रामजी तिवारी । अखबार का पहला पन्ना बता रहा है कि कोरोना-समय में सरकार चुस्त दुरुस्त है. अस्पताल की व्यवस्था चाक-चौबंद है. आक्सीजन की कोई कमी नहीं. टेस्ट और वैक्सिनेशन जोर-शोर से चल रहा है. दवाएं और परीक्षण सब जनता के लिए सुलभ है.
यानि कुल मिलाकर "सब चंगा सी".
मगर उसी अखबार का स्थानीय पन्ना अपने ही मुख्य पृष्ठ से उलट बात करता हुआ दिखाई देता है. उसके अनुसार आक्सीजन बिना लोग अभी भी मर रहे है. वैक्सिनेशन में कमी है. मार्केट में दवाओं की क्राइसिस है. कोरोना टेस्ट में काफी दिक्कतें हैं. एम्बुलेंस सेवाएं लूट रही हैं. और निजी अस्पतालों की लूट के कारण वहां आम आदमी लगभग बिकने की स्थिति में खड़ा है.
यानि कुल मिलाकर "सब अव्यवस्था सी".
अखबार का पहला पन्ना देश भर में जाता है और वह जनमत तैयार करता है.
अखबार का स्थानीय पन्ना सेफ्टी वाल्व के रूप में लोगों को जोड़े रखता है कि यहां तो हमारी खबरें भी छप रही हैं.
लोकतंत्र का कथित चौथा खम्भा आजकल इसी तरह से झूल रहा है..