपनियों के कब्जे में आ जाएगा | यकीन जानिये, तब उनकी तरह हम भी या तो युद्ध में होंगे या फिर उसकी मनःस्थिति में |