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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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स्वतंत्र पत्रकारिता के बिना लोकतंत्र नहीं चल सकता है: जे. रैन्ज

अमेरिका के काउंसलेट जनरल डेविड जे. रैन्ज का मीडिया विद्यार्थियों के साथ संवाद  

भोपाल। अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के काउंसलेट जनरल डेविड जे. रैन्ज ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल में शुक्रवार को मीडिया विद्यार्थियों के साथ अंतर्राष्ट्रीय संबंध, क्लाइमेट चेंज, महिला सशक्तिकरण, लैंगिक असमानता समेत कई वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। श्री रैंज ने मीडिया विद्यार्थियों से चर्चा की शुरूआत पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति थॉमस जेफसन के उस कथन से की जिसमें उन्होने कहा था कि “अगर मुझे अखबार के बिना सरकार और सरकार के बिना अखबार में से किसी एक को चुनना पड़े तो मैं अखबार पसंद करूंगा”। अपने संबोधन में श्री रैन्ज कहा कि वह पत्रकारिता के चुनौतीपूर्ण और जोखिमपूर्ण पेशे का सम्मान करते हैं, स्वतंत्र पत्रकारिता के बिना कोई भी लोकतंत्र चल नहीं सकता है। स्वतंत्र और मजबूत पत्रकारिता की वजह से ही लोकतंत्र में पारदर्शिता और जनता के प्रति सरकार की जिम्मेदारी तय होती है।  

संविमर्श सत्र में भारत-अमेरिकी संबंधों पर बात करते हुए श्री रैन्ज ने कहा कि प्रभुत्ववाद, पारदर्शिता, व्यापार, मूल्यों और एक दूसरे के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने के नितिगत बिंदू दोनों देशों के संबंधों के लिए महत्वपूर्ण कड़ी हैं। दोनों देशों ने संबंधों की नई उंचाइयों को छुआ है, भारत और अमेरिका दोनों भू-रणनीतिक साझीदार हैं, जिनके सांस्कृतिक मूल्यों के साथ ही आपसी हित भी विकास के लिए कॉमन हैं। भारत को तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बताते हुए उन्होने कहा कि मल्टीनेशलन कंपनियां भारत की अर्थव्यवस्था को और मजबूत करने के लिए काफी निवेश कर सकती हैं, बशर्तें भारत को अपनी व्यापार और निवेश नीतियों में प्रभावशाली बदलाव करे। 

अपने उद्बोधन के बाद हुए परिचर्चात्मक सत्र में श्री रैन्ज ने मीडिया विद्यार्थियों के कई सवालों के जवाब दिए। क्लामेट चेंज पर अमेरिका की भूमिका के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि भारत और चीन जैसे बड़े विकासशील देशों को पर्यावरण संरक्षण में जिम्मेदारी उठाना चाहिए। भारत को  नवीकरणीय उर्जा और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए। अमेरिका ने जो गलत किया उनसका अनुसरण दूसरे देश करें यह अब ठीक नहीं होगा। अमेरिका-ईरान तनाव को लेकर भारतीय हितों के संदर्भ में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा कि कोई भी दो देशों के बीच टकराव पूरी दुनिया को प्रभावित करता है, इससे बचना चाहिए और इसे रोकने में भारत से उम्मीद की जा सकती है। 

भारत में उच्च शिक्षा के मुद्दे पर बात करते हुए श्री रैन्ज ने कहा कि अमेरिकी में दुनिया के बेहतरीन विश्वविद्यालय हैं। एकेडमिक एक्सचेंज के अंतर्गत भारत के विद्यार्थी भी यहां नियमों की पूर्ति के बाद अध्ययन के लिए जा सकते हैं। 

संविमर्श सत्र के स्वागत उद्बोधन में विश्वविद्यालय के कुलपति श्री दीपक तिवारी ने कहा कि पत्रकारिता की असफलता लोकतंत्र की असफलता होगी, और सफल पत्रकारिता के लिए हमारे भावी पत्रकार विद्यार्थी जनहित में आथॉरिटी से सवाल करने के लिए तैयार होते हैं। श्री तिवारी ने पर्यावरण, बेरोजगारी और टेक्नोलॉजी उत्पन्न वैश्विक समस्याओं की चुनौतियों से निपटने में भारत-अमेरिका संबंधों की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि आने वाला समय उम्मीदों से भरा है लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं है। 

संविमर्श सत्र की शुरूआत में कुलपति श्री दीपक तिवारी ने काउंसलेट जनरल डेविड जे. रैन्ज का शाल श्रीफल से स्वागत किया और महात्मा गांधी का स्मृति चिन्ह भेंट किया। विद्यार्थियों द्वारा संचालित इस संविमर्श सत्र का संचालन कीर्ति खन्ना ने किया और आभार अंकिता ने व्यक्त किया।

डेविड जे रैन्ज वर्तमान में अमेरिका की दक्षिण एवं मध्य एशियाई संबंध ब्यूरो में दक्षिण एशियाई देशों (भारत, बंगलादेश, नेपाल, श्रीलंका, भूटान एवं मालदीव) के कार्यकारी उप सहायक सचिव हैं। श्री रैन्ज अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रदर्शन के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका के राज्य विभाग के प्रसिद्ध हरबर्ट सेल्जमेन अवार्ड 2004 से पुरस्कृत हैं। इसके साथ ही वे 2013 के लिए दिए जाने वाले जेम्स क्लेमेंट डन उत्कृष्टता पुरस्कार के लिए रनर अप भी रह चुके हैं।

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सम्पादक

डॉ. लीना