अरविंद शेष। पहले रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या और फिर कॉलेज में ही डेल्टा मेघवाल के बलात्कार और हत्या, इन दोनों मामलों में सो कॉल्ड मेनस्ट्रीम मीडिया का जो रुख रहा है, वह बिल्कुल हैरान नहीं करता। बल्कि वह ठीक ही कर रहा है। हाल के दिनों में इस सो कॉल्ड मेनस्ट्रीम मीडिया की विश्वसनीयता दलित-वंचित तबकों के बीच जिस पैमाने पर भंग हुई है, वह और थोड़ी गहरी होगी। लेकिन यह किसके लिए खतरे की घंटी है..!
पहले ही दलित-वंचित तबकों के बीच यह बात गहरे पैठ चुकी है कि मीडिया का ज्यादातर हिस्सा कुछ खास तरह के पूर्वाग्रह से ग्रस्त है और वहां उनके लिए कोई जगह नहीं है। अब इन घटनाओं पर उसका चेहरा साफ दिखा है। सच यह है कि अगर सोशल मीडिया का दबाव नहीं होता तो शायद औपचारिकता के लिए जो सूचनात्मक खबरें दी भी गईं, वह भी शायद नहीं आतीं...!
आप कुछ चर्चित खबरों के मुकाबले तुलना करके देख लीजिए कि उन घटनाओं का सामाजिक महत्त्व या गंभीरता के मुकाबले रोहित वेमुला और डेल्टा मेघवाल की 'हत्या' क्या है..!
इस रुख का बहुत नुकसान उठाना पड़ेगा इस सो कॉल्ड मेनस्ट्रीम मीडिया को...!