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फेक न्यूज पर सख्त नियम बनाने की जरूरत: प्रो. संजय द्विवेदी

न्यूज़फैक्ट डॉट इन के चौथे वर्षगाँठ पर "डिजिटल मीडिया की हद और सरहद" पर राष्ट्रीय विमर्श का आयोजन

छपरा। रघुरोशनी मीडिया द्वारा संचालित वेब न्यूज़ पोर्टल न्यूज़फैक्ट डॉट इन की चतुर्थ वर्षगाँठ पर छपरा के रामकृष्ण मिशन आश्रम में डिजिटल (वेब) मीडिया की हद और सरहद विषय पर एक राष्ट्रीय मीडिया विमर्श का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव स्वामी अतिदेवानंद महाराज ने दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत्त उद्घाटन किया। जिसमें मुख्य वक्ता भारतीय जमसंचार संस्थान, नई दिल्ली के महानिदेशक और माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता और जनसंचार विश्वविद्यालय, भोपाल के पूर्व कुलपति प्रो. संजय द्विवेदी ने कहा कि हर एक शताब्दी अपनी किसी न किसी चीज के लिए पहचानी जाती है। ऐसे ही 21वीं शताब्दी ‘इंटरनेट और सोशल मीडिया’ के युग की शताब्दी मानी जा रही है। मीडिया के बदलते आयामों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि मौजूदा समय बदलाव का समय है। संप्रेषण के ऐसे नए तरीके और नए माध्यम सामने आए हैं, जो पूरी तरह हमारे जीवन का हिस्सा बन गए हैं।

उन्होंने कहा कि  हमें फेक न्यूज पर मलेशिया, फिलीपींस और थाइलैंड की तरह सख्त नियम बनाने की आवश्यकता है। मलेशिया के कानून के मुताबिक फेक न्यूज की वजह से अगर मलेशिया या मलेशियाई नागरिकों को नुकसान होता है, तो इसे फैलाने वाले पर करीब 1 लाख 23 हजार अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 90 लाख रुपये का जुर्माना और छह साल की सजा हो सकती है। फिलीपींस में गलत जानकारी फैलानों वालों को 20 साल तक की कैद की सजा का प्रावधान करने की तैयारी चल रही है। थाइलैंड में साइबर सिक्योरिटी लॉ कार्य करता है, जिसके तहत गलत सूचना फैलाने पर 7 साल तक की कैद की सजा हो सकती है। सोशल मीडिया के इस दौर में ‘फैक्ट’ और ‘फिक्शन’ एक ही घाट पर पानी पीते हैं।

प्रो0 संजय द्विवेदी ने कहा कि बुद्धिजीवियों का एक बड़ा वर्ग ये मानता है कि आज के दौर में हम सभी ‘नॉलेज सोसायटी’ का हिस्सा हैं, जिसमें ज्ञान के एक बड़े हिस्से को समाज के सभी वर्गों तक पंहुचाने की महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारी मीडिया पर है। मीडिया का रोल आधुनिक जीवन में इतना ज़्यादा है कि दैनिक दिनचर्या में सुबह उठने से लेकर रात में सोने तक हम मीडिया के ही माध्यम से दुनिया को जीते और सुनते हैं। फिर चाहे वो टेलीविजन के माध्यम से हो, अखबार के माध्यम से हो या न्यू मीडिया के इस दौर में इंटरनेट के माध्यम से हों, जहां खबरों की बमबारी वैश्विक स्तर पर होती है। सोशल मीडिया के एक हिस्से में खबरों को अनावश्यक रूप से सनसनीखेज बनाने का रुझान दिखाई देता है और इसके लिये तथ्यों से खिलवाड़ भी  होता रहता है। ऐसे में सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाने, झूठे समाचार प्रसारित करने वालों पर रोक लगाने के प्रावधानों का होना बहुत जरूरी है। इसके लिये कुछ मानदंड तय करने होंगे और इनमें संतुलन कायम करना होगा। ये मानदंड इतने लचर भी नहीं होने चाहिये कि लोगों को इनका भय ही न रहे और न ही इतने कठोर होने चाहिये कि जिनसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर आंच आती हो। इसके लिये ऐसी व्यवस्था बनानी होगी कि झूठी खबर प्रचारित-प्रसारित करने वालों में यह डर तो रहे, कि यदि ऐसा किया तो परिणाम अच्छा नहीं होगा।

राष्ट्रीय विमर्श को संबोधित करते हुए विधान पार्षद् प्रो. वीरेन्द्र नारायण यादव ने कहा कि पत्रकारिता का विविध रूप हमारे सामने मौजूद है और सबकी अपनी-अपनी सीमाएँ एवं भूमिका है। मेरी नजर में प्रिंट मीडिया की अहमियत आज भी कम नहीं है, आगे जो भी हो। मीडिया चाहे जो भी हो पत्रकारों को पत्रकारिता की निष्पक्षता व लोकतांत्रिकता बचाये रखनी होगी। इसके कवल आगत अतिथियों का स्वागत और आयोजन पर विस्तृत चर्चा करते हुए न्यूज़फैक्ट डॉट इन के प्रकाशक सह प्रधान संपादक, वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. अमित रंजन ने कहा कि जब हमलोग डिजिटल (वेब) मीडिया की शुरुआत किये थे तब लोग डिजिटल मीडिया वालों को फर्जी पत्रकार कहा जाता था लेकिन आज डिजिटल (वेब) मीडिया की स्वीकार्यता तेजी से बढ़ी है। राष्ट्रीय विमर्श का आगाज़ नन्द लाल सिंह कॉलेज जैतपुर दाऊदपुर के हिन्दी विभाग के सहायक प्राध्यपक डॉ. दिनेश पाल ने की, अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि आज सूचना क्रांति का दौर है और हर व्यक्ति शीघ्र-अतिशीघ्र सूचना प्राप्त करने को बेताब रहता है जिसकी पूर्ति करने में डिजिटल (वेब) मीडिया सफल है। वेब मीडिया ने प्रिंट मीडिया की खबरों को बासी कर दिया है। डिजिटल (वेब) मीडिया ने हाशिये के समाज को भी अपनी आवाज उठाने का मौका देता है।  वरिष्ठ पत्रकार और जेपीयू के पीजी राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो0 लाल बाबू यादव ने क्रांतिकारी व समाजसुधारक कवि कबीर की 'तू कहता कागज की लेखी, मैं कहता ऑंखिन की देखी' पंक्ति के साथ अपने वक्तव्य की शुरूआत की। डिजिटल (वेब) मीडिया की व्यापकता के कारण प्रिंट मीडिया बासी भात के समान हो गया है, जिसे मालिक खाना पसंद नहीं करता। डिजिटल मीडिया को  निगरानी व रोकथाम के साथ सरकार को बढ़ावा देना चाहिए। वरिष्ठ पत्रकार प्रो0 एच0 के0 वर्मा ने कहा कि डिजिटल मीडिया में कई बार ऐसी खबरें देखने को मिलती है जिससे दुःख  होता है, क्योंकि जिसे प्रिंट मीडिया या टीवी में डॉट डॉट डॉट करके दिखाया जाता है उसे वेब मीडिया में ज्यों का त्यों दिखा दिया जाता है इसलिए मैं वेब मीडिया के जर्नलिस्ट से कहना चाहूंगा कि क्या दिखाना की बजाय क्या नहीं दिखाना है का अधिक ख्याल रखें।

वरिष्ठ रंगकर्मी और अधिवक्ता बिपिन बिहारी श्रीवास्तव ने कहा कि मीडिया का काम सच को दिखाना है और डिजिटल मीडिया के पत्रकारों को भी सत्यम, शिवम, सुंदरम का ख्याल रखना चाहिए। किशोर न्याय बोर्ड की सदस्या और वरिष्ठ पत्रकार श्रीमती कश्मीरा सिंह ने कहा कि आज का युग डिजिटल युग का दौर है। कई कारणों से वेब मीडिया पारम्परिक मीडिया की तुलना में अधिक लोकतांत्रिक मीडिया है। सोशल मीडिया ने वेब मीडिया को और बढ़ावा दिया है। वेब मीडिया के त्वरित सूचना स्रोत में अभी हम डुबकी ही लगा रहे थे कि हमारे सामने इसका श्याम पक्ष भी हमारे सामने आना लगा है, जिसे रोकने की जरूरत है। शीघ्र खबर देने की बजाय सत्य ख़बर देने पर जोर देना चाहिए। अपने अध्यक्षीय संबोधन में रामकृष्ण मिशन आश्रम के सचिव स्वामी अतिदेवानन्द महाराज ने कहा कि युग परिवर्तन के साथ-साथ हमलोग भी परिवर्तित हो रहे हैं। डिजिटल होना बहुत अच्छा है लेकिन डिजिटल की वजह से फिजिकल दूरी होना दुःखद है। बच्चों को डिजिटल सुविधा मुहैया कराना बढ़िया है लेकिन उसे सामाजिक सम्बन्ध व संस्कार से भी उसे अवगत कराना चाहिए ताकि वह बड़ा होकर समाज से कट जाए। डिजिटल मीडिया के साथ-साथ फिजिकल मीडिया (प्रिंट मीडिया) को भी बनाये रखना होगा। इसके कवल रघुरोशनी मीडिया की अध्यक्ष भवानी मीरा, वरिष्ठ पत्रकार और कंपनी के डायरेक्टर डॉ. अमित रंजन और एम. डी. चंदन कुमार ने भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली के महानिदेशक प्रो. संजय द्विवेदी को प्रतीक चिह्न और अंग वस्त्रम से सम्मानित किया। विधान पार्षद प्रो. वीरेन्द्र नारायण यादव को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में प्रसिद्ध लोकगायक रंजीत गिरि और रेडियो मयूर 90.8 एफ एम के अभिषेक नारायण ने स्वर के जलवे बिखेरे तो वहीं सारण की झांसी की रानी के नाम से प्रसिद्ध बहुरिया रामस्वरूपा देवी की परपोती और कुशल गायिका अभिनेत्री कत्थक नृत्यांगना अर्चिता माधव ने अपने नृत्यों भावविभार कर दिया। प्रसिद्ध ताल वादक विनय विनीत ने गायकों के साथ बेहतर संगत की।

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में प्रतीक चिह्न से समाज के विभिन्न लोगों को सम्मानित किया गया जिसमें इवेन्ट पार्टनर्स प्रभात कुमार सिंह, सचिव, विश्वेश्वर दयाल सिन्हा मेमोरियल महिला महाविद्यालय,अमितेश रंजन, वरुण प्रकाश, प्रमंडलीय अध्यक्ष CAIT, श्रीपकाश आर्नोमेंट्स, फैक्ट स्किल, लाह बाजार, छपरा और वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (डब्ल्यूजेएआई) को सम्मानित किया गया। सारण में कार्यरत पत्रकार संगठनों में सारण जिला पत्रकार संघ,नेशनल जर्नलिस्ट यूनियन, सारण, सारण जिला श्रमजीवी पत्रकार संघ, अखिल भारतीय पत्रकार सुरक्षा समिति, सारण , वेब जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया, सारण चैप्टर, नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन, इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट और वर्किंग जर्नलिस्ट ऑफ इंडिया को सम्मानित किया गया। समाजिक सेवा में फेस ऑफ फ्यूचर इंडिया, यंगस्टर गजानन्द छपरा, माँ यूथ आर्गेनाईजेशन, जीएस बंगरा, जलालपुर, सारण, रोटी बैंक, छपरा, युवा क्रांति रोटी बैंक, छपरा, रेडियो मयूर 90.8 एफ एम, छपरा और लायंस क्लब ऑफ छपरा, सारण को सम्मानित किया गया। व्यक्तिगत कोटि में प्रो. लाल बाबू यादव, वरिष्ठ पत्रकार, प्रो. एच. के. वर्मा, वरिष्ठ पत्रकार, श्रीमती कश्मीरा सिंह, सदस्य किशोर न्याय बोर्ड, छपरा, डॉ. दिनेश पाल, संस्कृतिकर्मी, प्रणव राज, युवा पत्रकार, पटना, सुश्री अर्चिता माधव, कत्थक नृत्यांगना,  रंजीत गिरि, लोक गायक,  विनय विनीत, ताल वादक और श्रीमती कंचन बाला, उद्घोषिका सह शिक्षिका, सारण एकेडमी प्लस टू हाईस्कूल, छपरा को सम्मानित किया गया।

धन्यवाद ज्ञापन एम. डी. चंदन कुमार और संचालन कंचन बाला ने किया।

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सम्पादक

डॉ. लीना