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____________________________________पत्रकारिता के जनसरोकार

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पत्रकार जगमोहन फुटेला अब ठीक हैं

तेज तर्रार पत्रकार अब ठीक हैं और सक्रिय भी हो रहे हैं! उनका जर्नलिस्ट कम्युनिस्ट साईट काफी चर्चित था

पलाश विश्वास/  पिछले अप्रैल 2013 में हमारे खास दोस्त और तेज तर्रार पत्रकार जगमोहन फुटेला को ब्रेन स्ट्रोक हो गया था। अगस्त तक फुटेला बोलने की हालत में नहीं थे। वे विकलांगता के शिकार होकर बिस्तर में कोमा जैसी हालत में निष्क्रिय पड़े रहे, पिछले तीन साल से।

इस बीच हाल में मैं पालमपुर के रास्ते चंडीगढ़ और जालंधर में थे, तो उस वक्त भी किसी से फुटेला के बारे में कोई खबर नहीं मिली थी।

अगस्त,2013 में फुटेला के बेटे अभिषेक से बात हुई थी, तो उसके बाद से उनसे फिर बात करने की हिम्मत भी नहीं हुई। अभिषेक और परिवार के लोगों ने जिस तरह फुटेला को फिर खड़ा कर दिया है,उससे हम इस काबिल बेटे और परिजनों के आभारी है कि उनकी बेइंतहा सेवा से हमें अपना पुराना दोस्त वापस मिल गया है।

पहली जनवरी को फुटला ने चुनिंदा मित्रों को फोन किया। मुझे बी पोन किया ता लेकिन यात्रा के दौरान वह मिसकाल हो गया।

कल रात मैसेज बाक्स में फुटेला का संदेश मिल गया और तुरंत उसके नंबर पर काल किया तो तीन साल बाद फुटेला से बातचीत हो पायी। यह किसी चमत्कार से कम नहीं है। हम फुटेला के पूरीतरह ठीक होने का इंतजार कर रहे हैं। आप भी करें तो बेहतर।

जनसत्ता में हमारे सहयोगी मित्र जयनारायण प्रसाद को भी ब्रेन स्ट्रोक हुआ था पिछले साल नासिक में ,जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत भी घोषित कर दिया था।आनन फानन उन्हें कोलकाता लाया गया और वे जिंदा बच निकले।

जाहिर है कि जिंदगी और मौत भी अस्पतालों की मर्जी पर निर्भर है जो क्रय क्षमता से नत्थी है शिक्षा की तरह।बुनियादी जरुरतों और सेवाओं की तरह।

जयनारायण की भी आवाज बंद हो गयी थी और वे भी विकलांगता के शिकार हो गये थे।लेकिन महीनेभर में वे सही हो गये।आवाज लौटते ही उनने फोन किया। महीनेभर बाद से वे फिर जनसत्ता में काम कर रहे हैं।

फुटेला के ठीक होने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। कल उसने कहा कि तीन चार महीने और लगेंगे पूरी तरह ठीक होने में और उसके बाद फिर मोर्चे पर लामबंद हो जायेंगे।

जिन मित्रों को अभी खबर नहीं हुई ,उनके लिए यह बेहतरीन खबर साझा कर रहे हैं।तमाम बुरी खबरों के बीच इस साल की यह शायद पहली अच्छी खबर है।

तीन साल से देश दुनिया से बेखबर रहने के बाद फुटेला के इस तरह सक्रिय हो जाने से बहुत अच्छा लगा रहा है।

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सम्पादक

डॉ. लीना