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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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मीडिया की भूमिका सिर्फ सूचना देना ही नहीं, समाज को नेतृत्व प्रदान करना भी: काटजू

पत्रकारिता के बदलते परिदृश्य और न्यू मीडिया पर संगोष्ठी 

काटजू ने किया मोबाइल इंडिया (मोबाइल मीडिया) का शुभारंभ
भोपाल। मोबाइल मीडिया नया माध्यम है। बदलती तकनीक के साथ यह समाज के लिए आवश्यक है। यह अच्छा माध्यम है। लेकिन मोबाइल मीडिया के दुष्परिणाम को रोकने के लिए एक आचार संहिता बनना चाहिए। यह बात प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के चेयरमेन जस्टिस मार्कडेय काटजू ने रविवार 23 दिसम्बर को होटल पलाश रेसीडेंसी भोपाल में न्यू मीडिया के क्षेत्र में एमपीपोस्ट की अनूठी पहल मोबाइल इंडिया (मोबाइल मीडिया) का शुभारंभ करते हुए कही।


उन्होंने इस अवसर पर ’’मीडिया मंथन’’ पत्रकारिता के बदलते परिदृश्य और न्यू मीडिया विषय पर आयोजित संगोष्ठी में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में पत्रकारिता के विभिन्न पहलूओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।
उन्होंने पत्रकारिता के बदलते परिदृश्य का जिक्र करते हुए कहा कि मीडिया को घटना की तह तक जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि समाज के जो लोग आजकल सड़कों पर आ रहे हैं। उसकी असल वजह मध्यम वर्ग के लोगों को मंहगाई और बेरोजगारी से तंग आना है। इसलिए मीडिया को इन तथ्यों का भी ध्यान रखना चाहिए।
जस्टिस काटजू ने प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के विस्तार की चर्चा करते हुए कहा कि हमने इसके दायरे को बढ़ाने के लिए टीवी चैनल यानि इलेक्ट्रानिक मीडिया के बीस ओर सदस्यों को प्रेस काउंसिल आफ इंडिया में शामिल करने की पहल प्रारंभ की है। जो प्रक्रियागत है। वर्तमान में काउंसिल में 28 सदस्य है। उन्होंने कहा कि प्रेस काउंसिल आफ इंडिया के सदस्य प्रेस के लिए स्वयं आचार संहिता बनाने की पहल करें।
श्री काटजू ने राजधानी भोपाल के वरिष्ठ पत्रकारों से विस्तार से चर्चा करते हुए पत्रकारों की जिज्ञासाओं का समाधान किया एवं पत्रकारों के सभी सवालों के उत्तर दिये। उन्होंने पेड न्यूज, इलेक्ट्रानिक चैनल, न्यू मीडिया, पत्रकारों की आचार संहिता सहित अनेक विषयों पर बेवाक विचार रखे।  
उन्होंने कहा कि अब किसी को गरीब रहने की आवश्यकता नहीं है इतनी वेल्थ जनरेट हो सकती है। मगर हकीकत है कि अभी भी 80 फीसदी दुनिया की जनता गरीब है या 70 फीसदी। उन्होंने कहा कि 21वीं शताब्दी के जो संघर्ष होंगे वो इसलिये होंगे कि जब जनता कह रही है कि जब हमको गरीब रहना जरूरी नहीं है तो हम क्यों गरीब रहें लेकिन 21वीं शताब्दी के संघर्ष इसी वजह से होंगे। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में भी 75 से 80 फीसदी जनता अभी भी गरीब है, इसलिये सारा संघर्ष हो रहा है।
उन्होंने कहा कि अधिकांश लोग इस देश में कितने पिछड़े है, कितना जातिवाद है। कि लोग जब वोट देने जाते हो तो क्या केंडीडेट का मेरिट देखते हो लोग उसकी जात बिरादरी देखते हैं। आज समाज में कितना पिछड़पन है। 80 प्रतिशत हिन्दु और मुसलमान कम्यूनल हो गया है । यह दुर्भाग्य है लेकिन यह सत्य है।
उन्होंने कहा कि जनता समृद्ध हो, खुशहाल हो। इसलिए मोर्डन माइंड डेवलप करना है 120 करोड़ जनता में। और यह बड़ा लंबा सफर है। इसके लिए सब बुद्धजीवी वर्ग को नेतृत्व देना है आमजन में। क्योंकि बुद्धजीवी ही जनता की आंख होता है। बिना बुद्धजीवी के जतना अंधी होती है। और पत्रकार बुद्धजीवी वर्ग के हैं इसलिए पत्रकारों का दायित्व बनता है कि वे जनता को न केवल रास्ता दिखायें बल्कि उनकों विचार भी देना है।
उन्होंने दिल्ली गैंग रेप को कंडम करते हुए कहा कि जिन्होनंे यह अपराध किया उन लोगों को सख्त सजा मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक पक्ष यह है कि दिल्ली में ये कांड न हुआ होता मध्यप्रदेश में हुआ होता और खासकर गांव में होता तो क्या इतना हो हल्ला होता। क्या दिल्ली ही पूरा हिन्दुस्तान है। दूसरी बात यह है कि और और कोई समस्या नहीं है क्या रेप के अलावा हिन्दुस्तान में। गरीबी कोई समस्या नहीं है क्या। उस पर तो कोई हो हल्ला होता नहीं है। इतनी भीषण मंहगाई हो गई है उस पर तो इतना हो हल्ला होता नहीं है। बेरोजगारी का क्या आलम है, स्वास्थ्य की कितनी समस्या है। क्या अन्ना हजारे के आंदोलन से शोर मचाने से एक फीसदी भी भ्रष्टाचार कम हुआ है।
