लेकिन स्वनियमन करने की हिदायत
नयी दिल्ली/ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रेस की आजादी की वकालत करते हुए कहा कि मीडिया पर सरकार का नियंत्रण नहीं होना चाहिए बल्कि उसे आत्मावलोकन करके स्व-नियमन करना चाहिए।
श्री मोदी ने भारतीय प्रेस परिषद् की स्वर्ण जयंती पर आयोजित राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर कहा कि मीडिया पर बाहरी नियंत्रण उचित नहीं होगा। मीडिया के क्षेत्र में तेज बदलाव और स्पर्धा के बीच खबरों को उसके वास्तविक अभिप्राय के साथ पेश करना बहुत मुश्किल हो गया है। ऐसी स्थिति में मीडिया को स्व-नियमन करने के लिए आत्मावलोकन करना चाहिए। उन्होंने इस संदर्भ में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के कथन का जिक्र किया कि अनियंत्रित लेखनी बहुत बड़ा संकट पैदा कर सकती है लेकिन मीडिया पर बाहरी नियंत्रण तो तबाही ला सकता है। उन्होंने कहा कि कंधार विमान अपहरण के समय खबरों की रिपोर्टिंग अनियंत्रित हो जाने पर मीडिया ने आत्मावलोकन करने के बाद अपने लिए नियम खुद तय किए थे। इसी तरह मुम्बई में हुए 26/11 के आतंकवादी हमले के दौरान भी मीडिया ने आत्मावलोकन किया था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि गलतियों के आधार पर मीडिया का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता है।
मीडिया को समयानुकूल परिवर्तन और नयी पीढ़ी को तैयार करने के लिए स्वयं सोचना होगा। सरकार के सूचना देने के तीस साल पुराने तरीके अब नहीं चल सकते हैं।
भारतीय प्रेस परिषद इस स्थिति में बदलाव लाने में सरकार की मदद कर सकती है और इस सरकार में बैठे लोगों को भी इसमें अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। उन्होंने सच्चाई का बयान करने वाले मीडियाकर्मियों पर हमले की खबरों पर चिंता जताते हुए कहा कि इस क्षेत्र से जुड़े लोगों की हत्या की खबरें दर्दनाक हैं। वैसे किसी भी व्यक्ति की हत्या गलत है। राज्य सरकारों का यह दायित्व है कि वह इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए कदम उठाए।
उन्होंने पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को मजबूत बनाने में मीडिया की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि नेपाल में आए भूकम्प के दौरान मीडिया की तत्परता के कारण ही सरकार नेपाल के लोगों की तेजी से मदद कर पाई।
मानवता के लिए कार्य करने में मीडिया और सरकार को एक दूसरे का पूरक होना चाहिए।
इस अवसर पर सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार का संचार के किसी भी माध्यम पर पाबंदी लगाने में विश्वास नहीं है लेकिन देश की सम्प्रभुता और अखंडता एवं कानून व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए आवश्यक संयम बरता जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मीडिया के लिए स्वनियमन उचित है और इससे पत्रकारिता की नैतिकता और लोकतांत्रिक आदर्शों को कायम रखा जा सकता है।
श्री नायडू ने मीडिया की जिम्मेदारियों का उल्लेख करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय ने मुम्बई आतंकवादी हमलों की इलेक्ट्रानिक चैनलों की मीडिया कवरेज पर फटकार लगायी थी और कहा था कि आतंकवादी हमले की ऐसी स्थिति में अभिव्यक्ति और भाषण की आजादी का हवाला देकर टेलीविजन चैनलों के आचरण को उचित बताने का कोई भी प्रयास पूर्णतया गलत और अस्वीकार्य है।
उन्होंने कहा कि पठानकोट सैन्य अड्डे पर आतंकवादी हमले के मामले में भी इलेक्ट्रानिक मीडिया ने जो कवरेज किया था, उससे भी पता लगता है कि रिपोर्टिंग ठीक ढंग से न होने पर कैसे नागरिकों और सैन्यकर्मियों का जीवन खतरे में पड़ सकता है।