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पेरिस में एक पत्रिका के कार्यालय पर बंदूकधारियों का हमला, 12 की मौत

मरने वालों में नौ पत्रकार और मैगजीन के संपादक स्टीफन शार्बोनियर और दो पुलिसवाले भी शामिल हैं।

पेरिस / फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक पत्रिका के मुख्यालय पर गोलीबारी की गई है। खबर है कि इस गोलीबारी में 12 लोगों की मौत हुई है। मरने वालों में नौ पत्रकार और मैगजीन के संपादक स्टीफन शार्बोनियर और दो पुलिसवाले भी शामिल हैं। इस घटना को दो नकाबपोश बंदूकधारियों ने अंजाम दिया है। फ्रांस पुलिस के अनुसार हमलावर, 'हमने मोहम्मद का बदला ले लिया' का नारा लगा रहे थे।

 पुलिस का दावा है कि हमले में 40 लोगों को बचा लिया गया है। मारे गए पत्रकार- स्टेफान शर्बिनोए, ज़ां कादू,बेर्नार वेरलक और जॉर्ज वोलिंस्की हैं।

पेरिस की एक व्यंग्य पत्रिका चार्ली हेबदो (Charlie Hebdo) के कार्यालय पर यह हमला हुआ है। पत्रिका ने हाल में आईएस प्रमुख अबु बक्र अल बगदादी का एक कार्टून प्रकाशित किया था। इस मैगजीन ने नवंबर में पैगम्बर मोहम्मद पर 2012 में कुछ कार्टून प्रकाशित किए थे जिसका विरोध कई मुस्लिम देशों में हुआ था और इसके फलस्वरूप ऐहतियातन फ्रांस को 20 से भी अधिक देशों में अपने दूतावास को बंद करना पड़ा था। पैगम्बर पर एक अन्य कार्टून प्रकाशित करने के चलते इस मैगजीन के कार्यालय पर नवंबर 2011 में भी हमला हुआ था।

इस आतंकी हमले की पूरे विश्व में निंदा हो रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पेरिस में एक पत्रिका के दफतर पर हुये हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुये फ्रांस को हरसंभव सहायता देने की पेशकश की है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने ओवल कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुये कहा, हम इस मुश्किल घडी में फ्रांस के लोगों के साथ खड़े हैं। इस हमले को कायरतापूर्ण करार देते हुये उन्होंने कहा कि पत्रकारों पर हमला प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला है। श्री ओबामा ने कहा कि आतंकवाद से लड़ने के लिये अमेरिका फ्रांस का सहयोग करता है और इस दिशा में फ्रांस को हरसंभव सहायता उपलब्ध करायी जायेंगी।

हमले की घटना को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निंदनीय बताया है और ट्वीट कर अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। फ्रांस के मुस्लिम नेतृत्व ने एक व्यंग्यात्मक साप्ताहिक अखबार के दफ्तर में हुई गोलीबारी की सख्त निंदा करते हुए इसे बर्बर हमला करार दिया और इसे प्रेस की स्वतंत्रता एवं लोकतंत्र पर हमला बताया। 
फ्रेंच मुस्लिम काउंसिल ने एक बयान में कहा, ‘‘यह अत्यंत संगीन बर्बर हरकत लोकतंत्र और प्रेस की स्वतंत्रता पर भी हमला है।’’ यह संगठन फ्रांस के मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करता है जो यूरोप में सबसे बड़ा है और उनकी संख्या 35 लाख से 50 लाख के बीच है। मुस्लिम काउंसिल ने शांति कायम रखने की अपील की है और मुसलमानों को चरमपंथी उकसावे से सतर्क रहने को कहा है।  इसने कहा है कि मुस्लिम समुदाय चरमपंथी संगठनों को मौके का लाभ उठाने का मौका नहीं दें और सतर्क रहें।

मुस्लिम ब्रदरहुड के एक करीबी संगठन यूनियन ऑफ फ्रेंच इस्लामिक आर्गेनाइजेशन के बयान में भी इस आपराधिक हमले और नृशंस हत्याओं की सख्त निंदा की गई है।

फ्रांस के यहूदियों के मुख्य धर्मगुरू हइम कोरसिया ने एएफपी से कहा कि देश को राष्ट्रीय एकजुटता दिखाने और मिलजुल कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सहित अपनी स्वतंत्रता की हिफाजत करने की जरूरत है। गौरतलब है कि फ्रांस में यूरोप की सर्वाधिक यहूदी आबादी है और उनकी संख्या पांच लाख से छह लाख के बीच है।( फोटो / खबर अंतरजालो से साभार) । 

 

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सम्पादक

डॉ. लीना