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संपादकों के नजरिये से फर्क पड़ता है: अजय कुमार

शहरीकरण और शहरी समुत्थानिक मुद्दे पर सेव द चिल्ड्रेन का मीडिया इंटरफेस मीट 

डॉ. लीना/ पटना/ मलिन बस्तियों के बच्चे और उनके मुद्दों को केंद्र में लाने का आज मीडिया में एक आन्तरिक संघर्ष है, आप चाहते तो हैं, पर बहुत कुछ कर नहीं पाते ! “किल द स्पेस” जैसे मसले पर जद्दोजहद करनी होगी और संपादकों को राह निकालनी होगी प्रभात खबर के स्थानीय संपादक अजय कुमार ने सेव द चिल्ड्रेन द्वारा आयोजित मीडिया इंटरफेस मीट को संबोधित करते हुए “द हिन्दू” के एन राम, जिन्होंने अपने अख़बार में स्लम को भी एक बीट बनाया हुआ है, का उदहारण देते हुए कहा कि संपादकों के नजरिये से फर्क पड़ता है l अजय कुमार ने कहा कि पिछले 20-30 वर्षों से बच्चों के मुद्दों को मीडिया में तुलनात्मक रूप से कम कवरेज दिया जाता है जिसे बदलना चाहिए  इसके अलावा उन्होंने कहा कि पहले विधानसभा बच्चों और महिलाओं के बारे में समय-समय पर रिपोर्ट प्रकाशित करती थी, लेकिन दुर्भाग्य से अब ऐसी खबरें प्रकाशित नहीं हो रही हैं  श्री कुमार ने कहा कि सबसे बड़ी चुनौती बच्चों के मुद्दों को केंद्र में लाना है क्योंकि वर्तमान में वे परिधि में नहीं हैं  उन्होंने कहा कि बीपीएल परिवारों के बच्चों को अधिक प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

दैनिक भास्कर के रेजिडेंट एडिटर प्रमोद मुकेश ने भी मुलाकात को संबोधित किया उन्होंने कहा कि संपादकों पर इतना भी दबाव नहीं होता कि कोई खबर न छापी जाये हाँ, लेकिन वे अपनी सुविधानुसार ऐसा तय कर लेते हैं  यहां सवाल संवेदनशीलता का है और चीजें संपादक और पत्रकार की संवेदनशीलता पर निर्भर करती हैं। अगर वे झुग्गी स्थिति में बच्चों के मुद्दों के प्रति संवेदनशील हैं, तो पर्याप्त कवरेज होगा। उन्होंने मीडिया की वकालत की और कहा कि बच्चों के मुद्दों को प्राथमिकता के आधार पर उठाने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि कैसे झुग्गी-झोपड़ियों और झुग्गी-झोपड़ी के बच्चों से जुड़ी खबरें एवं मामले में बर्बरता, बेदखली या किसी बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में शामिल होती हैं। व्यापक धारणा है कि झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले अपराधी और बुरे होते थे, जो सच नहीं है और इसे बदला जाना चाहिए l एक प्रतिभागी के सवाल पर उन्होने कहा कि अख़बार का काम समाधान करना नहीं, मुद्दों को उठाना है

मौके पर सेव द चिल्ड्रेन के जेनरल मैनेजर देवेन्द्र सिंह टाक ने मीडिया से अनुरोध किया कि स्लम बस्ती की अच्छी ख़बरों को भी उन्हें तरजीह देनी चाहिए

सेव द चिल्ड्रन अपने सहयोगी संगठन कोशिश चैरिटेबल ट्रस्ट के सहयोग से स्लम समुदायों, स्कूलों और शहरी प्रशासन में एकीकृत शहरी समुत्थानिक दृष्टिकोण एवं इसके क्रियान्वयन के लिए कार्य कर रहा है। इस संबंध में सेव द चिल्ड्रन ने शहरीकरण, शहरी गरीबी, स्लम बस्तियों की चुनौतियों और शहरी समुत्थान के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए आधे दिन के मीडिया इंटरफेस मीट का आयोजन किया। इसमें 70 से अधिक मीडिया प्रतिनिधि और नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने अपनी सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित किया l श्री राफे एजाज हुसैन, महाप्रबंधक, बिहार राज्य कार्यक्रम कार्यालय, सेव द चिल्ड्रन ने प्रतिभागियों का स्वागत किया।

इस अवसर पर पटना के स्लम बस्तियों के बच्चों ने भी भाग लिया और साझा किया कि उन्हें किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है  बैठक में बातचीत के दौरान यह सहमति बनी कि मीडिया हाउसों को विशेष रूप से स्लम से संबंधित समाचारों को कवर करने के लिए पत्रकार को सौंपा जाना चाहिए।

वरिष्ठ पत्रकार निवेदिता झा ने मीडिया इंटरफेस मीट का संचालन करते हुए उम्मीद जताई कि इन मुद्दों को मीडिया सही तरीके से उठाएगा ।

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सम्पादक

डॉ. लीना