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 मीडियामोरचा

____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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पत्रकारिता का क्षरण नहीं, नये दरवाजे खुले हैं: प्रवीण दुबे

महाराष्ट्र के मीडिया छात्रों के साथ संग्रहालय में ‘समागम संवाद’

भोपाल। हर पुरानी पीढ़ी को लगता है कि पत्रकारिता का क्षरण हो रहा है, जबकि यह सच नहीं है. वास्तव में पत्रकारिता की नयी पीढ़ी और समृद्ध है तथा उसके लिए अवसर के नये दरवाजे खुल गए हैं. यह बात वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रवीण दुबे ने दुष्यंत संग्रहालय में ‘समागम संवाद’ के विशेष सत्र में कल कही. संग्रहालय के सभागार में पुण्यश्लोक अहिल्या देवी होल्कर विश्वविद्यालय, सोलापुर, महाराष्ट्र से आये जनसंचार विभाग के पचास से अधिक विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए श्री दुबे ने कहा कि यह बात साफ है कि हम बाजारवाद के दौर से गुजर रहे हैं और हमारे भीतर क्वालिटी होगी तो ही कोई चैनल, कोई अखबार अपने साथ रखेगा. उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि समय के साथ उन्हें बदल जाना चाहिए क्योंकि हर दौर पत्रकारिता का नया होता है और हम सब नये दौर की पत्रकारिता कर रहे हैं. कार्यक्रम के आरंभ में शोध पत्रिका समागम के सम्पादक श्री मनोज कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया और ‘समागम संवाद’ के बारे में अपनी दृष्टि रखी. निदेशक राजुरकर राज ने संग्रहालय की गतिविधियों एवं उसकी यात्रा से विद्यार्थियों को रूबरू कराया.

वरिष्ठ पत्रकार शेफाली पांडे ने विद्यार्थियों से कहा कि पत्रकारिता का अर्थ ही सवाल है और यह दौर सवाल करने का है. सवाल के बिना पत्रकारिता नहीं हो सकती है. उन्होंने कहा कि बिना झिझक अपनी बात कहें. उन्होंने कहा कि समाचार लेखन के समय इस बात का ध्यान रखा जाए कि उसमें विचार ना हो बल्कि घटना प्रधान हो. विचार के लिए लेख लिखा जा सकता है. शेफाली ने विद्यार्थियों को भाषा के गुण-धर्म की बात भी बतायी. संपादक एवं वरिष्ठ पत्रकार मनोज कुमार ने कहा कि पत्रकार किसी शहर, राज्य का नहीं होता है बल्कि वह समूचे हिन्दुतान का होता है. गरीबी, अमीरी और दर्द जिस तरह पूरे हिन्दुस्तान का होता है, वैसे पत्रकार पूरे हिन्दुस्तान का होता है. पुण्यश्लोक अहिल्या देवी होल्कर विश्वविद्यालय, सोलापुर, महाराष्ट्र के  विद्यार्थियों ने संग्रहालय का भ्रमण किया. विभागाध्यक्ष श्री आरबी चिंचालकर ने स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने हिन्दी में पहली बार दुष्यंत कुमार की गजल पढ़ी थी. उन्होंने उनका एक शेर भी साझा किया. कार्यक्रम के अंत में संग्रहालय के संस्थापक अध्यक्ष श्री अशोक निर्मल ने आभार व्यक्त किया. कार्यक्रम में विशेष रूप से श्री संजीव शर्मा आकाशवाणी एवं एमसीयू के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. संजीव गुप्ता उपस्थित थे.

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सम्पादक

डॉ. लीना