Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

क्या नाकामी ढकने के लिए लिया जा रहा मीडिया का सहारा?

संतोष सिंह/ सच में आज भी जनता मीडिया की खबरों पर इतना भरोसा करता है, मुझे तो ऐसा नही लगता है लेकिन हमारे राजनेताओं को ऐसा जरुर महसूस हो रहा है,,, क्योंकि आजकल सब कुछ मीडिया के सहारे ही नापने कि कोशिश चल रही है. हलाकि ऐसा पहले कभी नही देखा. नीतीश भी मीडिया पर पैनी जनर रखते थे. सरकार का ज्यादा से ज्यादा पोजेटिंव न्यूज छपे और दिखे इसको लेकर संवेदनशील थे लेकिन कोई सरकार विरोधी और अपने नाकामी को ढकने के लिए मीडिया का सहारा ले ये पहली बार देखने को मिल रहा है।
16 मई की सुबह पीटीआई ने एक खबर ब्रेक किया लालू प्रसाद के 22 ठिकाने पर छापा बेनामी सम्पत्ति से जुड़ा हुआ है. हालाँकि अभी तक आईटी ने इस रेड को लेकर अधिकारिक तौर पर कोई बयान नही दिया, जबकि इस तरह की खबरो में आईटी विभाग अपने बेवसाईट पर प्रेस रिलीज डालते रहे हैं. खैर अभी भी इस रेड को लेकर कई तरह के कयास लगाया जा रहा है।

इसी तरह आज सुबह दूरदर्शन ने एक खबर ब्रेक किया मीसा भारती का चार्टड एकांउट राजेश अग्रवाल गिरफ्तार और उसके बाद सारा मीडिया रेस हो गया लेकिन उसके थोड़ी ही देर बाद दूरदर्शन ने खबर ब्रेक किया कि 8 हजार करोड़ के घाटाले के मामले में उसकी गिरफ्तारी हुई है अभी से थोड़ी देर पहले ईडी ने एक प्रेस रिलिज जारी करके कहा कि राजेश अग्रवाल कि गिरफ्तारी जैन बंधु और सेल कम्पनी के आप्रेशन मामले में गिरफ्तार किया गया है।।।
एक और खबर पाकिस्तान के ठिकाने पर भारतीय फौंज ने तोप से हमला किया कई पाकिस्तानी मारे गये खबर के साथ साथ वीडियों भी चल रहा है सवाल फौंज का है लेकिन जिस वीडियो के सहारे आज मीडिया में खबरे चल रही है ये वीडियो पिछले दस दिनों से सोशल मीडिया पर चल रहा है।

देखिए आगे आगे होता है क्या लेकिन मीडिया के इस तरह के उपयोग से अच्छे दिन लाने में कितनी मदद मिलेगा ये तो आने वाला वक्त ही बतायेगा लेकिन मीडियाकर्मियों का बूरा दिन आ गया है ये तो तय हो गया ।

Santosh Singh के वाल से साभार 

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना