मेरठ/ बिहार के बेगूसराय के अजीत अंजुम को पत्रकारिता में उत्त्कृष्ठ योगदान के लिए एक बार फिर सम्मानित किया गया है। ओज एवं वीर रस के कवि हरिओम पवार और अजीत अंजुम को "दुष्यंत स्मृति सम्मान" से नवाजा गया। पिछले दिनों मेरठ में दुष्यंत स्मृति समारोह में दुष्यंत कुमार फाउंडेशन की तरफ से वरिष्ठ टीवी पत्रकार अजीत अंजुम और मशहूर कवि हरिओम पवार को दुष्यंत स्मृति सम्मान दिया गया।
दुष्यंत कुमार की जयंति के मौके पर मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के सभागार में आयोजित समारोह में जनता दल यू के प्रधान महासचिव के. सी. त्यागी और उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदयनाथ दीक्षित समेत कई विधायक, साहित्यकार, पत्रकार और शहर के गणमान्य लोग मौजूद थे। दुष्यंत स्मृति फाउंडेशन की तरफ से हर साल हिंदी गज़ल के महानायक दुष्यंत कुमार की याद में भव्य समारोह का आयोजन होता है जिसमें कुछ लोगों को सम्मानित भी किया जाता है। के. सी. त्यागी ने दुष्यंत कुमार की गज़लों के ज़रिए उन्हें याद करते हुए कहा कि हिंदी समाज ने दुष्यंत कुमार की प्रतिभा के साथ नाइंसाफी की और अपनी रचनाओं के बूते जिस सम्मान के वो हकदार थे , उन्हें नहीं मिला। उनकी कई कालजयी गज़लें हैं जिन्हें सौ साल बाद भी याद किया जाएगा।
दुष्यंत सम्मान पाने वाले टीवी पत्रकार और न्यूज़ 24 और इंडिया टीवी के मैनेजिंग एडिटर रह चुके अजीत अंजुम ने इस मौके पर कहा कि मैं वैसे तो दुष्यंत कुमार जैसी महान विभूति के नाम पर मिलने वाले इस सम्मान का हकदार तो कतई नहीं लेकिन ये पाना मेरे लिए गौरव की बात है क्योंकि कॉलेज के दिनों में जिस दुष्यंत को पढ़कर हमारे भीतर सरकार और सिस्टम की खामियों के खिलाफ आग पैदा हुई थी , उसी ने मुझे पत्रकार बनाया था। अजीत अंजुम ने अपनी बात की शुरुआत ही दुष्यंत के एक शेर से की "हिम्मत से सच कहो तो बुरा मानते हैं लोग रो रो के बात कहने की आदत नहीं रही" अजीत अंजुम ने दुष्यंत के कुछ और शेर सुनाते हुए कहा कि वो उस दौर में इंदिरा गांधी की सरकार पर अपनी गज़लों के ज़रिए चोट कर रहे थे और उनकी मारक क्षमता ऐसी थी सत्ता तिलमिला जाती थी। "मत कहो आकाश में कोहरा घना है ये किसी व्यक्तिगत आलोचना है"। " सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए"।