उन्होंने मीडिया से अपेक्षा की है कि मीडिया का रोल सिर्फ इंफारमेशन देना ही नहीं होता है, समाज को नेतृत्व प्रदान करना तथा जनता में वैज्ञानिक विचार फैलाना भी होता है। उन्होंने कहा कि जो पिछड़े विचार हैं जातिवादी और कम्यूनिलिज्म, सुपरस्टीशन इन पर बड़ा जोरदार प्रहार करना है।
एमपीपोस्ट मोबाइल इंडिया (मोबाइल मीडिया) के संपादक सरमन नगेले ने स्वागत भाषण में कहा कि न्यू मीडिया सूचना का ’’लोकतंत्रीकरण’’ करने में कारगर ढ़ंग से व्यापक पैमाने पर अपनी महती भूमिका निभा रहा है। इसी कड़ी में न्यूज पोर्टल www.mppost.com इंटरनेट आधारित सकारात्मक पत्रकारिता के आठ वर्ष पूर्ण करते हुए न्यू मीडिया के साथ-साथ मोबाईल मीडिया के जरिए आमजन तक उनके मोबाईल फोन पर सीधे सूचना एवं रोजगार के साथ-साथ ताजा खबरें व अन्य जानकारी पहुंचाने तथा सूचना का ’’लोकतंत्रीकरण’’ करने की दिशा में एक महत्वकांक्षी प्रयास की शुरूआत करने जा रहा है।
उन्होंने एमपीपोस्ट के इस विनम्र प्रयास के बारे में बताया कि नागरिक पत्रकारिता बेहतर पत्रकारिता के तहत मोबाइल मीडिया के माध्यम से साढ़े सात करोड़ पत्रकारो का प्रदेश मध्यप्रदेश के तहत प्रदेश के हर नागरिक को अपनी बात रखने का मंच उपलब्ध कराया जाएगा।
मोबाईल मीडिया के जरिए शासन-प्रशासन की रोजगार की सूचना निशुल्क उपलब्ध कराएंगे। एमपीपोस्ट की ताजा खबरें मोबाइल पर mppost.mv1.in मोबाइल वेबसाइट के जरिए मिलेंगी।
मोबाईल पर समाचार और रोजगार की जानकारी सुनने तथा एसएमएस पर प्राप्त करने के लिए एमपीपोस्ट मोबाईल इंडिया (मोबाईल मीडिया) लिखकर नंबर 53030 पर एसएमएस करें।
हिन्दी में एसएमएस, वोट करें के तहत कौन बनेगा मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री वोट करें इसकी अपडेट जानकारी जनमानस के बीच पहुंचाने का प्रयास किया जाएगा।
वीडियो न्यूज एसएमएस पर, डिजिटलडिवाइस के माध्यम से सार्वजनिक स्थान पर हर नजर पर खबर के जरिए रोजगार की सूचनाएं और समाचार आमजन को निशुल्क दिखाये जाएगे।
श्री नगेले ने बताया कि आम जन के बीच अब एक ऐसा मीडिया घर-घर में पहुंच गया है जिसका नाम मोबाईल मीडिया। इस मीडिया ने जिस रफ्तार से न केवल अपनी पहुंच भारत के लगभग प्रत्येक घर में बनाई है। वरन् दुनिया के अनेक देशों में इस मीडिया ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। मोबाईल मीडिया अब नागरिकों का एक जीवन अंग जैसा बन गया है। एक अध्ययन में खुलासा हुआ है कि मोबाइल फोन सेवा के विस्तार की मौजूदा गति के मुताबिक वर्ष 2014 तक दुनिया की आबादी से अधिक सेल फोन नम्बर हो जाएंगे। यह बात इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशंस युनियन (आईटीयू) ने एक नई रिपोर्ट में कही। आईटीयू के मेजरिंग द इनफोर्मेशन सोसायटी 2012 के मुताबिक अभी ही 100 से अधिक ऐसे देश हैं, जहां आबादी से अधिक मोबाइल फोन नम्बरों की संख्या हो चुकी है।
आईटीयू के मुताबिक मोबाइल फोन नम्बर की मौजूदा संख्या छह अरब 2014 तक बढ़कर 7.3 अरब हो जाएगी, जबकि जनसंख्या सात अरब रहेगी। चीन एक अरब से अधिक मोबाइल फोन नम्बरों वाला पहला देश बन चुका है। जल्द ही भारत भी इस सूची में शामिल हो जाएगा।
इस अवसर पर कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता के रूप में वरिष्ठ पत्रकार लज्जाशंकर हरदेनिया, श्री शीतला सिंह, सदस्य, प्रेस काउंसिल अॉफ इंडिया, नई दिल्ली श्री अरूण कुमार, सदस्य, प्रेस काउंसिल अॉफ इंडिया, नई दिल्ली, श्री मनीष दीक्षित, राजनीतिक संपादक, दैनिक भास्कर, भोपाल, श्री मृगेन्द्र सिंह, प्रभारी संपादक, दैनिक जागरण, भोपाल, डॉ. श्री राकेश पाठक, संपादक, प्रदेश टुडे, ग्वालियर, श्री दीपक तिवारी, ब्यूरो चीफ, म.प्र., द वीक, श्री मनीष गौतम, समाचार संपादक, दूरदर्शन, भोपाल, श्री अक्षत शर्मा, संपादक, स्वदेश, भोपाल, श्री अमित कुमार, ब्यूरो चीफ, म.प्र., आज तक, श्री बृजेश राजपूत, ब्यूरो चीफ, म.प्र., एबीपी न्यूज (स्टार न्यूज) ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये।
कार्यक्रम का संचालन माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष पुष्पेन्द्र पाल सिंह ने किया।

 

 

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सम्पादक

डॉ. लीना