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भारतीय मीडिया ने कोरोना को घृणित बना दिया

गिरीश मालवीय/ भारतीय मीडिया ने कोरोना को घृणित बना दिया, पूरी दुनिया के मीडिया को देखे और आप भारत के मीडिया को देखे तो आप को यह फर्क स्पष्ट दिखाई देगा।  

जहाँ दूसरे देशों का मीडिया का सारा जोर इस बीमारी की जानकारी इलाज और बचाव पर है वही यहाँ के मीडिया सारा जोर मरीज के प्रति नफ़रत फैलाने पर लगा हुआ है। इतने दिनों में मैंने इन चैनलों पर एक भी ऐसा प्रोग्राम नही देखा जहाँ, विशेषज्ञ इस बीमारी के समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर यह कह रहा हो कि आप बीमारी से घृणा करिए बीमार से नही, दरअसल यह बात उनको दी जा रही गाइड लाइन के खिलाफ जाती है इसलिए इस पर चर्चा नही की गई।

भारत के मीडिया ने लोगो के जहन में कोरोना की ऐसी छवि बना दी है कि लोग कोरोना के मरीज को बीमार नही मान रहे बल्कि उसे एक अपराधी, दोषी, यहाँ तक कि उसे हैवान तक मान रहे है .............जमातीयो से नफ़रत पैदा करने के चक्कर मे मीडिया ने पूरे समाज मे कोरोना को लेकर एक ऐसा विषाक्त माहौल बना दिया जो कभी सोचा भी नही जा सकता था.

अब दरअसल इसके शिकार आम लोग हो रहे हैं,भारतीय  समाज कोरोना को बीमारी नही मान रहा बल्कि उसके पेशेंट को समाज मे इतनी गन्दी निगाह से देखा जा रहा है कि इसके संदिग्ध तक आत्महत्या करने को मजबूर हो गए है,......लोगो का इस तरह का आचरण करना बता रहा है कि हम सभ्य समाज में नही अपितु बेहद क्रूर और बर्बर समाज में रह रहे हैं।

NDTV ने आज एक स्टोरी की है जिससे आप आसानी से यह समझ सकते हैं कि हमारा कितना पतन हो चुका है, .......मध्यप्रदेश के शिवपुरी ज़िले में कोरोना से संक्रमित पहले मरीज़ दीपक शर्मा ठीक होकर घर आ गए हैं लेकिन वह अब सामाजिक बहिष्कार का सामना कर रहे हैं ........NDTV लिखता है 'शिवपुरी जिले में कोरोना से संक्रमित के पहले मरीज दीपक शर्मा अपने मनोबल के दम पर कोरोना से लड़ाई तो जीत गए लेकिन अपने पड़ोसियों ओर नजदीकियों के बुरे बर्ताव के सामने उनका मनोबल टूट चुका है और अब वह अपने परिवार के साथ अपना घर बेचकर कहीं और बसना चाहते हैं., दीपक शर्मा ने अपने पड़ोसियों के दुर्व्यहार के चलते घर पर बोर्ड भी लगा दिया है कि 'यह मकान बिकाऊ है'

दीपक इस व्‍यवहार से बुरी तरह आहत हो गए हैं वे कहते है कि बीमारी किसी को भी हो सकती है लेकिन हमें बुरा बर्ताव नहीं करना चाहिए. वहीं दीपक के पिता का कहना है कि उनके पड़ोसी उनके घर न तो सब्जी और न ही दूध वाले को आने दे रहे हैं.  यही नहीं रात में कुछ लोग उनके घर का दरवाजा पीट पीटकर गाली-गलौज कर उन्हें घर खाली कर जाने के लिए मजबूर कर रहे हैं. 

एक समाज के रूप में हम कोलैप्स कर गए हैं, यह सब हमारे आसपास हो रहा है, बिल्कुल पड़ोस में घट रहा है...... यह किसी दीपक शर्मा की स्टोरी, कभी भी आपकी ओर हमारी स्टोरी भी बन सकती है।  ए मीडिया वालों यदि पढ़ रहे हो, देख रहे हो तो अपने इष्टदेव के लिए, अपने भगवान के लिए, अपने खुदा के लिए अब रुक जाओ अब ये नफरत की खेती बन्द कर दो। .........

गिरीश मालवीय की फेसबुक वाल से साभार

(तस्वीर इंटरनेट से)

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पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना