Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

साइबर जगत का ‘मनोवैज्ञानिक युद्ध’ नया खतरा: राज्यवर्धन

नई दिल्ली/ कश्मीर में जारी अशांति के मद्देनजर केंद्रीय मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने आज कहा कि साइबर जगत में लड़ा जाने वाला ‘मनोवैज्ञानिक युद्ध’ हमारे समय का ‘नया खतरा’ है। उन्होंने नये युग के इस युद्ध में मुकाबला करने के लिए लोगों से ‘सोशल मीडिया सैनिक’ बनने का अनुरोध किया।

उन्होंने कहा कि दुनिया बदल रही है। पहले पारंपरिक युद्ध होते थे फिर परमाणु युद्ध हुए और फिर ‘लिमिटेड इन्टेंसिटी वार’ (जैसे करगिल युद्ध) हुआ। लेकिन आज का खतरा साइबर युद्ध है और वह भी इस मनोवैज्ञानिक युद्ध के जरिये। यह मनोवैज्ञानिक युद्ध सबसे बड़ा युद्ध है।

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री ने नई दिल्ली स्थित कांस्टीट्यूशन क्लब में करगिल विजय दिवस मनाने के लिए जम्मू कश्मीर पीपुल्स फोरम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हाल ही में कश्मीर में एक आतंकवादी मारा गया जैसे कि कई अन्य आतंकी मारे जाते हैं। उन्होंने कहा कि उस आतंकवादी पर करीब 1,25,000 ट्वीट हुए जिनमें से 49,000 भारत से हुए, 52,000 अज्ञात स्थानों से और 10,000 पाकिस्तान से हुए। सेना के अपने दिनों को याद करते हुए राठौड़ ने कश्मीर का अनुभव साझा किया जहां एक बार उन्हें आतंकवादियों को मार गिराने के लिए उसके हुलिया की कल्पना करनी पड़ी थी।कार्यक्रम में जवानों के साथ-साथ बड़ी संख्या में आमलोगों ने भी भाग लिया। 

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना