नयी दिल्ली/ अखबार मालिकों और पत्रकारों के संगठनों ने भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के गठन में सरकार के हस्तक्षेप का आरोप लगाया है। सदस्य बनाये जाने के मामले में सरकार द्वारा हस्तक्षेप किये जाने की कडी आलोचना करते हुए कहा है कि पीसीआई का गठन पारदर्शी तरीके से किया जाना चाहिए।
कई संगठनों ने यहां जारी बयानों में कहा है कि पीसीआई का गठन पुरानी प्रक्रिया के तहत होना चाहिए जिसमें अखबार अपने प्रतिनिधियों का नाम खुद ही प्रस्तावित करते थे लेकिन सरकार पीसीआई के अध्यक्ष के माध्यम से इसमें हस्तक्षेप कर रही है। उनका कहना था कि पीसीआई की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा बहाल करने के लिए पुरानी प्रक्रिया के अनुसार ही इसके सदस्यों को नामित किया जाना चाहिए ।
अखबार मालिकों के संगठन द इंडियन न्यूजपेपर सोसाईटी के महासचिव ने कल जारी बयान में पीसीआई के सदस्यों को नामित करने के लिए उनके नामों के चयन करने में अध्यक्ष के फैसले को पक्षपातपूर्ण करार देते हुए इस पर क्षोभ व्यक्त किया। उन्होंने पीसीआई की विश्ववसनीयता, तटस्थता और इसकी प्रतिष्ठा बहाल करने के लिए परिपक्वता और तटस्थता की मांग की।
आल इंडिया न्यूजपेपर्स एडिटर्स कांफ्रेंस और द हिंदी समाचार पत्र सम्मेलन के सचिव ने एक विज्ञप्ति में कहा कि संपादकों के संगठनों को बाहर रखकर तथा विभिन्न मीडिया संगठनों के पत्रकारों के चयन की प्रक्रिया में बदलाव करके पीसीआई की स्वतंत्रता के साथ समझौता किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि नये पीसीआई का जिसतरह से गठन किया जा रहा है उसे रोका जाना चाहिए तथा मीडिया संगठनों को अपने प्रतिनिधि चुनने की अनुमति दी जानी चाहिए।
नेशनल अलांयस आफ जर्नलिस्ट के महासचिच और दिल्ली यूनियन आफ जर्नलिस्ट के अध्यक्ष ने यहां जारी संयुक्त बयान में कहा कि पीसीआई नखदंत विहीन संस्था है ।
ऐसे में एक भारतीय मीडिया परिषद समय की मांग है जो लोकतांत्रिक हो और जिसमें मीडिया के सभी माध्यमों को शामिल हों।
उन्होंने फर्जी समाचार पर सूचना प्रसारण मंत्रालय का दिशानिर्देश वापस लेने के सरकार के कदम को अस्थायी राहत करार दिया है और अगले हफ्ते सतर्कता सप्ताह आयोजित करने का आह्वान किया। इसकी तारीख की घोषणा जल्द की जाएगी।