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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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फर्जीवाड़े का चैनल

108 % !

जगमोहन फुटेला/ आज तक कभी किसी भी देशी विदेशी असली या नकली टीवी चैनल में किसी भी लड़के या लड़की को आड़ी लाइनों वाली कमीज़ या टी शर्ट पहने के खबरें पढ़ते देखा है आपने? ...नहीं देखा होगा. इस लिए क्योंकि टीवी में आड़ी स्ट्राइप वाले कपड़े वर्जित हैं. लेकिन ये फंडा कोका कोला के पंजाब फ्रेंचाइज़ी कंधारी के चैनल पे लागू नहीं होता, जिसका नाम 'डे एंड नाइट' है. आज सुबह नौ बजे वाला बुलेटिन चैनल की एंकर ने आड़ी स्ट्राइप वाली शर्ट पहन के पढ़ा. इस चैनल का वैसे भी कोई ड्रेस कोड नहीं है. कपड़ों के डिज़ाइन और रंग का चयन वहां कर्मचारी खुद करते हैं. कोई भी आपको कभी भी कुछ भी पहने हुए दिख जाएगा.इस चैनल का ड्रेस सेंस ही नहीं, हिसाब किताब भी माशा अल्ला है. मिसाल के तौर पे उस ने एक ओपिनियन पोल किया। पूछा कि फांसी होनी चाहिए या नहीं. उसका परिणाम दिया तो दुनिया भर के गणितज्ञों को फेल कर दिया. बताया कि 90 प्रतिशत लोग फांसी के खिलाफ हैं और 10 फीसदी हक़ में. कायदे से सौ में सौ की राय आ गई तो बात ख़त्म हो जानी चाहिए थी. लेकिन चैनल ने बाकायदा ग्राफिक्स दिखा के ये भी बताया कि 8 प्रतिशत लोगों ने कोई भी राय नहीं दी. मुझे बताते हुए दुःख हो रहा है आप को पता नहीं कैसा लगे, इस चैनल के संपादक कभी इंडियन एक्सप्रेस और हिंदुस्तान टाइम्स जैसे अखबारों के संपादक रह चुके हैं. उस पर इस देश, समाज और मीडिया का दुर्भाग्य ये है कि ये चैनल टीवी पत्रकारिता सिखाता(?) भी है.

वैसे चैनल का आज का सवाल है कि दिल्ली रेप कांड पे पब्लिक का गुस्सा क्या जायज़ है? सवाल नहीं, सवाल पूछने वालों का दिमाग देखिए, सोचिए और कोसिए अपनी किस्मत को कि ऐसे चैनल द्वारा भी अगर पत्रकारिता सिखाई जा रही है तो इस देश में टीवी पत्रकारिता का भविष्य कैसा होगा?

Jagmohan Phutela@ http://www.facebook.com/phutelajm?fref=ts

 

 

 

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पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना