Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

‘समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में मीडिया की भूमिका’ पर विमर्श

मीडिया शिक्षकों का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू, देशभर के मीडिया शिक्षकों का जुटान

जयपुर। राजस्थान विश्वविद्यालय,  जयपुर में 3 मार्च  को मीडिया शिक्षकों का तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हुआ। इसमें 20 राज्यों के सैकड़ों मीडिया शिक्षकों का जुटन हुआ।  मीडिया शिक्षकों ने समाज में सकारात्मक बदलाव और मीडिया की भूमिका पर विचार विमर्श किया । यह विमर्श आज और कल भी जारी रहेगा।

सम्मेलन का उदघाटन माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल के कुलपति प्रो. बी के कुठियाला ने किया। इस अवसर पर  मुख्य अतिथि नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि  पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ नहीं वरन प्रमुख स्तंभ माना जाना चाहिए। उन्होंने पत्रकारिता में भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कारों को स्थान देने का आग्रह किया और सकारात्मक पहलुओं को शामिल करने पर जोर दिया। श्री शर्मा ने  मीडिया की सामाजिक प्रतिबद्धता को रेखांकित करते हुए ऊंचे जीवन मूल्यों को अपनाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि मीडिया राष्ट्र के जीवन निर्माण का माध्यम है और बदलते दौर में में भी मीडिया को अपने दायित्व का प्रभावी तरीके से निभाना चाहिए। उन्होंने मीडिया शिक्षकों से अपील की कि वे नई पीढ़ी को मानवीय मूल्यों और संस्कारों की शिक्षा दें और अपने जीवन तथा आचरण में भी इन्हें उतारें।

प्रो. कुठियाला ने कहा कि समाज में सकारात्मक बदलाव के साथ संवाद के स्वराज की जरूरत है। इंटरनेट के कारण आज समूचा विश्व एक व्यापक समाज में बदल गया है। तकनीक के इस नए दौर में हमें मीडिया शिक्षण में भी आवश्यक बदलाव करने होंगे। उन्होंने मीडिया के व्यावसायिक स्वरूप का जिक्र करते हुए कहा कि इसमें तब तक कोई बुराई नहीं है, जब तक कि मीडिया अपने सामाजिक सराकारों को न छोड़े। उन्होंने तीसरे प्रेस आयोग के गठन की मांग की और एक प्रभावी मीडिया काउंसिल बनाने की भी जरूरत परजोर दिया। 

सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि और नेटवर्क 18 के प्रेसीडेंट (न्यूज) उमेश उपाध्याय ने इस बात पर खुशी जताई कि आज मीडिया से भी सवाल पूछे जा रहे हैं, जो कि स्वस्थ लोकतंत्र का परिचायक है। उन्होंने मीडिया शिक्षण और मीडिया के बीच बेहतर तालमेल की जरूरत बताई और मीडिया एजुकेशन को मीडिया के साथ जोड़ने पर बल दिया। उन्होंने सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव का जिक्र करते हुए कहा कि मीडिया के नए साधनों पर इस तरह की सामग्री शामिल की जानी चाहिए, जो लोगों की सामूहिक अवचेतना को बढ़ाए। 

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सच्चिदानंद जोशी ने मीडिया की भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि मीडिया शिक्षण का दौर बेहद कठिन है और इसीलिए यह जरूरी है कि हम मीडिया से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करें। प्रो. जोशी ने मीडिया शिक्षकों से आग्रह किया कि वे एक मंच पर आएं और मीडिया शिक्षण को और बेहतर तथा प्रभावी बनाने का आग्रह भी किया और कहा कि मीडिया शिक्षकों के ऐसे अहम सम्मेलनों का आयोजन निमित्त तौर पर किया जाना चाहिए।

ब्रॉडकास्टर्स एडिटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के महासचिव और वरिष्ठ पत्रकार एन.के. सिंह ने सामाजिक सरोकारों से मीडिया की बढ़ती दूरी पर गहरी चिंता व्यक्त की, लेकिन उन्होंने मीडिया के कामकाज में सरकारी दखल को गैर जरूरी ठहराया और कहा कि सत्ता का चरित्र प्रतिबंध में ही परिलक्षित होता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में मीडिया में वही सब कुछ नजर आ रहा है, जो समाज से घट रहा है। उन्होंने संपादक संस्था की गरिमा और प्रतिष्ठा को फिर से बहाल करने की अपील की और कहा कि कॉर्पोरेट दौर में मीडिया के सामने यह एक अहम चुनौती है। उन्होंने उम्मीद जताई कि संपादक की गरिमा बहाल होने के बाद समाज में भी व्यापक बदलाव नजर आ सकता है और इस तरह मीडिया समाज सुधार के लक्ष्य को हासिल कर सकता है। उन्होंने मीडिया शिक्षकों से अपील की कि वे विद्यार्थियों में बेहतर जीवन मूल्यों की समझ विकसित करें।

सम्मेलन के अध्यक्ष प्रो. डॉ. संजीव भानावत ने कहा कि जन संचार केन्द्र के विद्यार्थियों को सामाजिक सरोकारों से जोड़ने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने इस सम्मेलन को वैचारिक महाकुंभ की संज्ञा दी और उम्मीद जताई कि तीन दिन के इस मंथन से अहम परिणाम सामने आएंगे।

सोसायटी ऑफ मीडिया इनिशिएटिव ऑफ वैल्यू, इंदौर के राष्ट्रीय संयोजक प्रो. कमल दीक्षित ने मीडिया की दुनिया में आए बदलावों की चर्चा की और पत्रकारिता में मूल्यों तथा आदर्शों में गिरावट पर चिंता जताई। उन्होंने वर्तमान दौर में मीडिया की भूमिका पर नए सिरे विचार करने का सुझाव दिया और एक बेहतर समाज के निर्माण की दिशा में साझा प्रयास करने की अपील की। सम्मेलन की संयोजक कल्याणसिंह कोठारी ने बताया कि सम्मेलन के दौरान 12 विभिन्न तकनीकी सत्रों में 200 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे।

‘समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में मीडिया की भूमिका’  विषय पर आयोजित तीन दिवसीय आयोजन को राजस्थान विश्वविद्यालय के जनसंचार केन्द्र, मणिपाल विश्वविद्यालय, जयपुर, मीडिया एडवोकेसी, स्वयं सेवी संगठन लोक संवाद संस्थान और सोसायटी ऑफ मीडिया इनिशिएटिव फॉर वैल्यू, इंदौर के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।  सम्मेलन का आयोजन राजस्थान विवि के जनसंचार केंद्र के रजत जयंती वर्ष से जुड़े समारोह के क्रम में किया जा रहा है।

सम्मेलन के दौरान एक स्मारिका का लोकार्पण भी किया गया। इस स्मारिका में शोध पत्रों का सारांश प्रकाशित किया गया है। इस दौरान सम्मेलन के न्यूजलैटर ‘एआईएमईसी टाइम्स’ का लोकार्पण भी किया गया। न्यूज लैटर का प्रकाशन सम्मेलन में प्रतिदिन किया जाएगा और इसमें सम्मेलन की प्रमुख गतिविधियों को प्रकाशित किया जाएगा।

 

Go Back



Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना