Menu

 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

Print Friendly and PDF

बिहार में पत्रकारिता का वीभत्स चेहरा

एक ओर शहादत, दूसरी ओर पेशे को कलंकित करने वाले भी 

श्रीकृष्ण प्रसाद/ पटना। विगत दशकों में पत्रकारिता के क्षेत्र में अनेक चेहरे देखने को मिल रहे हैं । बिहार में  सीवान के राजदेव रंजन जैसे पत्रकार देश, समाज और अपने मीडिया हाउस के हित और  सुरक्षा में अपनी कीमती जिन्दगी  की कुर्बानी दे रहे हैं । दूसरी ओर , बिहार के ही मुंगेर जिले केदैनिक ‘प्रभात खबर‘  के पत्रकार बिजय शंकर सिंह अपने आपराधिक कारनामों से पत्रकारिता के पेशे को कलंकित कर रहे हैं । पुलिस अनुसंधान में इस पत्रकार के षड़यंत्र में नाम आने के बाद भी   दैनिक प्रभात खबर, दैनिक हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण और दैनिक भाष्कर का प्रबंधन और संपादकीय  विभाग मामले को उजागर नहीं कर रहा है।  उल्टे,  इन अखबारों के मुंगेर प्रमंडलीय कार्यालयोंके प्रमुख  दोषी पत्रकार, पुलिस पदाधिकारी और एन0जी0ओ0 के सचिव को  कानून की गिरफ्त से बचाने के लिए  ऐढ़ी-चोंटी एक  कर रहा है । प्रमाण यह है कि पत्रकार बिजय शंकर सिंह के आपराधिक कुकृत्यों को व्यूरो प्रमुख अपने संपादकों और प्रबंधन के इसारे पर  अपने-अपने अखबारों मेंप्रकाशित नहीं  कर रहे हैं । 

मामला क्या है ? जनता दल यू के मुंगेर जिला के पूर्व जिला सचिव नरेन्द्र कुमार सिंह कुशवाहा एक गीतकार हैं।एन0जी0ओ0 ‘ हक‘ ने नरेन्द्र कु0 सिंह कुशवाहा सहित तीन कलाकारों को ‘नुक्कड़ - नाटक‘  केमंचन के लिए अनुबंध किया । परन्तु, जब हक संस्था के सचिव  पंकज कुमार सिंह ने नाटक मंचन के एवज में 22 हजार रूपया  मजदूरी के रूप में नहीं दीं,तो श्री कुशवहा ने मुंगेर के डी0एम0 से इसकी लिखित शिकायत कीं,। डी0एम0 केआदेश पर मुंगेर कोतवाली नेसूचक जनता दल यू नेता नरेन्द्र कुमार सिंह कुशवाहा के आवेदन पर  हक के सचिव पंकज कुमार सिंह केविरूद्ध प्राथमिकी ,जिसका कांड संख्या- 78 ।2013, धारा 406। 34 भारतीय दंड संहिता है, दर्ज की ।जांचोपरांत, कोतवाली पुलिस ने पर्याप्त साक्ष्य के आधार पर हक संस्था के सचिव पंकज कुमार सिंह  के विरूद्ध ‘आरोप-पत्र‘ ,आरोप -पत्र संख्या- 105। 2013, दिनांक - 30 अप्रैल 2013 है, को मुंगेर न्यायालय मेंसुपुर्द कर दिया । अभी भी मामला न्यायालय में लंवित है ।

जान मारने की कोशिश की गईं  : आरोप-पत्र समर्पित होने के डेढ़ माह बाद मुंगेर की कासिम बाजार पुलिस ने जनता दल यू के तात्कालीक जिला सचिव नरेन्द्र कुमार सिंह कुशवाहा को 15 जून, 2013 की शाम धोखा में बुलाकर गिरफ्तार किया, उसे कासिम बाजार थाना उठा ले गई पुलिस । और पुलिस पदाधिकारियों और होमगार्ड्स के जवानों ने श्री कुशवाहा को थाना के गाछ में रस्सी से बांधकर तबतक पिटाईकी जबतक वह बेहोश नहीं हो गया ।  जब होश आईं,तो वह भागलपुर मेडिकल  कालेज अस्पताल में बेड में अपने को पाया। उसने अपने साथ घटी घटना को भागलपुर से मुंगेर के डी0एम0 , एस0पी0, आयुक्त, डी0आई0जी0 और अन्य को दिया । किसी ने उसके आवेदन पर सुनवाई नहीं कीं। 

पहले जान से मारने की कोशिश हुई,  बाद में भेजे गए जेलः भागलपुर में ईलाज के दौरान हीं मुंगेर के कासिम बाजार थाना की पुलिस पहुंचीं ।और पुलिस ने  चार जिन्दा कारतूस पाकेट में रखने के आरोप में ईलाजरत  श्रीक ुशवाहा को मुंगेर जेल न्यायिक हिरासत में भेज दिया ।

लगभग तीन महीनों तक जेल में रहे कुशवाहा : पहले थाना में गाछ से बांध कर  पिटाई और फिर जीवित कारतूस रखने के जुर्म में जेल जाने के बाद भी कुशवाहा ने हिम्मत नहीं हारी। उसने न्याय के लिए मुंगेर मंडल कारा में आमरण-अनशन शुरू कर दिया । पटना उच्च न्यायालय से जमानत मिलने तक कुशवाहा मुंगेर जेल में महीनों आमरण-अनशन पर रहे। परन्तु, बिहार केमीडिया हाउस दैनिक प्रभात खबर, दैनिक हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण और दैनिक भाष्कर ने उनके आमरण अनशन की खबर को केवल दबाने का काम किया ।  एक राजनीतिक के जीवन को समाप्त कर देने की अनोखी मुहिम  मुंगेर के मीडिया हाउस के लोगों ने चलाईं।

मुख्यमंत्री निरीह बने रहे : पुलिस जुल्म की फरियाद लेकर जब जद यू नेता की भतीजी  मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के जनता दरबार  में  अकेले तीन बार पहुंची, परन्तु मुख्यमंत्री भी निरीह प्रमाणित हुए। अंत में मुंगेर जेल से ही श्री कुशवाहा ने राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग को लिखित आवेदन भेजा । उसकी भतीजी मुक्ता कुमारी अकेले नई दिल्ली स्थित राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग के कार्यालय में पहुंचीं और अपने चाचा पर हो रहे बिहार पुलिस के जुल्म की दास्तान कह सुनाईं । राष्ट्र्ीय मानवाधिकार आयोग नेलिया संज्ञान और बिहार सरकार को पूरे मामले में जांच का आदेश दिया। बिहार सरकार ने मामलेको अपराध अनुसंधान विभाग के पुलिस अधीक्षक।डी0। एस0पी0शुक्ला को सुपुर्द कर दिया । और एस0पी0।डी0। एस0पी0शुक्ला ने जो जांच रिपोर्ट राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग (नई दिल्ली) और मुंगेर पुलिस अधीक्षक को सुपुर्द कीं, उस रिपोर्ट ने कलम, खाकी और सफदेपोश अपराधियों के संगठित षड़यंत्र को पूरी तरह बेनकाव  बेनकाव कर दिया । मुंगेर पुलिस ने  कुशवाहा को गोली रखने के आरोप से अनुसंधान में मुक्त कर दिया है । अब कुशवाहा अपने कंधे के थैला में अबतक की सभी पुलिस रिपोर्ट लेकर मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के जनता दरबार की दौड़ लगा रहे हैं और भीख मांग रहे हैं कि -‘ हुजूर । पिटाई और गोली के आरोप में निर्दोष होकर जेल जाने से बचा नहीं सके । अब तो दोषी पत्रकार, पुलिस पदाधिकारी और एन0जी0ओ0 के सचिव के विरूद्ध कानूनी काररवाई कीजिए । हुजूर , अपने हक के लिए आवाज उठाने के जुर्म में पुलिस ने गाछ में बांध कर पिटाई कीं और महीनों जेल की सजा काट लीं । अब तो हुजूर, दोषी को जेल भेजने का काम कीजिए।‘

मुख्यमंत्री नीतिश कुमार हो गए गंभीरः  पटना के जनता दरबार में जब श्री कुशवाहा ने पूरे दस्तावेजी साक्ष्य के साथ मुख्यमंत्री को सारी बातें बताईं,तो मुख्यमंत्री गंभीर हो गए । उन्होंने भागलपुर के आरक्षी महानिरीक्षक सुशील खोपडेको इस मामले में कानूनी पक्षोंके अध्ययन कर दोषी पत्रकार, पुलिस पदाधिकारी और एन0जी0ओ0 के सचिव के विरूद्ध कानूनी काररवाई करने का निर्देश दिया है । आरक्षी महानिरीक्षक सुशील खोपडे ने श्री कुशवाहा कोइस सप्ताह   भागलपुर स्थित कार्यालय  में बुलाया और एक घंटा तक पूरी घटना की जानकारी लीं और पुलिस अनुसंधान में आए दस्तावेजी साक्ष्यों का गंभीरता से  अध्ययन किया । श्री कुशवाहा ने आई0जी0 को स्पष्ट कर दिया है कि मुंगेर के डी0आई0जी0 वरूण कुमार सिन्हा दोषी पत्रकार, पुलिस पदाधिकारी और एन0जी0ओ0 के सचिव के विरूद्ध कानूनी काररवाई में रोड़ा बने हुए हैं ।

इस बीच, मुंगेर पुलिस अधीक्षक के पुलिस प्रतिवेदन-04 में पुलिस अधीक्षक ने मंतवय दिय है कि -‘‘ एन0जी0ओ0  हक के सचिव पंकज कुमार सिंह  और प्रभात खबर के पत्रकार बिजय शंकर सिंह  ने षड़यंत्र कर पुलिस पदाधिकारियों की मदद से गोली नरेन्द्र कु0 सिंह कुशवाहा के थैला में  रखवा दिया था और उसकी गिरफ्तारी  कराई गईं ।‘‘

‘‘ इस प्रकार यह प्रमाणित हो जाता है कि  पत्रकार पुलिस की नजदीकियों का फायदा उठाते हैं और पुलिस के हाथोंराजनीतिक कार्यकर्ता और नेता को  डंडा  खिलवाने और फर्जी आरोप में जेल भिजवाने का ठेका लेने का भी काम कर रहे हैं जो काम समाज के नामी-गिरामी   अपराधी कर रहे हैं । ‘‘

पुलिस अधीक्षक ने अपने पुलिस प्रतिवेदन संख्या-04 में आगे लिखा है कि ‘‘ पुलिस अनुसंधानकर्ता   साक्ष्यानुसार एन0जी0ओ0 ‘‘हक‘‘ के सचिव पंकज कुमार सिंह और दैनिक प्रभात खबर के पत्रकार  बिजय शंकर सिंह की गिरफ्तारी की काररवाई करेंगें ।‘‘

इस बीच, मुंगेर के पूर्व के पुलिस अधीक्षक ने इस प्रकरण में कासिम बाजार थाना के पूर्व थाना ध्यक्ष दीपक कुमार और  पुलिस अवर निरीक्षक सफदर अली  के विरूद्ध विभागीय काररवाई के तहत उनकी सेवा पुस्तिकाओं में एक‘‘कलांक‘‘ की सजा दी है और छः माह के वेतन वृद्धि पर रोक  लगाई है ।  दोनों पुलिस पदाधिकारियों की सेवा पुस्तिकाओं में कलांक की सजा को अंकित कर दिया गया है । 

नीतिश भैया और लालू भैया से गुहारः  जनता दल यू नेता नरेन्द्र कु0 सिंह कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतिश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद से   प्रार्थनाकी है कि - ‘‘यदि दोषी पुलिस पदाधिकारी दीपक कुमार और सफदर अली, पत्रकार बिजय शंकर सिंह और एन0जी0ओ0 सचिव पंकज कुमार सिंह के विरूद्ध कठोर कानूनी काररवाई सरकार नहीं करती है,तो पुलिस ,पत्रकार और एन0जी0ओ0 का गठजोड़ उसकी हत्या कर देगा । फिर आपलोग जांच पर जांच कराते  रह जाऐंगें ।‘‘

इस बीच, दैनिक प्रभात खबर ,दैनिक हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण और दैनिक भाष्कर के मुंगेर  कार्यालयों के ब्यूरो प्रमुख ने ऐलान किया है कि -‘‘ जो व्यक्ति नरेन्द्र कुमार सिंह कुशवाहा पर हुए पुलिस जुल्म की खबर को प्रकाशित/ प्रसारित करेगा, उसे और उसके परिवार के सभी सदस्यों को स्वर्ग लोक भेज दिया  जायेगा और उसकी खबर को किसी भी हिन्दी अखबर या चैनल में नहीं चलने दिया जायेगा । नरेन्द्र कुमार सिंह कुशवाहा के साथ हुए पुलिस उत्पीड़न की खबर को जिस तरह तीन वर्षों तक हिन्दी अखबारों और न्यूज चैनलों ने दबा कर रखा ,ऐसी ही चट्टानी ऐकता बरकरार रहेगी । मुख्यमंत्री नीतिश कुमार और राजद प्रमुख लालू प्रसाद तक घटना की खबर भी नहीं पहुंच पाऐगी ।‘‘

श्रीकृष्ण प्रसाद अधिवक्ता और पत्रकार हैं
मो0 09470400813

Go Back

Comment

नवीनतम ---

View older posts »

पत्रिकाएँ--

175;250;e3113b18b05a1fcb91e81e1ded090b93f24b6abe175;250;cb150097774dfc51c84ab58ee179d7f15df4c524175;250;a6c926dbf8b18aa0e044d0470600e721879f830e175;250;13a1eb9e9492d0c85ecaa22a533a017b03a811f7175;250;2d0bd5e702ba5fbd6cf93c3bb31af4496b739c98175;250;5524ae0861b21601695565e291fc9a46a5aa01a6175;250;3f5d4c2c26b49398cdc34f19140db988cef92c8b175;250;53d28ccf11a5f2258dec2770c24682261b39a58a175;250;d01a50798db92480eb660ab52fc97aeff55267d1175;250;e3ef6eb4ddc24e5736d235ecbd68e454b88d5835175;250;cff38901a92ab320d4e4d127646582daa6fece06175;250;25130fee77cc6a7d68ab2492a99ed430fdff47b0175;250;7e84be03d3977911d181e8b790a80e12e21ad58a175;250;c1ebe705c563d9355a96600af90f2e1cfdf6376b175;250;911552ca3470227404da93505e63ae3c95dd56dc175;250;752583747c426bd51be54809f98c69c3528f1038175;250;ed9c8dbad8ad7c9fe8d008636b633855ff50ea2c175;250;969799be449e2055f65c603896fb29f738656784175;250;1447481c47e48a70f350800c31fe70afa2064f36175;250;8f97282f7496d06983b1c3d7797207a8ccdd8b32175;250;3c7d93bd3e7e8cda784687a58432fadb638ea913175;250;0e451815591ddc160d4393274b2230309d15a30d175;250;ff955d24bb4dbc41f6dd219dff216082120fe5f0175;250;028e71a59fee3b0ded62867ae56ab899c41bd974

पुरालेख--

सम्पादक

डॉ. लीना